Friday, March 2, 2018

भयंकर स्थिति : भारत में संस्कृति रक्षक नही संस्कृति भक्षक बनना चाहेगा

March 2, 2018

देश की वर्तमान स्थिति जिस प्रकार से बन रही है उससे लग रहा है कि भारत में अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए कोई आगे नही आना चाहेगा लेकिन संस्कृति को विनाश की तरफ ले जाने वाले निमित जरूर बन जाएंगे ।

भारत में विकट स्थिति के बहुत सारे उदाहरण हैं लेकिन अभी दो ताजे उदाहरण आपको सामने हैं ।
पहला मामला है फ़िल्म अभिनेत्री श्रीदेवी जिसने अपना जीवन बॉलीवुड में बिताया, अनेक फिल्में बनाई, सदैव पाश्चात्य सभ्यता से चकाचोंध रही । वही श्रीदेवी दुबई में शादी समारोह में जाती है दारू पीती है और बाथरूम में डूबकर मर जाती है, उसकी हत्या की गई या स्वयं मरी ये अभी स्पष्ट नही हुआ है लेकिन अभीतक यही बात आ रही है कि दारू अधिक पीने से मर गई, उनका मरना दुःखद तो है लेकिन भारत में जिस प्रकार से मीडिया उनको पेश कर रही है और दिन-रात उनके बारे में खबरें दिखा रही है और बड़ी बात तो ये है कि उनको भारतीय तिरंगे से लपेटा गया जो कि इस सम्मान का अधिकारी देश के लिए मर मिटने वाले सैनिक हैं, राजकीय संम्मान के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई  और कई नेताओं और हस्तियों ने दुःख व्यक्त किया ।

दूसरा मामला है कांची कोटिपीठ शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती जी का, उन्होंने पूरा जीवन सनातन संस्कृति रक्षा, धर्मांतरण रोकने एवं समाज उत्थान कार्य में लगा दिया जिसके कारण सनातन संस्कृति की रक्षा हुई । लाखों हिन्दुओं का धर्मांतरण होता हुआ रुका, लाखों गरीबों को रोजी रोटी मिली और भी देश एवं समाज का भला हुआ ऐसे अनेक कार्य उनके द्वारा सम्पन्न हुए ।  लेकिन जब उनका शरीर शांत हुआ तो मीडिया को एक मिनट की भी फुर्सत नही थी कि वो ये खबर दिखाये । और न ही उनको कोई राजकीय संम्मान मिला और न ही नेता और किसी बड़ी हस्ती ने दुःख व्यक्त किया ।

एक बात गौर करने वाली है कि भारत में हिन्दुओं का धर्मांतरण कराने वाली मदर टेरेसा को जब वेटिकन में संत की उपाधि दी जाती है तब भारत के वोट बैंक के भूखे कई नेता उनके कार्यक्रम में वेटिकन सिटी में जाते हैं और हिन्दुस्तान के खबरिया दलाल उसका लाइव कवरेज करने वेटिकन पहुँच जाते हैं, मीडिया में भी लाइव कवरेज होता है, पर करोडो हिन्दुओं के आदर्श सनातन संस्कृति के पूजनीय शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी के निधन और समाधि का लाइव कवरेज तो छोड़ो, एक छोटी सी न्यूज़ भी देखने को नहीं मिली  । न ही कोई नेता पहुँचता है और न ही कोई शोक व्यक्त करता है । बड़ी बात तो तब थी जब विदेशी मदर टेरेसा मरती है तो भारत में 3 दिन शोक घोषित कर दिया जाता है लेकिन महान शंकराचार्य जी के लिए एक दिन भी जाहिर नहीं किया गया ।

 भारत में ही संस्कृति रक्षक पराये होते जा रहे हैं और संस्कृति बहिर्मुख का कैसे संम्मान होता है ये सबके सामने प्रत्यक्ष है। अब आने वाली पीढ़ी के लिए क्या उदाहरण प्रस्तुत कर रही है हिंदुत्ववादी सरकार !!


आपको ये भी जानकारी दे देते हैं कि जब केंद्र में कांग्रेस और तमिलनाडु में जयललिता का राज था तब 2004 में जयेंद्र सरस्वती पर झूठा आरोप लगाकर दिवाली की रात को षडयंत्र के तहत उन्हें गिरफ्तार किया था, उस समय पूरी मीडिया उनके खिलाफ 24 घंटे डिबेट चलाती थी और उनके नजदीक वाले भी उनको शंकराचार्य पद से इस्तीफा देने के लिए कहने लगे तब हिन्दू संत आसाराम बापू ने दिल्ली जंतर-मंतर पर लाखों भक्तों के साथ धरना दिया और गर्जना की उसके बाद उन पर अत्याचार बन्द हुआ और कुछ ही समय बाद उनको छोड़ दिया । लेकिन उसके बाद केंद्र में बैठी तत्कालीन सरकार ने हिन्दू संत आसाराम बापू के खिलाफ षडयंत्र शुरू किया उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल शुरू कर दिया और उनके ऊपर झूठे कई आरोप लगाए जैसे कि तांत्रिक विद्या करते है, जमीन हड़प लेते हैं आदि आदि और न्यायालय से वे इन सभी आरोपों से बरी हो गए फिर षडयंत्र रच के एक लड़की को तैयार किया गया और रात को दो बजे दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई गई और उन्हें जेल भेज दिया गया । न्यायालय में षड्यंत्र के तहत किये इस केस की पर्ते खुल रही हैं लेकिन अभीतक उनका समय जो जेल में गया उससे धर्मांतरण तेजी से बढ़ गया, गायों की हत्या बढ़ गई, विदेशी प्रोडक्ट बढ़ गए, दारू, चरस आदि नशे करने वाले और मांस खाने वालो की संख्या बढ़ गई, एलोपैथीक डॉक्टरों की आमदनी बढ़ गई, विदेशी कंपनियां कोका कोला, पेप्सी आदि की बिक्री बढ़ गई, लाखो गरीबों में जीवनुपयोगी सामग्री देना बंद हो गया। हिन्दुओं की अपने धर्म के प्रति जागरूकता कम हो गई आदि आदि अनेक नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई कौन करेगा?

केवल शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती या हिन्दू आसाराम बापू के साथ ही ऐसा हुआ है ये बात नही है साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद, श्री नित्यानंद स्वामी, श्री केशवानंद महाराज, श्री नारायण साई, शंकराचार्य अमृतानंद आदि आदि अनेक साधु-संतों के साथ अत्याचार हुआ है और अभी भी हो रहा है, केवल हिन्दू साधु-संत की ही बात नही है कोई भी हिन्दू कार्यकर्ता आगे आकर हिन्दू संस्कृति की रक्षा करता है तो उसको प्रताड़ित किया ही जाता है जैसे कि आज भी बिना सबूत 4 सालों से जेल में बंद हैं श्री धनंजय देसाई, गौ रक्षक सतीश कुमार आदि जेल में बंद है, दारा सिंह ने भी धर्मांतरण रोकने का पर्यन्त किया तो उनको भी जेल में भेज दिया गया ।

भारतीय संस्कृति पर सदियों से कुठाराघात हो रहा है और उनकी रक्षा के लिए जो भी आगे आते है उनको देश विरोधी ताकतों द्वारा मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर झुठे आरोप लगाकर जेल भिजवाया जाता है या उनकी हत्या कर दी जाती है।

भारत में अगर इसी तरीके से एक के बाद एक को टारगेट किया जायेगा और उनको खत्म कर दिया जाएगा तो फिर आगे आकर कोई रक्षा करने को तैयार नही होगा ओर यही देश विरोधी ताकते चाहती है कि भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाले मुख्य-मुख्य  लोगो को खत्म कर दो जिसके कारण हमारी विदेशी प्रोडक्ट खूब बिके और धर्मांतरण आसानी से कर सके और फिर से देश को गुलाम बना सके ।

भारतवासी अभी भी इन बातों को समझकर जाति-पाति में नही बंटकर एक होकर कार्य करेंगे किसी भी पड़ोसी हिन्दू पर अत्याचार हो रहा हो तो एकजुट होकर उसका विरोध करेंगे तो आसानी से इन देश विरोधी ताकतों को विफल कर पाएंगे और एकजुट होकर कार्य नही करेंगे और आपस में ही एक दूसरे का तमाशा देखेते रहेंगे । 

अब फैसला आपके हाथ में है आपको खत्म होना है या बचना है?

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