Saturday, September 30, 2017

भारतीय राज्य कश्मीर और असम में हिन्दुओं का बुरा हाल, अस्तित्व भी भारी संकट में

सितम्बर 30, 2017

पूरे विश्व में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं ! नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था परंतु वामपंथ के वर्चस्व के बाद अब वह भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। कई चरमपंथी देश से हिन्दुओं को भगाया जा रहा है, परंतु कोई ध्यान नहीं देता। हिन्दू अपने एक ऐसे देश में रहते हैं, जहाँ के कई हिस्सों से ही उन्हें बेदखल किए जाने का क्रम जारी है, साथ ही उन्हीं के उप-संप्रदायों को गैर-हिन्दू घोषित कर उन्हें आपस में बांटे जाने का षडयंत्र भी जारी है !
The bad situation of Hindus in Indian state, Kashmir and Assam, survival too

अब भारत में भी हिन्दू जाति कई क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बचाने में लगी हुई है। इसके कई कारण हैं। इस सच से हिन्दू सदियों से ही मुंह चुराता रहा है जिसके परिणाम समय-समय पर देखने भी मिलते रहे हैं। इस समस्या के प्रति शुतुर्गमुर्ग बनी भारत की राजनीति निश्‍चित ही हिन्दुओं के लिए पिछले 100 वर्षो में घातक सिद्ध हुई है और अब भी यह घातक ही सिद्ध हो रही है। पिछले 70 वर्षो में हिन्दू अपने ही देश भारत के 8 राज्यों में अल्पसंख्‍यक हो चला है। आईए जानते हैं कि, भारतीय राज्यों में हिन्दुओं की क्या स्थिति है . . .

जनसंख्या : भारत में पंथ पर आधारित जनगणना 2001 के आंकडों के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या में 80.5 प्रतिशत हिन्दू, 13.4 प्रतिशत मुसलमान, 2.3 प्रतिशत ईसाई हैं जबकि पिछली जनगणना में हिन्दू 82 प्रतिशत, मुसलमान 12.1 प्रतिशत और 2.3 प्रतिशत ईसाई थे। 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या में मुसलमानों का हिस्सा 2001 में 13.4 प्रतिशत से बढकर 14.2 प्रतिशत हो गया है।

1999 से 2001 के दशक की 29 प्रतिशत वृद्धि दर की तुलना 2001-2011 के बीच मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि दर घटकर 24 प्रतिशत अवश्य हुई किंतु यह अब भी राष्ट्रीय औसत 18 प्रतिशत से अधिक है। देश के जिन राज्यों में मुसलमानों की जनसंख्या सबसे अधिक है, उनमें क्रमश: जम्मू-कश्मीर (68.3 प्रतिशत) और असम (34.2 प्रतिशत) के बाद प. बंगाल (27.01 प्रतिशत) तीसरे स्थान पर आता है जबकि केरल (26.6 प्रतिशत) चौथे स्थान पर है।

कश्मीर में हिन्दू :

जब हम कश्मीर की बात करते हैं तो उसमें एक कश्मीर वह भी है, जो पाकिस्तान के कब्जे में है और दूसरा वह, जो भारत का एक राज्य है। इसमें जम्मू और लद्दाख अलग से हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मिलाकर एक राज्य गठित होता है। यह संपूर्ण क्षेत्र स्वांतंत्रता के पहले महाराजा हरिसिंह के शासन के अंतर्गत आता था।

2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू और कश्मीर की कुल जनसंख्या 125.41 लाख थी। उसमें 85.67 लाख मुस्लिम थे यानी कुल जनसंख्या के 68.31 प्रतिशत, जैसे कि,1961 में थे, वहीं 2011 में हिन्दुओं की जनसंख्या 35.66 लाख तक पहुंच गई। कुल जनसंख्या का 28.43 प्रतिशत ! इन आंकडों में कश्मीर में हिन्दुओं की जनसंख्‍या घटी जबकि जम्मू में बढी होना जाहिर नहीं हुआ ! अगर पुराने आंकडों की बात करें तो 1941 में संपूर्ण जम्मू और कश्मीर में मुस्लिम जनसंख्या 72.41 प्रतिशत और हिन्दुओं की जनसंख्या 25.01 प्रतिशत थी।

1989 के बाद कश्मीर घाटी में हिन्दुओं के साथ हुए नरसंहार से कश्मीरी पंडित और सिख भी वहां से पलायन कर गए। कश्मीर में वर्ष 1990 में हथियारबंद आंदोलन शुरू होने के बाद से अब तक लाखों कश्मीरी पंडित अपना घर-बार छोडकर चले गए। उस समय हुए नरसंहार में हजारों पंडितों का कत्लेआम हुआ था। बडी संख्या में महिलाओं और लडकियों के साथ बलात्कार हुए थे।

कश्मीर में हिन्दुओं पर हमलों का सिलसिला 1989 में जिहाद के लिए गठित जमात-ए-इस्लामी ने शुरू किया था जिसने कश्मीर में इस्लामिक ड्रेस कोड लागू कर दिया। आतंकी संघटन का नारा था- ‘हम सब एक, तुम भागो या मरो !’ इसके बाद कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड दी। करोडों के मालिक कश्मीरी पंडित अपनी पुश्तैनी जमीन-जायदाद छोडकर शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हो गए। हिंसा के प्रारंभिक दौर में 300 से अधिक हिन्दू महिलाओं और पुरुषों की हत्या हुई थी !

घाटी में कश्मीरी पंडितों के बुरे दिनों की शुरुआत 14 सितंबर 1989 से हुई थी। कश्मीर में आतंकवाद के चलते लगभग 7 लाख से अधिक कश्मीरी पंडित विस्थापित हो गए और वे जम्मू सहित देश के अन्य हिस्सों में जाकर रहने लगे। कभी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के एक क्षेत्र में हिन्दुओं और शियाओं की तादाद बहुत होती थी परंतु वर्तमान में वहां हिन्दू तो एक भी नहीं बचा और शिया समय-समय पर पलायन करके भारत में आते रहे जिनके आने का क्रम अभी भी जारी है !

विस्थापित कश्मीरी पंडितों का एक संघटन है ‘पनुन कश्मीर’ ! इसकी स्थापना सन 1990 के दिसंबर माह में की गई थी। इस संघटन की मांग है कि, कश्मीर के हिन्दुओं के लिए कश्मीर घाटी में अलग राज्य का निर्माण किया जाए। पनुन कश्मीर, कश्मीर का वह हिस्सा है, जहां घनीभूत रूप से कश्मीरी पंडित रहते थे। परंतु 1989 से 1995 के बीच नरसंहार का एक ऐसा दौर चला कि, पंडितों को कश्मीर से पलायन होने पर मजबूर होना पडा !

आंकडों के अनुसार, इस नरसंहार में 6,000 कश्मीरी पंडितों को मारा गया। 7,50,000 पंडितों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। 1,500 मंदिर नष्ट कर दिए गए। कश्मीरी पंडितों के 600 गांवों को इस्लामी नाम दिया गया। केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के अब केवल 808 परिवार रह रहे हैं तथा उनके 59,442 पंजीकृत प्रवासी परिवार घाटी के बाहर रह रहे हैं। कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन से पहले से पहले वहां उनके 430 मंदिर थे। अब इनमें से मात्र 260 सुरक्षित बचे हैं जिनमें से 170 मंदिर क्षतिग्रस्त हैं !

असम में हिन्दू :

असम कभी 100 प्रतिशत हिन्दू बहुल राज्य हुआ करता था ! हिंदू शैव और शाक्तों के अलावा यहां हिन्दुओं की कई जनजाति समूह भी थे। यहा वैष्णव संतों की भी लंबी परंपरा रही है। बौद्ध काल में जहां यहां पर बौद्ध, मुस्लिम काल में लोग मुस्लिम बने वहीं अंग्रेज काल में यहां के गरीब तबके के लोगों को हिंदू से ईसाई बनाने की प्रक्रिया जारी रही !

2001 की जनगणना के अनुसार, अब यहां हिन्दुओं की संख्या 1,72,96,455, मुसलमानों की 82,40,611, ईसाई की 9,86,589, और सिखों की 22,519, बौद्धों की 51,029, जैनियों की 23,957 और 22,999 अन्य धार्मिक समुदायों से संबंधित थे। असम में मुस्लिम जनसंख्या 2001 में 30.9 प्रतिशत थी जबकि 2011 में बढकर वह 34.2 प्रतिशत हो गई। इसमें बाहरी मुस्लिमों की संख्‍या भी बताई जाती है।

असम में 27 जिले हैं जिसमें से असम के बारपेटा, करीमगंज, मोरीगांव, बोंगईगांव, नागांव, ढुबरी, हैलाकंडी, गोलपारा और डारंग 9 मुस्लिम बहुल जनसंख्यावाले जिले हैं, जहां आतंक का राज कायम है ! यहां बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ के चलते राज्य के कई क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की जनसंख्या का संतुलन बिगड गया है। राज्‍य में असमी बोलनेवाले लोगों की संख्‍या कम हुई है। 2001 में 48.8 प्रतिशत लोग असमी बोलते थे जबकि अब इनकी संख्‍या घटकर अब 47 प्रतिशत रह गई है !

1971 के खूनी संघर्ष में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के लाखों मुसलमानों को पडोसी देश भारत के पश्‍चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य (असम आदि) में और दूसरी और म्यांमार (बर्मा में) शरण लेनी पडी ! युद्ध शरणार्थी शिविरों में रहनेवाले मुसलमानों को सरकार की लापरवाही के चलते उनके देश भेजने का कोई उपाय नहीं किया गया। इसके चलते इन लोगों ने यहीं पर अपने पक्के घर बनाना शुरू कर दिए और फिर धीरे-धीरे पिछले चार दशक से जारी घुसपैठ के दौरान सभी बांग्लादेशियों ने मिलकर भूमि और जंगलों पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया !

धीरे-धीरे बांग्लादेशी मुसलमानों सहित स्थानीय मुसलमानों ने (बीटीएडी में) बोडो हिन्दुओं की खेती की 73 प्रतिशत जमीन पर कब्जा कर लिया अब बोडो के पास केवल 27 प्रतिशत जमीन है ! सरकार ने वोट की राजनीति के चलते कभी भी इस सामाजिक बदलाव पर ध्यान नहीं दिया जिसके चलते बोडो समुदाय के लोगों में असंतोष पनपा और फिर उन्होंने हथियार उठाना शुरू कर दिए। यह टकराव का सबसे बडा कारण है !

25 मार्च 1971 के बाद से लगातार अब तक असम में बांग्लादेशी हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही वर्गों का आना लगा रहा। असम ने पहले से ही 1951 से 1971 तक कई बांग्लादेशियों को शरण दी थी परंतु 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश के गठन के बाद से लगातार पश्‍चिम बंगाल और असम में बांग्लादेशी मुस्लिम और हिन्दू शरणार्थियों की समस्या जस की तस बनी हुई है !

असम के लोग अब अपनी ही धरती पर शरणार्थी बन गए हैं। असम के इन लोगों में जहां हिन्दू जनजाति समूह के बोडो, खासी, दिमासा अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड रहे हैं वहीं अन्य स्थानीय असमी भी अब संकट में आ गए हैं और यह सब हुआ है भारत की वोट की राजनीति के चलते ! यहां माओवादी भी सक्रिय है जिनका संबंध मणिपुर और अरुणाचल के उग्रवादियों के साथ है। उन्हें नेपाल और बांग्लादेश के साथ ही भारतीय वामपंथ से सहयोग मिलता रहता है !

आधुनिक युग में यहां पर चाय के बाग में काम करनेवाले बंगाल, बिहार, उडीसा तथा अन्य प्रांतों से आए हुए कुलियों की संख्या प्रमुख हो गई जिसके चलते असम के जनजाती और आम असमी के लोगों के जहां रोजगार छूट गए वहीं वे अपने ही क्षेत्र में हाशिए पर चले गए। इसी के चलते राज्य में असंतोष शुरू हुआ और कई छोटे-छोटे उग्रवादी समूह बनें। इन उग्रवाद समूहों को कई दुश्मन देशों से सहयोग मिलता है ! वोट की राजनीति के चलते कांग्रेस और सीपीएम ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को असम, उत्तर पूर्वांचल और भारत के अन्य राज्यों में बसने दिया। बांग्लादेश से घुसपैठ कर यहां आकर बसे मुसलमानों को कभी यहां से निकाला नहीं गया और उनके राशन कार्ड, वोटर कार्ड और अब आधार कार्ड भी बन गए ! दशकों से जारी इस घुसपैठ के चलते आज इनकी जनसंख्या असम में ही 1 करोड के आसपास है, जबकि पूरे भारत में ये यह फैलकर लगभग साढे तीन करोड के पार हो गए हैं ! यह भारतीय मुसलमानों में इस तरह घुलमिल गए हैं कि, अब इनकी पहचान भी मुश्किल होती है !

असम का एक बडा जनसंख्या वर्ग राज्य में अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों का है जो अनुमान से कहीं अधिक है और जो बांग्ला बोलता है। राज्य के अत्यधिक हिंसा प्रभावित जिलों कोकराझार व चिरांग में बडी संख्या में ये अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठी परिवार रहते हैं जिन्होंने स्थिति को बुरी तरह से बिगाड़ दिया है !

बांग्लादेशी घुसपैठिएं असम में भारत की हिन्दू अनुसूचित जाति एवं अन्य हिन्दुओं के खेत, घर और गांवों पर कब्जा करके हिन्दुओं को भगाने में लगे हुए हैं। कारबी, आंगलौंग, खासी, जयंतिया, बोडो, दिमासा एवं 50 से ज्यादा जनजाति के खेत, घर और जीवन पर निरंतर हमलों से खतरा बढता ही गया जिस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया। घुसपैठियों को स्थानीय सहयोग और राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है !

शिविर :

असम में जातीय हिंसा प्रभावित जिलों में बनाए गए 300 से ज्यादा राहत शिविरों में चार लाख शरणार्थियों की जिंदगी बदतर हो गई है ! कोकराझार के बाहर जहां बोडो हिन्दुओं के शिविर हैं वहीं धुबरी के बाहर बांग्लादेशी मुस्लिमों के शिविर है। कोकराझार, धुबरी, बोडो टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक (बीटीएडी) और आसपास के क्षेत्रों में फैली हिंसा के कारण से अपने घर छोडकर राहत शिविरों में पहुंचे लोग यहां भी भयभीत हैं शिविरों में शरणार्थियों की जिंदगी बद से बदतर हो गई है। शिविरों में क्षमता से ज्यादा लोगों के होने से पूरी व्यवस्था नाकाम साबित हो रही हैं। दूसरी ओर लोगों के रोजगार और धंधे बंद होने के कारण वह पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हो गए हैं !

कहां कितने बांग्लादेशी :

2001 की आयबी की एक खु‍फिया रिपोर्ट के अनुसार, लगभग डेढ करोड से अधिक बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं जिसमें से 80 लाख पश्चिम बंगाल में और 50 लाख के लगभग असम में, बिहार के किसनगंज, साहेबगंज, कटियार और पूर्णिया जिलों में भी लगभग 4.5, देहली में 13 लाख, त्रिपुरा में 3.75 लाख और इसके अलावा नागालैंड व मिजोरम भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के किए शरणस्थली बने हुए हैं !

खुद को कहते हैं भारतीय :

1999 में नागालैंड में अवैध घुसपैठियों की संख्या जहाँ 20 हजार थी वहीं अब यह बढकर 80 हजार के पार हो गई है ! असम के 27 जिलों में से 8 में बांग्लादेशी मुसलमान बहुसंख्यक बन चुके हैं ! सर्चिंग के चलते अब बांग्लादेशी घुसपैठिए उक्त जगहों के अलावा भारत के उन राज्यों में भी रहने लगे हैं जो अपेक्षाकृत शांत और संदेह रहित है जैसे मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, गुजरात के बडौदा, अहमदाबाद, राजस्थान के जयपुर और उदयपुर, उडीसा, अंध्राप्रदेश आदि।

देश के अन्य राज्यों में मुस्लिमों के बीच छुप गए बांग्लादेशी अब खुद को पश्चिम बंगाल का कहते हैं !
स्त्रोत : वेब विश्व

Friday, September 29, 2017

जानिए दशहरे का इतिहास,इस दिन ऐसा क्या करने से सालभर गृहस्थ में विघ्न नहीं आएंगे?

सितम्बर 29, 2017

🚩 सभी पर्वों की अपनी-अपनी महिमा है किंतु दशहरा पर्व की महिमा जीवन के सभी पहलुओं के विकास, सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करती है । दशहरे के बाद पर्वों का झुंड आयेगा लेकिन सर्वांगीण विकास का #श्रीगणेश कराता है दशहरा ।
इस साल दशहरा 30 सितम्बर को है।
Know the history of Dussehra 

🚩दशहरा दश पापों को हरनेवाला, दश शक्तियों को विकसित करनेवाला, दशों दिशाओं में #मंगल करनेवाला और दश प्रकार की विजय देनेवाला पर्व है, इसलिए इसे ‘#विजयादशमी’ भी कहते हैं ।

🚩यह #अधर्म पर #धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर #अंतर्मुखता की विजय, #अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर संयम की विजय, #आसुरी तत्त्वों पर दैवी तत्त्वों की #विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है । 

🚩दशहरे का इतिहास !!

🚩1. भगवान #श्री_राम के पूर्वज अयोध्या के राजा रघु ने विश्वजीत यज्ञ किया । सर्व संपत्ति दान कर वे एक पर्णकुटी में रहने लगे । वहां #कौत्स नामक एक #ब्राह्मण पुत्र आया । उसने राजा रघु को बताया कि उसे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की आवश्यकता है । तब राजा रघु कुबेर पर #आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए । डरकर कुबेर राजा रघु की शरण में आए तथा उन्होंने अश्मंतक एवं शमी के वृक्षों पर #स्वर्णमुद्राओं की वर्षा की । उनमें से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्णमुद्राएं ली । जो #स्वर्णमुद्राएं #कौत्स ने नहीं ली, वह सब राजा रघु ने बांट दी । तभी से दशहरे के दिन एक दूसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक के पत्ते देते हैं ।


🚩2. #त्रेतायुग में प्रभु श्री राम ने इस दिन रावण वध के लिए प्रस्थान किया था । रामचंद्र ने रावण पर #विजयप्राप्ति के पश्चात इसी दिन उनका वध किया । इसलिये इस दिन को ‘विजयादशमी’ का नाम प्राप्त हुआ ।

🚩3. द्वापरयुग में अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने #शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गायें #चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की, वो भी इसी दिन था ।

🚩4. दशहरे के दिन #इष्टमित्रों को सोना (अश्मंतक के पत्ते के रूप में) देने की प्रथा महाराष्ट्र में है ।

🚩इस प्रथा का भी #ऐतिहासिक महत्त्व है । मराठा वीर शत्रु के देश पर मुहिम चलाकर उनका प्रदेश लूटकर #सोने-चांदी की संपत्ति घर लाते थे । जब ये विजयी वीर अथवा सिपाही #मुहिम से लौटते, तब उनकी पत्नी अथवा बहन द्वार पर उनकी आरती उतारती । फिर परदेस से लूटकर लाई संपत्ति की एक-दो मुद्रा वे आरती की थाली में डालते थे । घर लौटने पर लाई हुई संपत्ति को वे भगवान के समक्ष रखते थे । तदुपरांत देवता तथा अपने बुजुर्गों को नमस्कार कर, उनका आशीर्वाद लेते थे । वर्तमान काल में इस घटना की स्मृति अश्मंतक के पत्तों को सोने के रूप में बांटने के रूप में शेष रह गई है ।

🚩5. वैसे देखा जाए, तो यह त्यौहार प्राचीन काल से चला आ रहा है । आरंभ में यह एक कृषि  संबंधी #लोकोत्सव था । वर्षा ऋतु में बोई गई धान की पहली फसल जब किसान घर में लाते, तब यह उत्सव मनाते थे । 

🚩नवरात्रि में घटस्थापना के दिन #कलश के स्थंडिल (वेदी)पर नौ प्रकार के अनाज बोते हैं एवं दशहरे के दिन उनके अंकुरों को निकालकर देवता को चढाते हैं । अनेक स्थानों पर अनाज की बालियां तोड़कर प्रवेशद्वार पर उसे #बंदनवार के समान बांधते हैं । यह प्रथा भी इस त्यौहार का कृषि संबंधी स्वरूप ही व्यक्त करती है । आगे इसी त्यौहार को #धार्मिक स्वरूप दिया गया और यह एक राजकीय स्वरूप का त्यौहार भी सिद्ध हुआ ।

🚩इसी दिन लोग नया कार्य #प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। 

🚩दशहरा अर्थात विजयदशमी भगवान राम की #विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह #शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। #हर्ष और #उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के #रक्त में #वीरता प्रकट हो इसलिए #दशहरे का उत्सव रखा गया है।

🚩दशहरें का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, #लोभ, मोह,मद, मत्सर, #अहंकार, #आलस्य, #हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। 

🚩देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाने के #साथ-साथ यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे #देशों में भी मनाया जाता हैं।

🚩दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व #सिद्धिदायी #विजयकाल कहलाता है ।
  
🚩उस समय शाम को घर पर ही स्नान आदि करके, दिन के कपड़े #बदल कर धुले हुए कपड़े पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाएँ ।

🚩विजयादशमी के इस विजयकाल में थोड़ी देर 
"राम रामाय नम:" मंत्र के नाम का जप करें ।

🚩फिर मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान सर्व #सिद्धिदायी #विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए "ॐ अपराजितायै नमः "मंत्र का जप कर रहे हैं ।

🚩इस #मंत्र की एक- दो माला जप करके श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें...

🚩"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।"

🚩दशहरे के दिन #विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के #दशहरे तक गृहस्थ में #जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं ।

🚩दशहरा व्यक्ति में #क्षात्रभाव का संवर्धन करता है । शस्त्रों का पूजन #क्षात्रतेज कार्यशील करने के प्रतीकस्वरूप किया जाता है । इस दिन #शस्त्रपूजन कर देवताओं की मारक शक्ति का आवाहन किया जाता है । 

🚩इस दिन प्रत्येक #व्यक्ति अपने जीवन में नित्य उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का शस्त्र के रूप में पूजन करता है । किसान एवं #कारीगर अपने उपकरणोें एवं #शस्त्रों की पूजा करते हैं । लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं, इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं । इस पूजन का उद्देश्य यही है कि उन विषय- वस्तुओं में ईश्वर का रूप देख पाना; अर्थात #ईश्वर से एकरूप होने का प्रयत्न करना ।

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Thursday, September 28, 2017

इंडिया न्यूज, न्यूज 24 ने दिखाई झूठी खबर, कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी

सितम्बर 28, 2017

गुरुग्राम : मानवीय मूल्यों एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु बनाया गया हिन्दू संगठन "जन  जागरण  मंच" ने एक प्रेस विज्ञप्ति निकाली है ।

प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि इंडिया न्यूज, न्यूज 24, न्यूज नेशन चैनल के मालिक और अन्य पदाधिकारियों के विरुद्ध पोक्सो एक्ट व अन्य धाराओं के तहत दो साल से दर्ज F.I.R में पुलिस प्रशासन से सामाजिक व हिन्दू संगठनों ने की कार्रवाई की मांग।
India News, News24, News Nation shows false news, may be arrested anytime

बुधवार 27 तारीख को सेक्टर 51 महिला थाना गुरुग्राम पर सामाजिक व हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता ने जन जागरण मंच के उतरप्रदेश अध्यक्ष मनोज त्यागी बाबा एवं गुरुग्राम जिलाध्यक्ष हरिकेश, विश्व हिन्दू एकता मंच दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार एवं गुरुग्राम जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव, यूथ सनातन सेवा संघ के राष्ट्रीय महासचिव बम बम ठाकुर, श्री परशुराम सेना युवावाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनूप दूबे उपाध्यक्ष श्री राहुल राज तिवारी, युवा सेवा संघ के गुरुग्राम जिलाध्यक्ष रोहित सैनी, अखिल भारतीय नारी रक्षा मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मति रुपाली दुबे, कार्यकर्ता कोमल, गुरुग्राम महिला मण्डल के कार्यकर्ता मीरा बहन सुुशीला कुमारी मनीषा बहन आदि सभी संगठन व सैकड़ो लोग महिला थाना के थानाध्यक्ष से मुलाकात करने पहुंचे । जन जागरण मंच के यूपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज त्यागी बाबा ने वहां पर पहुंची मीडिया को बताया कि भारतीय संस्कृति एवं संतो की अस्मिता पर कुठाराघात करने वाले तथा भोले भाले हिन्दू  समाज को गुमराह करने वाले इंडिया न्यूज़, News24, न्यूज नेशन के वरिष्ठ अधिकारियों एवं मालिक के विरुद्ध 2 साल से पोक्सो एक्ट 83 जैसे गंभीर धाराओं के तहत FIR दर्ज है लेकिन गुडगांव के पुलिस प्रशासन ने अभी तक इस  F.I.R प्रकरण मैं वादीपक्ष  के बयान तक दर्ज नहीं किया गये हैं और ना ही कोई कार्यवाही की जा रही है।



प्रतिपक्ष की तरफ से बार-बार प्रशासन से कार्रवाई की मांग की जा रही है। लेकिन वादी पक्ष को  एक बार भी नहीं सुना गया ।  मनोज त्यागी बाबा ने बताया कि यह F.I.R सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दर्ज की गई और पोक्सो एक्ट जैसे संगीन धारा में प्रथम पक्ष के धारा164 के बयान दर्ज कर के आरोपियों की  गिरफ्तारी का प्रावधान है। लेकिन आरोपी दबंग एवं मीडिया से जुडे हुए हैं। इसीलिये पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण हिन्दू संगठन जनता अपना आक्रोश प्रकट करने एवं आरोपियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर महिला थाना गुरुग्राम पहुंचे। 

पुलिस थाना पहुंचे अन्य संगठनों ने इंडिया न्यूज न्यूज नेशन, न्यूज़24 के पदाधिकारियो को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की, साथ ही संगठनों द्वारा पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गये। 

सामाजिक एवं हिंदू संगठनों ने कहा कि भारतीय संविधान सबके लिए एक समान है जबकि गुरुग्राम महिला थाना पुलिस पक्षपात कर रही है।साथ ही प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि आरोपी व्यक्ति TV चैनल पर लगातार हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। जिससे आरोपी खुलेआम बाहर घूम रहा है और पुलिस निष्क्रिय बनी बैठी है।जिसके कारण आरोपियों के हौंसले बुलन्द हैं।आरोपी खुद को संविधान से ऊपर समझ रहे हैं।जिनकी गिरफ्तारी अविलम्ब की जानी चाहिये।    

जन जागरण मंच, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश (बाबा)मनोज त्यागी। रजि०- 10727, क्षेत्रीय  कार्यालय – मकान सं० 348, सेक्टर- 12A गुरुग्राम, पिन-122001 

गौरतलब है कि हिन्दू संत आसाराम जी बापू की जब षडयंत्र के तहत 2013 में गिरफ्तारी हुई थी तब इन न्यूज चैनलों ने 9 साल की छोटी बच्ची के वीडियो को एडिटिंग करके बापू आसारामजी का MMS करके बताया था, बच्ची के माता-पिता ने आहत होकर इन न्यूज चैनलों के खिलाफ केस दर्ज कर दिया था पर पुलिस प्रशासन द्वारा अभीतक कोई कार्यवाही नही होने पर फिर से कई हिन्दू सगठनों ने मिलकर इंडिया न्यूज़, न्यूज़ 24 और न्यूज़ नेशन के मालिकों की गिरफ्तारी की मांग की है ।

आपको बता दें कि इंडिया न्यूज के चीफ एडिटर दीपक चौरसिया सहित कई बड़े -बड़े अधिकारियों ने बापू आशारामजी के खिलाफ कई मनगढंत झूठी कहानियां बनाकर दिखाने पर पटना कोर्ट ने तो कई बार इनकी गिरफ्तारी का वॉरन्ट निकाला है पर डर के कारण पुलिस प्रशासन उनको गिरफ्तारी नही कर पा रही है।

सभी हिन्दू सगठनों का कहना है कि हिन्दू संतों को आधी रात में बिना सबूत गिरफ्तारी करने वाली मीडिया सबूत होते हुए, कोर्ट का आदेश होते हुए भी मीडिया के मालिकों की गिरफ्तारी क्यों नही हो रही है???

अब देखना है कि झूठी खबरें दिखाने वाले मीडिया के अधिकारियों की गिरफ्तारी का कोर्ट आदेश मानकर सरकार प्रशासन को आदेश देती है कि नही ???

Wednesday, September 27, 2017

अमेरिका में वरिष्ठ पत्रकार सुरेश चव्हाणके ने बताया कि मीडिया हिन्दुविरोधी क्यों है?

सितम्बर 27, 2017

🚩अमेरिका, न्यूयॉर्क में आयोजित "#हिन्दू एकता दिवस" के शुभ अवसर पर एक आयोजित कार्यक्रम में भारत के साहसी #सुदर्शन चैनल के मुख्य संपादक #सुरेश चव्हाणके ने #मीडिया द्वारा दिखाई जाने वाली #झूठी खबरों का किया #पर्दाफाश

🚩सुरेश चव्हाणके ने बताया कि आज मुझे अपने भाषण में हिन्दू और मीडिया इस विषय पर बोलना है । आज हम #हिन्दू #Unity के मौके पर बोल रहे हैं। लेकिन मुझे लग रहा है कि हम कौनसा Hindu Unity Day (हिन्दू एकता दिवस) मना रहे हैं ?
Suresh Chawanke On Hindu And Media

 🚩संख्यात्मक दृष्टि से जो शुरू किया वो कार्य तो हम कर रहे हैं लेकिन जो हिन्दू यूनिटी हुई नहीं उसका हम आनेवाले हिन्दू यूनिटी डे के लिए मना रहें हैं। इसलिए इसका महत्व भविष्य के लिए भी है जो पीछे नहीं हो पाया लेकिन आगे हमको करना पड़ेगा ।

🚩बताया कि मैं जिस मीडिया को #रिप्रेसन्ट करता हूँ वो #मीडिया भारत में #आतंकवाद #फैला रहे आतंकवादियों से कम भूमिका नहीं निभा रहा ।
जितना भी बंदूकों और गोलियों के द्वारा #आतंकवाद #फैलाया जाता है,उससे भी #खतरनाक #मीडिया के द्वारा भारत में फैलाया जा रहा है । 

🚩आगे कहा कि मीडिया के खिलाफ आवाज उठाने के लिए मैंने सुदर्शन न्यूज चैनल शुरू किया है । उनके नंगा नाच को #एक्सपोज्ड करने के लिए मैं देश-विदेश में घूम रहा हूँ ।
 क्योंकि हिंदुस्तानी बड़े भोले होते हैं । वो मानते हैं कि जो मीडिया वाला दिखा रहा है, जो TV  में दिख रहा है, जो पेपर वाला लिख रहा है वो सत्य है । 

 🚩हम सज्जन है तो हम ऐसा मानते हैं कि सामनेवाला व्यक्ति भी अपनी भूमिका सज्जनता से ईमानदारी से निभा रहा होगा । 
लेकिन वो सच नहीं है वो अपनी भूमिका किसी अजेंड के तहत निभा रहा है । वो अपनी भूमिका किसी दूसरे के कहने पर निभा रहा है, TV का रिमोंट भले ही आपके पास हो लेकिन #TV में बोलनेवाला का #रिमोंट अमेरिका में #चर्चेस (ईसाई मिशनरियों) के पास है । उसका #रिमोंट सैकड़ो डॉलर देनेवाले #विदेशी सेठों के पास है । अगर उस रिमोंट को हम नहीं समझेंगे तो हम उनकी बातों में आ जाएंगे और हम अपने आपको मिटाने का पाप करेंगे ।


🚩मीडिया का साधु-संतों को बदनाम करने का एजेंडा क्या है?

🚩सुरेशजी ने बताया कि आज भारत का मीडिया क्या कह रहा है ? 
भारत के साधु - संतों को पूरी तरह से नष्ट नाबूत कर रहा है । दुनिया में सारी सभ्यताएं थी । कोई भी सभ्यता 2000 साल से ज्यादा टिकती नहीं ।

 🚩सामान्यतः ऐसा माना जाता है लेकिन लाखों सालों के बाद भी हमारी सभ्यता बनी है ये क्यों बनी है ? इसके लिए समस्या दिखी और समाधान ढूंढने की दिशा में #राष्ट्र विरोधी #ताकतों ने उपाय ढूंढा ।

 🚩 जो उपाय हो सकता है वो उपाय ये था कि ये हिन्दू #संस्कृति इसलिए बची है क्योंकि कितने भी आघात क्यों न हो जाए #साधु-संत इनको #जोड़े रखते हैं । अपने #भजनों से, #प्रवचनों से, #कथाओं से, पुस्तकों से अगर साधु-संतों को नष्ट नाबूत नहीं करेंगे तो कितने भी बादशाह आ जाए, कितने भी अंग्रेज आ जाए, कितने भी औरंगजेब आ जाए यहाँ पर शिवाजी पैदा होगा । क्योंकि यहाँ पर समर्थ रामदासजी जैसे संत होते हैं । इसलिए शिवाजी जैसे वीरो को रोकना है तो रामदासजी जैसे साधु-संतों को खत्म करना होगा इसलिए भारत में #साधु- संतों को #खत्म करने का बड़ा #अभियान सा #चला है ।

🚩मैं कई बार बोलता हूँ कि भारत में जो साधु संत हैं बाबा हैं, बापूजी हैं, इनके खिलाफ भारत का मीडिया इतना जहर क्यों उगलता है ? 

🚩तो मुझे किसीने पूछा कि साधु-संत इतना श्रेष्ठ कार्य करते हैं फिर भी उनके खिलाफ मीडिया क्यों बोलती है..??
🚩 मैंने कहा कि कई ऐसे हैं जो अपने बाप को नहीं समझते तो बापू को क्या समझेंगे? 
जो ऐसे जगह पड़े है जहाँ पर बाप क्या होता है ? बापू क्या होता है ? संत क्या होते है ? संतो की परंपरा क्या होती है ? इनको पता ही नहीं है ।

 🚩 मीडिया दूसरे के एजेंडे पर चलते हुए और अपने एजेंडे को अंजाम देते हुए ऐसे महान साधु-संतों के खिलाफ काम कर रहे हैं ।

🚩वे आगे बोले कि कैसा भेदभाव है ? जब #मदर टेरेसा अपने #धर्मांतरण का काम करें फिर भी उसको #भारत रत्न !! 

🚩मदर टेरेसा अपने ईसाई धर्म का काम करने के लिए भारत मे अधार्मिक काम करे फिर भी सारा मीडिया उसके पक्ष में बोलता है । उसके खिलाफ नहीं बोलता । 
लेकिन हिन्दू साधु-संत जो काम करते हैं उनको उतनी प्रतिष्ठा नहीं मिलती जितनी ईसाई मिशनरियों को मिलती है।

🚩 ये सवाल भारत की मीडिया को पूछना पड़ेगा कि आखिर ऐसा भेदभाव क्यों है ???

🚩सुरेश चव्हाणके ने कई बार बताया है कि अधिकतर #मीडिया को #ईसाई मिशनरियों की #वेटिकन सिटी और #अरब देश से #फंडिग होती है, जिससे वे हिन्दू #संस्कृति #तोड़ने के लिए हिन्दुओं की आस्था स्वरूप हिन्दू साधु-संतों के प्रति भारत की जनता के मन में नफरत पैदा करने का #काम करते हैं । वे हिन्दुओं के मन में ये डालने का प्रयास करते हैं कि आपके धर्मगुरु तो अपराधी हैं आप हिन्दू धर्म छोड़कर हमारे धर्म में आ जाओ । ये उनकी थ्योरी है । जबकि वे #मौलवी और #ईसाई #पादरियों के #कुकर्म नही बताते ।

🚩हिन्दुस्तान सावधान रहें, #साधु-संतों को #बदनाम करने के लिए #राष्ट्रविरोधी #ताकतों द्वारा #लड़कियां #तैयार की जाती है और फिर #मीडिया उनको खूब #बदनामी करती है और #राजनीति के तहत जेल में भेजा जाता है, #मीडिया और #राजनीति का इतना #दबाब होता है कि #न्यायालय भी उनके #पक्ष में #नही आता है ।

🚩अतः हिन्दुस्तानी इस #षडयंत्र को #समझे और खुलकर #विरोध करें ।

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