Wednesday, April 27, 2016

Crores Of Disciples Of H.H.Sant Asaram Bapu Ji Celebrating His Incarnation Day as " Vishwa Sewa Diwas "

🚩करोडो भक्तो द्वारा भव्यता से मनाया जा रहा है #संत_आसारामजी बापू का 79वां अवतरण दिवस...
🚩ऐसा तो संत आसारामजी बापू ने क्या है क़ि उनके करोड़ों भक्त जेल में जाने के बाद भी उनको #भगवान की तरह पूजते है...???
🚩आइये जाने संत आसारामजी बापू का जीवन चरित्र...
🚩संत आशारामजी बापू का बचपन का नाम आसुमल था । बापूजी का जन्म #अखंड भारत के सिंध प्रांत के बेराणी #गाँव में चैत्र कृष्ण षष्ठी विक्रम संवत् १९९४ (1 मई 1937) के दिन हुआ था । उनकी माता #महँगीबा व पिताजी #थाऊमल नगरसेठ थे ।
🚩बालक #आसुमल को देखते ही उनके कुलगुरु ने #भविष्यवाणी की थी कि ‘आगे चलकर यह बालक एक महान संत बनेगा, लोगों का उद्धार करेगा ।
🚩संत आसारामजी बापू का #बाल्यकाल संघर्षों की एक लंबी कहानी हैं 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के कारण अथाह सम्पत्ति को छोड़कर बालक आसुमल #परिवार सहित अहमदाबाद आ बसे। उनके पिताजी द्वारा लकड़ी और कोयले का व्यवसाय आरम्भ करने से आर्थिक परिस्थिति में सुधार होने लगा । तत्पश्चात् शक्कर का व्यवसाय भी आरम्भ हो गया ।
🚩माता-पिता के अतिरिक्त बालक आसुमल के परिवार में एक बड़े भाई तथा दो छोटी बहनें थी ।
   
🚩बालक आसुमल को #बचपन से ही प्रगाढ़ भक्ति प्राप्त थी । प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ठाकुरजी की पूजा में लग जाना उनका नित्य नियम था ।
🚩दस वर्ष की नन्ही आयु में बालक आसुमल के पिताजी थाऊमलजी देहत्याग कर स्वधाम चले गये ।
🚩पिता के देहत्यागोपरांत आसुमल को पढ़ाई (तीसरी कक्षा) छोड़कर छोटी-सी उम्र में ही कुटुम्ब को सहारा देने के लिये सिद्धपुर में एक परिजन के यहाँ नौकरी करनी पड़ी ।  3 साल तक नौकरी के साथ-साथ साधना में भी प्रगति करते रहे ।
🚩3 साल बाद वे वापिस अहमदबाद आ गए और भाई के साथ शक्कर की दुकान पर बैठने लगे ।
🚩लेकिन उनका मन सांसारिक कार्यो में नही लगता था, ज्यादातर जप-ध्यान में ही समय निकालते थे ।
🚩21 साल की उम्र में घर वाले आसुमल जी की शादी करना चाहते थे लेकिन उनका मन संसार से विरक्त और भगवान में तल्लीन रहता था । इसलिए वे घर छोड़कर भरुच के  अशोक आश्रम चले गए । पर घरवालो ने उन्हें ढूंढ कर जबरदस्ती शादी करवा दी ।
🚩लेकिन मोह-ममता का त्याग कर ईश्वर प्राप्ति की लगन मन में लिए शादी के बाद भी तुरंत पुनः घर छोड़ दिया और
आत्म पद की प्राप्ति हेतु जंगलों-बीहडों में घूमते और ईश्वर प्राप्ति के लिए तड़पते रहे ।
🚩नैनीताल के जंगल में योगी ब्रह्मनिष्ठ संत साँर्इं लीलाशाहजी बापू को उन्होंने सद्गुरु के रूप में स्वीकार किया ।
🚩#ईश्वरप्राप्ति की तीव्र तड़प देखकर सद्गुरु लीलाशाहजी बापू का ह्रदय छलक उठा और उन्हें 23 वर्ष की उम्र में सद्गुरु की कृपा से आत्म-साक्षात्कार हो गया । तब सद्गुरु लीलाशाह जी ने उनका नाम आसुमल से आशारामजी रखा ।
🚩अपने गुरु #लीलाशाहजी बापू की आज्ञा शिरोधार्य कर संत आसारामजी बापू समाधि-अवस्था का सुख छोड़कर तप्त लोगों के हृदय में शांति का संचार करने हेतु समाज के बीच आ गये।
🚩सन् 1972 में अहमदाबाद साबरमती के तट पर आश्रम स्थापित किया । भारत की राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व शांति के लिए संत आसारामजी बापू ने राष्ट्र के कल्याणार्थ अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ।
🚩संत आशारामजी बापू के मार्गदर्शन में देश-विदेश में हजारों ‘बाल संस्कार केन्द्र निःशुल्क चलाये जा रहे हैं । इनमें बालकों को माता-पिता का आदर करने के संस्कार, पढाई में अव्वल होने के उपाय और यौगिक प्रयोग आदि सिखाये जाते हैं ।
🚩विद्यालयों में ‘योग व उच्च संस्कार शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें विद्यार्थियों को माता-पिता एवं गुरुजनों का आदर, अनुशासन, यौगिक शिक्षा, आदर्श दिनचर्या, परीक्षा में अच्छे अंक पाने की कुंजियाँ आदि महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अनुभवी वरिष्ठों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता है ।
🚩अब तक देश के 30,000 से अधिक विद्यालय इस अभियान से लाभान्वित हो चुके हैं ।
🚩विद्यार्थियों के बाल, छात्र व कन्या मंडल भी बनाये गए है जो व्यसनमुक्ति अभियान, गौ-रक्षा अभियान, पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम आदि सेवाकार्य करते हैं ।
🚩‘#वेलेंटाइन डे जैसे  त्यौहारों से भी बचने हेतु हर वर्ष 14 फरवरी को विभिन्न विद्यालयों एवं घर-घर में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस'मनाया जा रहा है ।
🚩अब ‘संत श्री आशारामजी गुरुकुलों 'की भी शृंखला स्थापित हो गयी है, जिनमें विद्यार्थियों को लौकिक शिक्षा के साथ-साथ स्मृतिवर्धक यौगिक प्रयोग, योगासन, प्राणायाम, जप, ध्यान आदि के माध्यम से उन्नत जीवन जीने की कला सिखायी जाती है । उनमें सुसंस्कारों का सिंचन किया जाता है तथा उन्हें अपनी महान वैदिक संस्कृति का ज्ञान प्रदान किया जाता है ।
🚩‘युवाधन सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है तथा ‘युवा सेवा संघ एवं ‘महिला उत्थान मंडल की स्थापना की गयी है । इन संगठनों द्वारा भारतभर में ‘संस्कार सभाएँ चलायी जा रही हैं, जिनका लाभ लेकर युवक-युवतियाँ अपना सर्वांगीण विकास कर रहे हैं ।
🚩समाज के पिछडे, शोषित, बेरोजगार व बेसहारा लोगों की सहायता के लिए संत आसारामजी बापू द्वारा ‘भजन करो, भोजन करो, पैसा पाओ योजना चलायी जा रही है ।
🚩इसके अंतर्गत उन्हें कहा जाता है कि वे आश्रम में अथवा आश्रम द्वारा संचालित समितियों के केन्द्रों में आकर दिनभर केवल भजन, कीर्तन और ध्यान करें । उन्हें दिन का भोजन और शाम को घर जाते समय 50 रुपये तक की नकद राशि दी जाती है । इसमें भाग लेनेवालों की संख्या बढती ही जा रही है ।
जिससे ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण में रोक लग रही है और जहाँ लोगों को भोजन की विकट समस्या से निजात मिलती है, वहीं उनका आध्यात्मिक उत्थान भी हो रहा है । इससे बेरोजगार लोगों में आपराधिक प्रवृत्ति को रोकने में बहुत मदद मिल रही है ।
🚩संत आसारामजी बापू का एक बहुत बडा साधक-समुदाय है ।
आज संत श्री आशारामजी आश्रम लाखों-करोडों लोगों का प्रेरणास्रोत बन चुका है । अल्प समय में ही इस संस्था ने विशाल रूप धारण कर लिया है । इससे प्रतीत होता है कि भारत का भविष्य संतों की शरण तथा आशीर्वाद से अवश्य ही उज्ज्वल होगा । भारत पुनः विश्वगुरु की अपनी पदवी प्राप्त करने की राह पर है, जो निःसंदेह उसे प्राप्त होगी ।
🚩भारत के महान संतो की जय...🚩
देखिये वीडियो
https://youtu.be/5n7VuQpYzXw
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