Saturday, December 31, 2016

Do You Know Real History of New Year Celebration ?

क्या आप 1 जनवरी के नववर्ष का इतिहास जानते हो...???

नव वर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था ।
Do You Know Real History of New Year Celebration

उसके बाद ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे ।

हमारे महान भारत में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में  स्थापना की । उसके बाद भारत को 190 साल तक गुलाम बनाकर रखा गया। इसमें वो लोग लगे हुए थे जो हमारे ऋषि मुनियों की प्राचीन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे। लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया ।

हमारा प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें हम अपने मूल इतिहास को भूल गये  और हमें अंग्रेजों के गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भाले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे ।

हद तो तब हो जाती है कि एक दूसरे को नववर्ष की बधाई देने लग जाते हैं ।

क्या ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..???

किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर हमारे भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?

यह आने वाला नया वर्ष 2017 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया साल है।

मुस्लिम का नया साल होता है और वो हिजरी कहलाता है इस समय 1437 हिजरी चल रही है।

हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2073 चल रहा है।

इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है । 

इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए । उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि कहाँ करोडों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ हम 2000 साल पुराना नव वर्ष मना रहे हैं!

जरा सोचिए....!!!

सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है। 

यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु  सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इस इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!

 जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी उसका नामकरण हिन्दू कैलेंडर से नहीं करते, हिन्दू पंचांग से किया जाता है । ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह,जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है । सारे व्रत त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं। मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है।

मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है।

आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत कैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं  |
 इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता।

सोचिये! फिर आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ? 

अतः हिन्दू अपने सनातन धर्म के नव वर्ष को ही मनायें ।


एक देशभक्त ने लिखा है कि..

अपने मन को समझाऊँ कैसे..?
आज मंगलगीत मैं गाऊँ कैसे..?
भगत सिंह को फाँसी पर चढ़ा दिया जिन्होंने,
मैं उनका नववर्ष मनाऊँ कैसे..?

एक कवि ने क्या खूब कहा है कि...

 हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।
ईस्वी सन तो याद रहा , पर अपना संवत्सर भूल गए ।।
चारों तरफ नए साल का , ऐसा मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे , जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।
धरती ठिठुर रही सर्दी से , घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है , जिससे सूरज भी शरमाया है ।।
सूनी है पेड़ों की डालें , फूल नहीं हैं उपवन में ।
पर्वत ढके बर्फ से सारे , रंग कहां है जीवन में ।।
बाट जोह रही सारी प्रकृति , आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो , सजनी अपने साजन का ।।
लिए बहारें आँचल में , जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके , धरती दुल्हन बन जाएगी ।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा , दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में , हम गीत खुशी के गाएँगे ।।
उठो खुद को पहचानो , यूँ कबतक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर , कबतक ढोते रहोगे तुम ।।
अपनी समृद्ध परंपराओं का , आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यवृत के वासी हैं हम , अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।।

क्या आप 1 जनवरी के नववर्ष का इतिहास जानते हो...???

क्या आप 1 जनवरी के नववर्ष का इतिहास जानते हो...???

नव वर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था ।
Do You Know Real History of New Year Celebration

उसके बाद ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे ।

हमारे महान भारत में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में  स्थापना की । उसके बाद भारत को 190 साल तक गुलाम बनाकर रखा गया। इसमें वो लोग लगे हुए थे जो हमारे ऋषि मुनियों की प्राचीन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे। लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया ।

हमारा प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें हम अपने मूल इतिहास को भूल गये  और हमें अंग्रेजों के गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भाले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे ।

हद तो तब हो जाती है कि एक दूसरे को नववर्ष की बधाई देने लग जाते हैं ।

क्या ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..???

किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर हमारे भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?

यह आने वाला नया वर्ष 2017 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया साल है।

मुस्लिम का नया साल होता है और वो हिजरी कहलाता है इस समय 1437 हिजरी चल रही है।

हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2073 चल रहा है।

इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है । 

इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए । उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि कहाँ करोडों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ हम 2000 साल पुराना नव वर्ष मना रहे हैं!

जरा सोचिए....!!!

सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है। 

यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु  सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इस इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!

 जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी उसका नामकरण हिन्दू कैलेंडर से नहीं करते, हिन्दू पंचांग से किया जाता है । ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह,जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है । सारे व्रत त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं। मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है।

मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है।

आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत कैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं  |
 इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता।

सोचिये! फिर आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ? 

अतः हिन्दू अपने सनातन धर्म के नव वर्ष को ही मनायें ।


एक देशभक्त ने लिखा है कि..

अपने मन को समझाऊँ कैसे..?
आज मंगलगीत मैं गाऊँ कैसे..?
भगत सिंह को फाँसी पर चढ़ा दिया जिन्होंने,
मैं उनका नववर्ष मनाऊँ कैसे..?

एक कवि ने क्या खूब कहा है कि...

 हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।
ईस्वी सन तो याद रहा , पर अपना संवत्सर भूल गए ।।
चारों तरफ नए साल का , ऐसा मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे , जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।
धरती ठिठुर रही सर्दी से , घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है , जिससे सूरज भी शरमाया है ।।
सूनी है पेड़ों की डालें , फूल नहीं हैं उपवन में ।
पर्वत ढके बर्फ से सारे , रंग कहां है जीवन में ।।
बाट जोह रही सारी प्रकृति , आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो , सजनी अपने साजन का ।।
लिए बहारें आँचल में , जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके , धरती दुल्हन बन जाएगी ।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा , दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में , हम गीत खुशी के गाएँगे ।।
उठो खुद को पहचानो , यूँ कबतक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर , कबतक ढोते रहोगे तुम ।।
अपनी समृद्ध परंपराओं का , आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यवृत के वासी हैं हम , अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।।

Friday, December 30, 2016

यह अंग्रेजी नववर्ष, हमारे दिव्य संस्कारों को खा गया !!

यह अंग्रेजी नववर्ष, हमारे दिव्य संस्कारों को खा गया!!


क्या विडम्भना है भारत की,देख चित घबराता है!
हिन्दू ही भूल गये, नया साल कब आता है!!
शराब, माँस का भोग लगाता, एक त्यौहार आ गया!
यह अंग्रेजी नववर्ष,हमारे संस्कारों को खा गया!!
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अपनी संस्कृति से अपरिचित भ्रमित हिंदुओं द्वारा ही 31 दिसंबर की रात्रि में एक-दूसरे को "हैपी न्यू ईयर" कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं दी जाती हैं।

वास्तविकता में भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा ही हिंदुओं के नववर्ष का दिन है । लेकिन भारतीय वर्षारंभ के दिन चैत्र प्रतिपदा पर एक-दूसरे को शुभकामनायें देने वाले हिंदुओं के दर्शन अब दुर्लभ हो गए हैं ।

ऋषि मुनियों के देश भारत में 31 दिसम्बर को त्यौहार के नाम पर शराब और कबाब उड़ाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना क्या हम हिंदुओं को शोभा देता है..???

भारतवासी जरा सोचे!

जिन अंग्रेजो ने हमें 200 साल तक गुलाम बनाये रखा, हमारे पूर्वजों पर अत्याचार किया, सोने की चिड़िया कहलाने वाले हमारे भारत को लूटकर ले गए, हमारी वैदिक शिक्षा पद्धति को खत्म कर दिया उनका नया वर्ष मनाना कहाँ तक उचित है..???

जो अंग्रेज हमारे भारत पर 200 साल राज करने के बाद भी,हमारा एक भी त्यौहार नहीं मनाते तो हम उनका त्यौहार क्यों मना रहे हैं..??? 

S.O Chem की रिपोर्ट के अनुसार
14 से 19 वर्ष के बच्चें इन दिनों में शराब का जमकर सेवन करते हैं। जिससे शराब की खपत तीन गुना बढ़ जाती है |

आँकड़े बताते हैं कि अमेरिका व यूरोप में भारत से 10 गुणा ज्यादा दवाईयां खर्च होती हैं ।

वहाँ मानसिक रोग इतने बढ़ गए हैं कि हर दस अमेरिकन में से एक को मानसिक रोग होता है । दुर्वासनाएँ इतनी बढ़ी हैं कि हर छः सेकंड में एक बलात्कार होता है और हर वर्ष लगभग 20 लाख से अधिक कन्याएँ विवाह के पूर्व ही गर्भवती हो जाती हैं । वहाँ पर 65% शादियाँ तलाक में बदल जाती हैं । AIDS की बीमारी दिन दुगनी रात चौगुनी फैलती जा रही है | वहाँ के पारिवारिक व सामाजिक जीवन में क्रोध, कलह, असंतोष,संताप, उच्छृंखता, उद्यंडता और शत्रुता का महा भयानक वातावरण छाया रहता है ।

विश्व की लगभग 4% जनसंख्या अमेरिका में है । उसके उपभोग के लिये विश्व की लगभग 40% साधन-सामग्री (जैसे कि कार, टी वी, वातानुकूलित मकान आदि) मौजूद हैं फिर भी वहाँ अपराधवृति इतनी बढ़ी है कि हर 10 सेकण्ड में एक सेंधमारी होती है, 1 लाख व्यक्तियों में से 425 व्यक्ति कारागार में सजा भोग रहे हैं। 


31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर दारू पीते हैं। हंगामा करते हैं ,रात को दारू पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस व प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश होता है और 1 जनवरी से आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढ़ती ही रहती हैं ।

जबकि भारतीय नववर्ष नवरात्रों के व्रत से शुरू होता है घर-घर में माता रानी की पूजा होती है।शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है। 
चैत्र प्रतिपदा के दिन से महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुवात, भगवान झूलेलाल का जन्म,
नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध है। 

⛳
ऐसे भोगी देश का अन्धानुकरण न करके युवा पीढ़ी अपने देश की महान संस्कृति को पहचाने।

1जनवरी में नया कलैण्डर आता है। लेकिन
चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व ,विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं । इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग। 

स्वयं सोचे कि क्यों मनाये हम एक जनवरी को नया वर्ष..???

केवल कैलेंडर बदलें अपनी संस्कृति नही...!!!

रावण रूपी पाश्‍चात्य संस्कृति के आक्रमणों को नष्ट कर, चैत्र प्रतिपदा के दिन नववर्ष का विजयध्वज अपने घरों व मंदिरों पर फहराएं।

अंग्रेजी गुलामी तजकर ,अमर स्वाभिमान भर ले हम!
हिन्दू नववर्ष मनाकर खुद में आत्मसम्मान भर ले हम!!

 


Thursday, December 29, 2016

धुलागढ़ दंगा के समय पुलिस ने हिन्दुओं से कहा, दो मिनट में घर से भाग जाओ !

धुलागढ़ दंगा के समय पुलिस ने हिन्दुओं से कहा, दो मिनट में घर से भाग जाओ!

पश्च‍िम बंगाल के हावड़ा के पास स्थित धुलागढ़ में दंगा हुए दो हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन लोगों में भय अब भी बना हुआ है। हिंसक भीड़ के हमलों से तमाम लोग बेघर हो गए हैं और अब भी अपने घरों में लौटने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं । 
धुलागढ़ दंगा के समय पुलिस ने हिन्दुओं से कहा, दो मिनट में घर से भाग जाओ ! 

राज्य सरकार के सचिवालय से महज 20 कि.मी की दूरी पर स्थित इस छोटा-से कस्बे में आज हर तरफ जले और टूटे हुए घर दिख रहे हैं । तमाम लोग यह इलाका छोड़कर भाग चुके हैं । धुलागढ़ दंगों पर जमकर राजनीति हो रही है, लेकिन इस उन्मादी हिंसा में सबकुछ गंवा देने वालों की मदद के बारे में कोई नहीं सोच रहा ।

रामपद मन्ना और उनकी पत्नी सीमा उन कुछ लोगों में से हैं, जो किसी तरह हिम्मत जुटाकर अपने घर वापस आ गए हैं । सीमा बेसब्री से यह देखने में लगी हैं कि उनके घर में कुछ बचा भी है या नहीं । रामपद बताते हैं, 'अब हम यहां नहीं रह सकते, इसलिए हमने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है । उस दिन पुलिस आई तो थी, लेकिन जब हमारे ऊपर हमला हुआ, तो पुलिस भी भाग खड़ी हुई । तीन सदस्यों के परिवार का पेट पालने वाले मन्ना नाई हैं । दंगे के दिन हिंसक भीड़ ने उनके गेट को तोड़ दिया और घर को तहस-नहस कर दिया । सीमा ने कहा, 'हम बहुत गरीब हैं । हमने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए बड़ी मुश्किल से एक लैपटॉप खरीदा था, जिसे दंगाई उठा ले गए। यही नही, उन्होंने हमारे 65,000 रुपये भी लूट लिए जो हमने एलआईसी में जमा करने के लिए रखे थे ।'

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे !!

बनर्जी पाड़ा में स्थित मन्ना के घर के बगल में ही मंडल परिवार रहता है । दो बच्चों की मां मैत्री मंडल कहती हैं कि 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए हिंसक भीड़ उनके बेडरूम में आ गई और उनका मकान जला दिया । उन्होंने रोते हुए कहा, ' मेरा बेटे को इस फरवरी में बोर्ड का एग्जाम देना है, लेकिन उन्होंने सब कुछ तबाह कर दिया । उसकी सभी किताबें जलकर नष्ट हो गई हैं । मेरा बेटा तबसे सदमे में है ।'

देर से पहुंची पुलिस!!

मैत्री ने बताया, 'पांच घंटे तक वे (दंगाई) उपद्रव करते रहे और पुलिस तब आई जब हमारा सबकुछ नष्ट हो चुका था । एक भी मंत्री हमारा हाल जानने नहीं आया ।' राजनीति तो सभी कर रहे हैं, लेकिन दंगापीड़‍ितों की मदद के लिए कोई सामने नहीं आ रहा। राज्य सरकार ने पीड़ितों के लिए महज 35,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है, लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह बेहद कम है । दंग के बाद से धुलागढ़ में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल तैनात हैं और लोगों की आवाजाही पर अंकुश लगाया गया है । अभी कोई नहीं बता पा रहा है कि 12 दिसंबर को मुस्लिमों का त्यौहार ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाए जाने के बाद आख‍िर दंगों की शुरुआत कैसे हुई, लेकिन दंगा रोकने में पुलिस की नाकामी को लेकर हर तरफ आक्रोश है ।

तमाशबीन बनी पुलिस ने घर छोड़ने को कहा!!

दिलीप खन्ना को जब यह पता चला कि दंगाई गांव के करीब पहुंच गए हैं तो उन्होंने खुद को एक कमरे के अंदर बंद कर लिया । उन्होंने बताया, 'जब पुलिस आई, तो उसने हम सबसे कहा कि दो मिनट में घर छोड़कर निकल जाओ ! वे तो दंगाइयों को हमारे घर तहस-नहस करने से भी नहीं रोक पाए । दंगाई मकान लूटते और जलाते रहे, जबकि पुलिस खड़े होकर तमाशा देखती रही ।' उनकी 32 वर्षीय पड़ोसी शुभ्रा भी अपनी जान बचाने के लिए घर से भाग गई थी । दंगाइयों ने उनके घर का एक हिस्सा जला दिया है, जिससे उन्हें एक मंदिर में शरण लेनी पड़ी है । उन्होंने बताया, 'उनके हाथ में पेट्रोल और केरोसीन के ड्रम थे और वे पूरी तरह से तैयार होकर आए थे 
 हमारे जेवरात और पैसे लूटने के बाद उन्होंने सबकुछ जलाकर खाक कर दिया । अब हम कहां जाएं ।'

धूलागढ़ से लौटकर वहां के हालात स्थानीय पत्रकार कल्पना प्रधान की ज़ुबानी: मैं जब धूलागढ़ गांव पहुंची तो मैंने देखा कि वहां लोग बहुत डरे हुए हैं । काफी जोर देकर बुलाने के बाद ही कोई चेहरा दिखाने के लिए तैयार हुआ । गांवों में ज्यादातर महिलाएं ही दिखी।

पहले जो गांव मिलता है, वह हिंदुओं का है । वहां जितने भी लोग थे, मैंने उनसे बात की । वहां कई घरों और दुकानों को जलाया गया था । रास्ते में कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे ।

वहां बम से हमला किया गया था और बम के टुकड़े अब भी इसकी गवाही दे रहे थे जिसपर रस्सियां बंधी हुई थी।

एक गांव है जहां हिंदुओं की आबादी है । लेकिन गांव हिन्दू और मुसलमानों के बीच बंटा हुआ है । गांव के पिछले हिस्से में हिन्दू परिवार रहते हैं ।

ताजा हाल ये है कि लोग अपने घरों में लौटने से डर रहे हैं ।  दोपहर में मैंने पुलिस से बात की तो उनका कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है ।

लेकिन जब मैंने गांव के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके घर जला दिए गए हैं और टूट गए हैं तो वे वहां कैसे रह पाएंगे ।

दिन के समय में वे अपने घरों को देखने के लिए लौटे हैं । लेकिन रात का वक्त वहां नहीं गुजार सकते क्योंकि वे काफी खौफजदा हैं ।

पुलिस जवान ने कहा कि लोग लौट कर आ रहे हैं लेकिन समस्या हो रही है । लोग डरे हुए हैं । उनके पास घर नहीं हैं । उनके घर जल गए हैं ।

एक महिला ने अपना नाम नहीं बताया लेकिन उन्होंने उस दिन अपने ऊपर हुए जुल्म को बयां किया । उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनका और उनके बच्चे का गला दबाया, उनके पति के गले पर चाकू लगाकर धमकाया और ईंट और बम फेंककर हमला किया । 

तनाव अब भी बरकरार है !!

पुलिस तो तब से चुप ही है । राज्य सरकार ने इस इलाके में विपक्षी दलों के नेताओं और मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी है 
 कांग्रेस, बीजेपी और माकपा के प्रतिनिधिमंडल को कई किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया । 

जो सेक्युलर नेता अल्पसंख्यक मुस्लिमों और ईसाई समुदाय के लिए छाती पीटते है वो क्या अभी हिन्दुओं को अपना घर, सामान, पैसा और न्याय दिलवाने के लिए आगे आयेगे...???
धुलागढ़ दंगा के समय पुलिस ने हिन्दुओं से कहा, दो मिनट में घर से भाग जाओ!

पश्च‍िम बंगाल के हावड़ा के पास स्थित धुलागढ़ में दंगा हुए दो हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन लोगों में भय अब भी बना हुआ है। हिंसक भीड़ के हमलों से तमाम लोग बेघर हो गए हैं और अब भी अपने घरों में लौटने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं । 
धुलागढ़ दंगा के समय पुलिस ने हिन्दुओं से कहा, दो मिनट में घर से भाग जाओ ! 

राज्य सरकार के सचिवालय से महज 20 कि.मी की दूरी पर स्थित इस छोटा-से कस्बे में आज हर तरफ जले और टूटे हुए घर दिख रहे हैं । तमाम लोग यह इलाका छोड़कर भाग चुके हैं । धुलागढ़ दंगों पर जमकर राजनीति हो रही है, लेकिन इस उन्मादी हिंसा में सबकुछ गंवा देने वालों की मदद के बारे में कोई नहीं सोच रहा ।

रामपद मन्ना और उनकी पत्नी सीमा उन कुछ लोगों में से हैं, जो किसी तरह हिम्मत जुटाकर अपने घर वापस आ गए हैं । सीमा बेसब्री से यह देखने में लगी हैं कि उनके घर में कुछ बचा भी है या नहीं । रामपद बताते हैं, 'अब हम यहां नहीं रह सकते, इसलिए हमने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है । उस दिन पुलिस आई तो थी, लेकिन जब हमारे ऊपर हमला हुआ, तो पुलिस भी भाग खड़ी हुई । तीन सदस्यों के परिवार का पेट पालने वाले मन्ना नाई हैं । दंगे के दिन हिंसक भीड़ ने उनके गेट को तोड़ दिया और घर को तहस-नहस कर दिया । सीमा ने कहा, 'हम बहुत गरीब हैं । हमने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए बड़ी मुश्किल से एक लैपटॉप खरीदा था, जिसे दंगाई उठा ले गए। यही नही, उन्होंने हमारे 65,000 रुपये भी लूट लिए जो हमने एलआईसी में जमा करने के लिए रखे थे ।'

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे !!

बनर्जी पाड़ा में स्थित मन्ना के घर के बगल में ही मंडल परिवार रहता है । दो बच्चों की मां मैत्री मंडल कहती हैं कि 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए हिंसक भीड़ उनके बेडरूम में आ गई और उनका मकान जला दिया । उन्होंने रोते हुए कहा, ' मेरा बेटे को इस फरवरी में बोर्ड का एग्जाम देना है, लेकिन उन्होंने सब कुछ तबाह कर दिया । उसकी सभी किताबें जलकर नष्ट हो गई हैं । मेरा बेटा तबसे सदमे में है ।'

देर से पहुंची पुलिस!!

मैत्री ने बताया, 'पांच घंटे तक वे (दंगाई) उपद्रव करते रहे और पुलिस तब आई जब हमारा सबकुछ नष्ट हो चुका था । एक भी मंत्री हमारा हाल जानने नहीं आया ।' राजनीति तो सभी कर रहे हैं, लेकिन दंगापीड़‍ितों की मदद के लिए कोई सामने नहीं आ रहा। राज्य सरकार ने पीड़ितों के लिए महज 35,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है, लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह बेहद कम है । दंग के बाद से धुलागढ़ में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल तैनात हैं और लोगों की आवाजाही पर अंकुश लगाया गया है । अभी कोई नहीं बता पा रहा है कि 12 दिसंबर को मुस्लिमों का त्यौहार ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाए जाने के बाद आख‍िर दंगों की शुरुआत कैसे हुई, लेकिन दंगा रोकने में पुलिस की नाकामी को लेकर हर तरफ आक्रोश है ।

तमाशबीन बनी पुलिस ने घर छोड़ने को कहा!!

दिलीप खन्ना को जब यह पता चला कि दंगाई गांव के करीब पहुंच गए हैं तो उन्होंने खुद को एक कमरे के अंदर बंद कर लिया । उन्होंने बताया, 'जब पुलिस आई, तो उसने हम सबसे कहा कि दो मिनट में घर छोड़कर निकल जाओ ! वे तो दंगाइयों को हमारे घर तहस-नहस करने से भी नहीं रोक पाए । दंगाई मकान लूटते और जलाते रहे, जबकि पुलिस खड़े होकर तमाशा देखती रही ।' उनकी 32 वर्षीय पड़ोसी शुभ्रा भी अपनी जान बचाने के लिए घर से भाग गई थी । दंगाइयों ने उनके घर का एक हिस्सा जला दिया है, जिससे उन्हें एक मंदिर में शरण लेनी पड़ी है । उन्होंने बताया, 'उनके हाथ में पेट्रोल और केरोसीन के ड्रम थे और वे पूरी तरह से तैयार होकर आए थे 
 हमारे जेवरात और पैसे लूटने के बाद उन्होंने सबकुछ जलाकर खाक कर दिया । अब हम कहां जाएं ।'

धूलागढ़ से लौटकर वहां के हालात स्थानीय पत्रकार कल्पना प्रधान की ज़ुबानी: मैं जब धूलागढ़ गांव पहुंची तो मैंने देखा कि वहां लोग बहुत डरे हुए हैं । काफी जोर देकर बुलाने के बाद ही कोई चेहरा दिखाने के लिए तैयार हुआ । गांवों में ज्यादातर महिलाएं ही दिखी।

पहले जो गांव मिलता है, वह हिंदुओं का है । वहां जितने भी लोग थे, मैंने उनसे बात की । वहां कई घरों और दुकानों को जलाया गया था । रास्ते में कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे ।

वहां बम से हमला किया गया था और बम के टुकड़े अब भी इसकी गवाही दे रहे थे जिसपर रस्सियां बंधी हुई थी।

एक गांव है जहां हिंदुओं की आबादी है । लेकिन गांव हिन्दू और मुसलमानों के बीच बंटा हुआ है । गांव के पिछले हिस्से में हिन्दू परिवार रहते हैं ।

ताजा हाल ये है कि लोग अपने घरों में लौटने से डर रहे हैं ।  दोपहर में मैंने पुलिस से बात की तो उनका कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है ।

लेकिन जब मैंने गांव के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके घर जला दिए गए हैं और टूट गए हैं तो वे वहां कैसे रह पाएंगे ।

दिन के समय में वे अपने घरों को देखने के लिए लौटे हैं । लेकिन रात का वक्त वहां नहीं गुजार सकते क्योंकि वे काफी खौफजदा हैं ।

पुलिस जवान ने कहा कि लोग लौट कर आ रहे हैं लेकिन समस्या हो रही है । लोग डरे हुए हैं । उनके पास घर नहीं हैं । उनके घर जल गए हैं ।

एक महिला ने अपना नाम नहीं बताया लेकिन उन्होंने उस दिन अपने ऊपर हुए जुल्म को बयां किया । उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनका और उनके बच्चे का गला दबाया, उनके पति के गले पर चाकू लगाकर धमकाया और ईंट और बम फेंककर हमला किया । 

तनाव अब भी बरकरार है !!

पुलिस तो तब से चुप ही है । राज्य सरकार ने इस इलाके में विपक्षी दलों के नेताओं और मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी है 
 कांग्रेस, बीजेपी और माकपा के प्रतिनिधिमंडल को कई किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया । 

जो सेक्युलर नेता अल्पसंख्यक मुस्लिमों और ईसाई समुदाय के लिए छाती पीटते है वो क्या अभी हिन्दुओं को अपना घर, सामान, पैसा और न्याय दिलवाने के लिए आगे आयेगे...???

Wednesday, December 28, 2016

सनबर्न फेस्टिवल को स्थगित करने के लिए अनेक हिन्दू संगठनों ने मांग उठाई है !!

हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने वाल सनबर्न यदि रद्द नहीं किया गया, तो तीव्र आंदोलन करेंगे – शिवसेना

पिंपरी (पुणे) : नशीले पदार्थों का दुरुपयोग तथा अनैतिक कृत्यों वाला, भारतीय संस्कृति भ्रष्ट बनानेवाला तथा युवा पीढ़ी को दूषित करनेवाला सनबर्न फेस्टिवल  28 से 31 दिसंबर 2016 तक पुणे में होनेवाले सनबर्न फेस्टिवल को स्थगित करने के लिए अनेक हिन्दू संगठनों ने मांग उठाई है ।


पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका शिक्षा मंडल के सदस्य एवं शिवसेना के श्री. गजानन चिंचवडे ने बताया कि हिन्दू संस्कृति का दर्शन करानेवाले पुणे नगर में ‘सनबर्न फेस्टिवल’ समान कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है । पुणे की संस्कृति को बिगाड़नेवाला कार्यक्रम नहीं होने देंगे । यदि शासन द्वारा ‘सनबर्न फेस्टिवल’ रद्द नहीं किया गया, तो केसनंद गांव में एवं अन्यत्र भी हम तीव्र आंदोलन करेंगे । यदि भविष्य में भी संंस्कृति विनाशक कोई कार्यक्रम होंगे, तो वह भी नहीं होने देंगे । 
Azaad BHarat For the Sake of indian Culture Demand to Ban Sunburn Festival in pune

केसनंद (जिला पुणे) में आयोजित ‘सनबर्न फेस्टिवल’ कार्यक्रम तत्काल रद्द करने तथा मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार मस्जिदों पर लगाए गए अवैध भोंगे बंद करने की मांगों के लिए विविध हिन्दुत्वनिष्ठ एवं सामाजिक संगठनों ने यहां के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पुतले के पास राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन किया गया । 

इस आंदोलन में शिववंदना उपक्रम के श्री. उमेश पवार, शिवप्रतिष्ठान के श्री. गणेश भुजबळ, अधिवक्ता श्री. पडवळेमामा, देहूरोड के धर्माभिमानी श्री. गाडगीळ, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. अभिजीत देशमुख एवं सनातन संस्था के श्री. चंद्रशेखर तांदळे के साथ 100 से अधिक धर्माभिमानी सम्मिलित हुए थे ।

अधिवक्ता श्री. पडवळेमामा ने कहा कि ‘सनबर्न फेस्टिवल’ को गोवा से हटाया गया है । इस फेस्टिवल में युवकों को नशीली पदार्थ देकर व्यसनाधीनता की ओर ढकेला जाता है । इस प्रकार का पाश्‍चात्त्य संस्कृति का अंधानुकरण पुणे में नहीं चलेगा । एक ओर श्री गणेशचतुर्थी को रात्रि 10 बजे ध्वनिक्षेपक बंद करवाए जाते हैं; परंतु सनबर्नसमान कार्यक्रम को रात्रि 12 बजे आरंभ होता है, यह कहां तक उचित है ? कानून सभी के लिए समान होना चाहिए । यदि इस कार्यक्रम को नहीं रोका गया, तो हमें अलग विचार करना पड़ेगा ।

मस्जिदों से ध्वनिप्रदूषण करनेवाले अवैध भोंगों पर कार्यवाही करनी चाहिए ! 

श्री. अभिजीत देशमुख ने कहा कि शासन द्वारा अथवा हिन्दुओं के त्यौहार के अवसर पर आवाज का बंधन लगाया जाता है; परंतु अन्य धर्मियों को समय एवं आवाज पर बंधन नहीं लगाया जाता । यह त्रूटिपूर्ण है । इसलिए मस्जिद से ध्वनिप्रदूषण करनेवाले अवैध भोंगों पर कार्यवाही करनी चाहिए तथा विद्या का मायका कहलानेवाले पुणे नगर से सनबर्न समान कार्यक्रम हटाए जाने चाहिए ।

भारत भोंगामुक्त करना चाहिए एवं ‘सनबर्न फेस्टिवल’ को भारत से हटा देना चाहिए ! 

नागरिकों कोे अपने क्षेत्र के मस्जिदों पर के अवैध भोंगों के विरुद्ध वैधानिक रूप से परिवाद प्रविष्ट करना चाहिए । इन भोंगों द्वारा दी जानेवाली अजान हमें सहन करने की आवश्यकता नहीं है । हम इस आंदोलन के माध्यम से पूरे देश को भोंगामुक्त भारत का संदेश देंगे । ‘सनबर्न फेस्टिवल’ के माध्यम से किए जानेवाले व्यसनों से युवक-युवतियों को रोकना चाहिए । ‘सनबर्न फेस्टिवल’ पुणे से ही नहीं, अपितु भारत से हटा देना चाहिए । इस के माध्यम से किए जानेवाले अनाचारों पर ध्यान देकर शासन को उचित कार्यवाही करनी चाहिए ।

इस अवसर पर सनातन संस्था के श्री. चंद्रशेखर तांदळे ने प्रतिपादित किया कि सनबर्न पाश्‍चात्त्य कार्यक्रम हिन्दुओं का तेजोभंग करनेवाला है । उसे रद्द करें ।

स्वतंत्रतावीर सावरकर प्रतिष्ठान की श्रीमती वर्षा देशपांडे ने कहा कि, देश को स्वतंत्रता तो मिल गई; परंतु क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं ? अभी भी हम अनेक पश्‍चिमी परंपराआें के मानसिक परतंत्र हैं । भारतीय संस्कृति महान है तथा हमें प्राचीन परंपरा प्राप्त है। अतः हिन्दू संस्कृति की महान धरोहर को ध्यान में रखते हुए हमें नया वर्ष 1 जनवरी को मनाने के बजाय उसे गुढी पाडवा के दिन ही मनाना चाहिए ।

पूर्व प्रधानाध्यापिका श्रीमती लता कोल्हटकर ने कहा कि, पश्चमियों के तथा हम भारतीयों के वातावरण में बहुत बड़ा अंतर है । भारतीय संस्कृति में गुढीपाडवा की अवधि में वातावरण में अनेक अच्छे परिवर्तन होते हैं । इस अवधि में वृक्षों को बहार आती है । इसकी अपेक्षा पश्‍चिमी संस्कृति में ऐसा कुछ नहीं होता । होली, रंगपंचमी, दीपावली जैसे हमारे प्रत्येक त्यौहार का धर्मशास्त्रीय आधार है । हिन्दुआें को गुढीपाडवा के दिन ही नववर्ष की शुभकामनाएं देनी चाहिए।

अभिनेता शरद पोंक्षे ने कहा कि,सनबर्न फेस्टिवल में गुटखा, साथ ही नशीले पदार्थों का सेवन किया जाता है । पुणे जैसी पुण्यनगरी में इस प्रकार का फेस्टिवल होना अत्यंत अयोग्य है । महाराष्ट्र में इस प्रकार के फेस्टिवल होने से युवा पीढ़ी की हानि होगी । भारतीय संस्कृति इस प्रकार के फेस्टिवल से कभी भी सहमत नहीं होगी । अतः इस प्रकार के फेस्टिवल के लिए अनुमति देने की आवश्यकता ही नहीं है । इसका सभी स्तरों द्वारा विरोध किया जाना आवश्यक है ।

सनबर्न कार्यक्रम में भारी मात्रा में नशीली पदार्थों का सेवन किया जाता है । इससे पूर्व गोवा में संपन्न सनबर्न कार्यक्रमों में नशीली पदार्थ विरोधी दल द्वारा छापा मारने के पश्चात वहां अनेक स्थान पर युवक-युवतियां सार्वजनिक रूप से हुक्का तथा चिलिम का एवं अस्थाई प्रसाधनगृहों में नशीली पदार्थों का सेवन करते हुए दिखाई दिए थे ।

‘सनबर्न’ कार्यक्रम को भारी मात्रा में संस्कृतिप्रेमियों का विरोध हो रहा है । इसलिए संस्कृतिप्रेमी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों ने सुसंस्कृति को कलंकित करनेवाले इस कार्यक्रम को ही रद् करने की मांग की है ।

भाजपा सरकार द्वारा जनता संस्कृतिहीन बनेगी, ऐसा कार्यक्रम रखना अपेक्षित नहीं है ! ऐसे कार्यक्रमों से राजस्व मिलने से भौतिक विकास होगा; परंतु जनता की अवनति होगी । ऐसा विश्वास क्यों नही है कि यदि संस्कृति की रक्षा की गई, तो ईश्‍वर विकास के लिए राजस्व की कमी नहीं होने देगा ?

हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने वाल सनबर्न यदि रद्द नहीं किया गया, तो तीव्र आंदोलन करेंगे – शिवसेना

हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने वाल सनबर्न यदि रद्द नहीं किया गया, तो तीव्र आंदोलन करेंगे – शिवसेना

पिंपरी (पुणे) : नशीले पदार्थों का दुरुपयोग तथा अनैतिक कृत्यों वाला, भारतीय संस्कृति भ्रष्ट बनानेवाला तथा युवा पीढ़ी को दूषित करनेवाला सनबर्न फेस्टिवल  28 से 31 दिसंबर 2016 तक पुणे में होनेवाले सनबर्न फेस्टिवल को स्थगित करने के लिए अनेक हिन्दू संगठनों ने मांग उठाई है ।


पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका शिक्षा मंडल के सदस्य एवं शिवसेना के श्री. गजानन चिंचवडे ने बताया कि हिन्दू संस्कृति का दर्शन करानेवाले पुणे नगर में ‘सनबर्न फेस्टिवल’ समान कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है । पुणे की संस्कृति को बिगाड़नेवाला कार्यक्रम नहीं होने देंगे । यदि शासन द्वारा ‘सनबर्न फेस्टिवल’ रद्द नहीं किया गया, तो केसनंद गांव में एवं अन्यत्र भी हम तीव्र आंदोलन करेंगे । यदि भविष्य में भी संंस्कृति विनाशक कोई कार्यक्रम होंगे, तो वह भी नहीं होने देंगे । 
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केसनंद (जिला पुणे) में आयोजित ‘सनबर्न फेस्टिवल’ कार्यक्रम तत्काल रद्द करने तथा मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार मस्जिदों पर लगाए गए अवैध भोंगे बंद करने की मांगों के लिए विविध हिन्दुत्वनिष्ठ एवं सामाजिक संगठनों ने यहां के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पुतले के पास राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन किया गया । 

इस आंदोलन में शिववंदना उपक्रम के श्री. उमेश पवार, शिवप्रतिष्ठान के श्री. गणेश भुजबळ, अधिवक्ता श्री. पडवळेमामा, देहूरोड के धर्माभिमानी श्री. गाडगीळ, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. अभिजीत देशमुख एवं सनातन संस्था के श्री. चंद्रशेखर तांदळे के साथ 100 से अधिक धर्माभिमानी सम्मिलित हुए थे ।

अधिवक्ता श्री. पडवळेमामा ने कहा कि ‘सनबर्न फेस्टिवल’ को गोवा से हटाया गया है । इस फेस्टिवल में युवकों को नशीली पदार्थ देकर व्यसनाधीनता की ओर ढकेला जाता है । इस प्रकार का पाश्‍चात्त्य संस्कृति का अंधानुकरण पुणे में नहीं चलेगा । एक ओर श्री गणेशचतुर्थी को रात्रि 10 बजे ध्वनिक्षेपक बंद करवाए जाते हैं; परंतु सनबर्नसमान कार्यक्रम को रात्रि 12 बजे आरंभ होता है, यह कहां तक उचित है ? कानून सभी के लिए समान होना चाहिए । यदि इस कार्यक्रम को नहीं रोका गया, तो हमें अलग विचार करना पड़ेगा ।

मस्जिदों से ध्वनिप्रदूषण करनेवाले अवैध भोंगों पर कार्यवाही करनी चाहिए ! 

श्री. अभिजीत देशमुख ने कहा कि शासन द्वारा अथवा हिन्दुओं के त्यौहार के अवसर पर आवाज का बंधन लगाया जाता है; परंतु अन्य धर्मियों को समय एवं आवाज पर बंधन नहीं लगाया जाता । यह त्रूटिपूर्ण है । इसलिए मस्जिद से ध्वनिप्रदूषण करनेवाले अवैध भोंगों पर कार्यवाही करनी चाहिए तथा विद्या का मायका कहलानेवाले पुणे नगर से सनबर्न समान कार्यक्रम हटाए जाने चाहिए ।

भारत भोंगामुक्त करना चाहिए एवं ‘सनबर्न फेस्टिवल’ को भारत से हटा देना चाहिए ! 

नागरिकों कोे अपने क्षेत्र के मस्जिदों पर के अवैध भोंगों के विरुद्ध वैधानिक रूप से परिवाद प्रविष्ट करना चाहिए । इन भोंगों द्वारा दी जानेवाली अजान हमें सहन करने की आवश्यकता नहीं है । हम इस आंदोलन के माध्यम से पूरे देश को भोंगामुक्त भारत का संदेश देंगे । ‘सनबर्न फेस्टिवल’ के माध्यम से किए जानेवाले व्यसनों से युवक-युवतियों को रोकना चाहिए । ‘सनबर्न फेस्टिवल’ पुणे से ही नहीं, अपितु भारत से हटा देना चाहिए । इस के माध्यम से किए जानेवाले अनाचारों पर ध्यान देकर शासन को उचित कार्यवाही करनी चाहिए ।

इस अवसर पर सनातन संस्था के श्री. चंद्रशेखर तांदळे ने प्रतिपादित किया कि सनबर्न पाश्‍चात्त्य कार्यक्रम हिन्दुओं का तेजोभंग करनेवाला है । उसे रद्द करें ।

स्वतंत्रतावीर सावरकर प्रतिष्ठान की श्रीमती वर्षा देशपांडे ने कहा कि, देश को स्वतंत्रता तो मिल गई; परंतु क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं ? अभी भी हम अनेक पश्‍चिमी परंपराआें के मानसिक परतंत्र हैं । भारतीय संस्कृति महान है तथा हमें प्राचीन परंपरा प्राप्त है। अतः हिन्दू संस्कृति की महान धरोहर को ध्यान में रखते हुए हमें नया वर्ष 1 जनवरी को मनाने के बजाय उसे गुढी पाडवा के दिन ही मनाना चाहिए ।

पूर्व प्रधानाध्यापिका श्रीमती लता कोल्हटकर ने कहा कि, पश्चमियों के तथा हम भारतीयों के वातावरण में बहुत बड़ा अंतर है । भारतीय संस्कृति में गुढीपाडवा की अवधि में वातावरण में अनेक अच्छे परिवर्तन होते हैं । इस अवधि में वृक्षों को बहार आती है । इसकी अपेक्षा पश्‍चिमी संस्कृति में ऐसा कुछ नहीं होता । होली, रंगपंचमी, दीपावली जैसे हमारे प्रत्येक त्यौहार का धर्मशास्त्रीय आधार है । हिन्दुआें को गुढीपाडवा के दिन ही नववर्ष की शुभकामनाएं देनी चाहिए।

अभिनेता शरद पोंक्षे ने कहा कि,सनबर्न फेस्टिवल में गुटखा, साथ ही नशीले पदार्थों का सेवन किया जाता है । पुणे जैसी पुण्यनगरी में इस प्रकार का फेस्टिवल होना अत्यंत अयोग्य है । महाराष्ट्र में इस प्रकार के फेस्टिवल होने से युवा पीढ़ी की हानि होगी । भारतीय संस्कृति इस प्रकार के फेस्टिवल से कभी भी सहमत नहीं होगी । अतः इस प्रकार के फेस्टिवल के लिए अनुमति देने की आवश्यकता ही नहीं है । इसका सभी स्तरों द्वारा विरोध किया जाना आवश्यक है ।

सनबर्न कार्यक्रम में भारी मात्रा में नशीली पदार्थों का सेवन किया जाता है । इससे पूर्व गोवा में संपन्न सनबर्न कार्यक्रमों में नशीली पदार्थ विरोधी दल द्वारा छापा मारने के पश्चात वहां अनेक स्थान पर युवक-युवतियां सार्वजनिक रूप से हुक्का तथा चिलिम का एवं अस्थाई प्रसाधनगृहों में नशीली पदार्थों का सेवन करते हुए दिखाई दिए थे ।

‘सनबर्न’ कार्यक्रम को भारी मात्रा में संस्कृतिप्रेमियों का विरोध हो रहा है । इसलिए संस्कृतिप्रेमी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों ने सुसंस्कृति को कलंकित करनेवाले इस कार्यक्रम को ही रद् करने की मांग की है ।

भाजपा सरकार द्वारा जनता संस्कृतिहीन बनेगी, ऐसा कार्यक्रम रखना अपेक्षित नहीं है ! ऐसे कार्यक्रमों से राजस्व मिलने से भौतिक विकास होगा; परंतु जनता की अवनति होगी । ऐसा विश्वास क्यों नही है कि यदि संस्कृति की रक्षा की गई, तो ईश्‍वर विकास के लिए राजस्व की कमी नहीं होने देगा ?

Tuesday, December 27, 2016

रेप के झूठे केस में फंसाता था ये गिरोह, महिला वकील भी थी गैंग में शामिल..!!

रेप के झूठे केस में फंसाता था ये गिरोह, महिला वकील भी थी गैंग में शामिल..!!

राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने बलात्कार के झूठे मुकदमे में फंसाकर पैसे ऐंठने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है ।

 एसओजी ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है । गिरोह के तार गैंगस्टर आनंदपाल और उसके वकील से जुड़े हुए हैं । गैंग में कथित तौर पर एक महिला वकील भी शामिल है ।
Azaad-Bharat-false-rape-cases-by-gang-female-lawyer-was-involved-in-the-gang

पुलिस के मुताबिक, गिरफ्त में आए आरोपियों के नाम अक्षत शर्मा और विजय शर्मा हैं । इस गिरोह ने महज ढाई साल के अंदर 25 लोगों को अपना शिकार बनाकर उनसे 15 करोड़ रुपये ऐंठे हैं । यह गिरोह कॉल गर्ल के जरिए अमीर लोगों को अपने जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करता था । पुलिस की माने तो इनके गैंग में एक एनआरआई युवती भी शामिल है ।

गिरोह में शामिल कॉल गर्ल पहले अमीर लोगों से दोस्ती करती और नजदीकियों का फायदा उठाकर यह लोग उनके अश्लील वीडियो बना लेते थे । जिसके बाद शुरु होता था ब्लैकमेलिंग का घिनौना खेल । गिरोह का सरगना एडवोकेट नवीन देवानी है, जो गैंगस्टर आनंदपाल और अनुराधा चौधरी का वकील है ।

एसओजी के एडिशनल एसपी करण शर्मा ने बताया कि गिरोह में एनआरआई युवती के साथ कुछ वकील, बिजनेसमैन और आपराधिक गिरोह से जुड़े लोग भी शामिल हैं । एसओजी ने यह पूरा खुलासा जयपुर के एक नामी डॉक्टर सुनीत सोनी की शिकायत पर किया है । सोनी भी इस गिरोह की कारगुजारियों का शिकार हो चुके हैं और झूठे रेप केस की शिकायत पर 75 दिनों के लिए जेल भी जा चुके हैं ।

गिरोह के सदस्य डॉक्टर सोनी से बयान बदलने के नाम पर एक करोड़ रुपये भी वसूल कर चुके हैं । जिसके बाद हिम्मत दिखाते हुए डॉक्टर सोनी ने एसओजी से मामले की शिकायत की थी । एसपी करण शर्मा ने कहा कि गिरोह के सदस्य खुद को मीडिया से जुड़ा भी बता रहे हैं । फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह के दूसरे सदस्यों के बारे में पता लगा रही है ।

निर्भया कांड के बाद नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये कानून बनाये गये । परंतु दहेजरोधी कानून की तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।

आज निर्दोष प्रतिष्ठित व्यक्तियों से लेकर आम जनता तक सभी रेप कानूनों के दुरुपयोग के शिकार हो रहे हैं । 

महिला-सुरक्षा के लिए बनाये गये कानून महिलाओं के लिए ही घातक बन रहे हैं । झूठे रेप केसों के बढ़ते आँकड़ों को देखकर सभ्य परिवारों के पुरुष एवं महिलाएँ डरने लगी हैं । कोई भी निर्दोष पुरुष झूठे मामले में फँसाया जाता है तो उसके परिवार की सभी महिलाओं (माँ, बहनें, पत्नी,मामी, मौसी आदि आदि) को अनेक प्रकार की यातनाएँ सहनी पड़ती हैं ।

दिल्ली महिला आयोग की जाँच के अनुसार अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 तक बलात्कार की कुल 2,753 शिकायतों में से 1,466 शिकायतें झूठी पायी गयी। विभिन्न कानूनविदों, न्यायधीशों व बुद्धिजीवियों ने भी इस कानून के बड़े स्तर पर दुरुपयोग के संदर्भ में चिंता जतायी है ।

वर्तमान में बलात्कार निरोधक कानून के दुरुपयोग का प्रत्यक्ष उदाहरण है संत आशारामजी बापू पर किया गया फर्जी केस । जिसमें न कोई ठोस सबूत है और न ही कोई मेडिकल आधार बल्कि उन्हें षड़यंत्र में फँसाये जाने के अनेकों प्रमाण सामने आये हैं –

1) आरोप लगानेवाली लड़की की मेडिकल जाँच करनेवाली डॉ. शैलजा वर्मा ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा कि “लड़की के शरीर पर रत्तीभर भी खरोंच के निशान नहीं थे और न ही प्रतिरोध के कोई निशान थे ।” 
2) प्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने केस अध्ययन कर बताया कि ‘‘लड़की के फोन रिकॉर्ड्स से पता लगा कि जिस समय पर वह कहती है कि वह कुटिया में थी, उस समय वह वहाँ थी ही नहीं ! बापू आसारामजी पर ‘पॉक्सो एक्ट’ लगवाने हेतु एक झूठा सर्टिफिकेट निकाल के दिखा दिया गया है कि वह 18 साल से कम उम्र की है । यह केस तो तुरंत रद्द होना चाहिए ।’’

3) पुलिस द्वारा दर्ज आरोप-पत्र में मुख्य गवाह सुधा पटेल ने उसके नाम पर लिखे गये बयान को झूठा एवं मनगढ़ंत बताते हुए न्यायालय में कहा कि आज से पहले न मैं कभी जोधपुर आयी और न कभी कहीं बयान दिये थे । मुझे पता नहीं है कि पुलिसवालों ने मेरे हस्ताक्षर किस बात के करवाये थे ।

4) बापूजी के खिलाफ पूरा प्रकरण तैयार किया, जम्मू पुलिस ने उनमें से कइयों को गम्भीर अपराध में आरोपी पाया है । साजिश रचनेवाले गिरोह के शातिर षड्यंत्रकारी, तथाकथित पत्रकार सतीश वाधवानी को जम्मू पुलिस ने इंदौर से गिरफ्तार किया था । वाधवानी व अन्य आरोपियों पर बापूजी के खिलाफ आरोप लगाने हेतु लड़कियाँ तैयार करके यौन-शोषण के झूठे मामले बनाने, उनके आश्रम में मुस्लिम कब्रिस्तान से निकाले हुए बच्चों के कंकाल गाड़ के बापूजी के ऊपर हत्या के झूठे केस लगवाने तथा हिन्दू-मुस्लिम दंगा करवा के आश्रम को सदा के लिए बंद करवाने की साजिश रचने आदि के लिए अनेक संगीन आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था ।

गौरतलब है कि बापू आसारामजी पिछले 40 महीनों से जोधपुर कारागृह में हैं फिर भी बड़ी संख्या में माताएँ-बहनें उनकी सेवाओं में जुड़ती जा रही हैं, असंख्य महिलाएँ उनकी रिहाई की माँग के लिए सड़कों पर उतर आती हैं ।

रेप के झूठे केस में फंसाता था ये गिरोह, महिला वकील भी थी गैंग में शामिल..!!

रेप के झूठे केस में फंसाता था ये गिरोह, महिला वकील भी थी गैंग में शामिल..!!

राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने बलात्कार के झूठे मुकदमे में फंसाकर पैसे ऐंठने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है ।

 एसओजी ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है । गिरोह के तार गैंगस्टर आनंदपाल और उसके वकील से जुड़े हुए हैं । गैंग में कथित तौर पर एक महिला वकील भी शामिल है ।
Azaad-Bharat-false-rape-cases-by-gang-female-lawyer-was-involved-in-the-gang

पुलिस के मुताबिक, गिरफ्त में आए आरोपियों के नाम अक्षत शर्मा और विजय शर्मा हैं । इस गिरोह ने महज ढाई साल के अंदर 25 लोगों को अपना शिकार बनाकर उनसे 15 करोड़ रुपये ऐंठे हैं । यह गिरोह कॉल गर्ल के जरिए अमीर लोगों को अपने जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करता था । पुलिस की माने तो इनके गैंग में एक एनआरआई युवती भी शामिल है ।

गिरोह में शामिल कॉल गर्ल पहले अमीर लोगों से दोस्ती करती और नजदीकियों का फायदा उठाकर यह लोग उनके अश्लील वीडियो बना लेते थे । जिसके बाद शुरु होता था ब्लैकमेलिंग का घिनौना खेल । गिरोह का सरगना एडवोकेट नवीन देवानी है, जो गैंगस्टर आनंदपाल और अनुराधा चौधरी का वकील है ।

एसओजी के एडिशनल एसपी करण शर्मा ने बताया कि गिरोह में एनआरआई युवती के साथ कुछ वकील, बिजनेसमैन और आपराधिक गिरोह से जुड़े लोग भी शामिल हैं । एसओजी ने यह पूरा खुलासा जयपुर के एक नामी डॉक्टर सुनीत सोनी की शिकायत पर किया है । सोनी भी इस गिरोह की कारगुजारियों का शिकार हो चुके हैं और झूठे रेप केस की शिकायत पर 75 दिनों के लिए जेल भी जा चुके हैं ।

गिरोह के सदस्य डॉक्टर सोनी से बयान बदलने के नाम पर एक करोड़ रुपये भी वसूल कर चुके हैं । जिसके बाद हिम्मत दिखाते हुए डॉक्टर सोनी ने एसओजी से मामले की शिकायत की थी । एसपी करण शर्मा ने कहा कि गिरोह के सदस्य खुद को मीडिया से जुड़ा भी बता रहे हैं । फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह के दूसरे सदस्यों के बारे में पता लगा रही है ।

निर्भया कांड के बाद नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये कानून बनाये गये । परंतु दहेजरोधी कानून की तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।

आज निर्दोष प्रतिष्ठित व्यक्तियों से लेकर आम जनता तक सभी रेप कानूनों के दुरुपयोग के शिकार हो रहे हैं । 

महिला-सुरक्षा के लिए बनाये गये कानून महिलाओं के लिए ही घातक बन रहे हैं । झूठे रेप केसों के बढ़ते आँकड़ों को देखकर सभ्य परिवारों के पुरुष एवं महिलाएँ डरने लगी हैं । कोई भी निर्दोष पुरुष झूठे मामले में फँसाया जाता है तो उसके परिवार की सभी महिलाओं (माँ, बहनें, पत्नी,मामी, मौसी आदि आदि) को अनेक प्रकार की यातनाएँ सहनी पड़ती हैं ।

दिल्ली महिला आयोग की जाँच के अनुसार अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 तक बलात्कार की कुल 2,753 शिकायतों में से 1,466 शिकायतें झूठी पायी गयी। विभिन्न कानूनविदों, न्यायधीशों व बुद्धिजीवियों ने भी इस कानून के बड़े स्तर पर दुरुपयोग के संदर्भ में चिंता जतायी है ।

वर्तमान में बलात्कार निरोधक कानून के दुरुपयोग का प्रत्यक्ष उदाहरण है संत आशारामजी बापू पर किया गया फर्जी केस । जिसमें न कोई ठोस सबूत है और न ही कोई मेडिकल आधार बल्कि उन्हें षड़यंत्र में फँसाये जाने के अनेकों प्रमाण सामने आये हैं –

1) आरोप लगानेवाली लड़की की मेडिकल जाँच करनेवाली डॉ. शैलजा वर्मा ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा कि “लड़की के शरीर पर रत्तीभर भी खरोंच के निशान नहीं थे और न ही प्रतिरोध के कोई निशान थे ।” 
2) प्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने केस अध्ययन कर बताया कि ‘‘लड़की के फोन रिकॉर्ड्स से पता लगा कि जिस समय पर वह कहती है कि वह कुटिया में थी, उस समय वह वहाँ थी ही नहीं ! बापू आसारामजी पर ‘पॉक्सो एक्ट’ लगवाने हेतु एक झूठा सर्टिफिकेट निकाल के दिखा दिया गया है कि वह 18 साल से कम उम्र की है । यह केस तो तुरंत रद्द होना चाहिए ।’’

3) पुलिस द्वारा दर्ज आरोप-पत्र में मुख्य गवाह सुधा पटेल ने उसके नाम पर लिखे गये बयान को झूठा एवं मनगढ़ंत बताते हुए न्यायालय में कहा कि आज से पहले न मैं कभी जोधपुर आयी और न कभी कहीं बयान दिये थे । मुझे पता नहीं है कि पुलिसवालों ने मेरे हस्ताक्षर किस बात के करवाये थे ।

4) बापूजी के खिलाफ पूरा प्रकरण तैयार किया, जम्मू पुलिस ने उनमें से कइयों को गम्भीर अपराध में आरोपी पाया है । साजिश रचनेवाले गिरोह के शातिर षड्यंत्रकारी, तथाकथित पत्रकार सतीश वाधवानी को जम्मू पुलिस ने इंदौर से गिरफ्तार किया था । वाधवानी व अन्य आरोपियों पर बापूजी के खिलाफ आरोप लगाने हेतु लड़कियाँ तैयार करके यौन-शोषण के झूठे मामले बनाने, उनके आश्रम में मुस्लिम कब्रिस्तान से निकाले हुए बच्चों के कंकाल गाड़ के बापूजी के ऊपर हत्या के झूठे केस लगवाने तथा हिन्दू-मुस्लिम दंगा करवा के आश्रम को सदा के लिए बंद करवाने की साजिश रचने आदि के लिए अनेक संगीन आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था ।

गौरतलब है कि बापू आसारामजी पिछले 40 महीनों से जोधपुर कारागृह में हैं फिर भी बड़ी संख्या में माताएँ-बहनें उनकी सेवाओं में जुड़ती जा रही हैं, असंख्य महिलाएँ उनकी रिहाई की माँग के लिए सड़कों पर उतर आती हैं ।