
#पीएम #मोदी ने #इस्लामिक #बैंकिंग के लिए खोले दरवाजे

#सऊदी_अरब के #जेद्दाह का #इस्लामिक_डेवलपमेंट_बैंक (#आईडीबी) भारत के गुजरात से अपनी पहली भारतीय ब्रांच खोलने की तैयारी कर चुका है।

गौरतलब है कि मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिए काम करने वाला आईडीबी बैंक इस्लामिक शरिया कानून के अनुसार काम करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अप्रैल में यूएई दौरे के दौरान भारत के एक्सिम बैंक ने आईडीबी के साथ एमओयू साइन किया था। आईडीबी ने ग्रामीण भारत में मेडिकल केयर के लिए राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल एंड एजुकेशन (राइज) के साथ 55 मिलियन डॉलर पैक्ट भी साइन किया था।

आईडीबी के अलावा सऊदी अरब की सरकार भारत की मदद से सऊदी की महिलाओं के लिए बीपीओ खोलने की कोशिश भी कर रही है।

1969 में रबात में हुए #इस्लामिक देशों के प्रमुखों के सम्मेलन में यह निर्णय किया गया था कि विश्व में इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए #बैंकिंग व्यवस्था का भी इस्तेमाल किया जाए। इस फैसले के बाद जेद्दाह (#सउदी_अरब) में पहला इस्लामिक विकास #बैंक स्थापित किया गया। इस्लामिक बैंकों की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए एक #मुस्लिम #धार्मिक #विद्वानों का शरई बोर्ड है जो इस बात का फैसला करता है कि इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए इन बैंकों द्वारा कौन से तरीके अपनाए जायें।

इस्लामिक विकास बैंक सउदी अरब का #सरकारी_बैंक है। इससे जो लाभ प्राप्त होता है उसका इस्तेमाल इस्लाम के प्रचार प्रसार और #धर्मांतरण के लिए किया जाता है। दस वर्ष पूर्व इस्लामिक विकास बैंक के निर्देशक मंडल की एक बैठक दुबई में हुई थी जिसमें यह मत व्यक्त किया गया था कि विश्व में भारत ऐसा देश है जिसमें गैर-मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक है। इसलिए #भारत में इस्लाम के प्रचार-प्रसार और धर्मांतरण की सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं। इस बैंक ने देश में इस्लाम के प्रचार के लिए एक कार्यक्रम भी बनाया था।

#अर्थथास्त्रियों के अनुमानों को सही माना जाए तो अगले पांच बरसों में दुनिया का #इकॉनमिक_सिस्टम इस्लामी और गैर इस्लामी में पूरी तरह बंट जाएगा। आज जब इस्लामी कट्टरता ने बहुत से लोगों की नींद उड़ा रखी है तो यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या इस्लामी बैंकिंग किसी खतरे को जन्म देगी? इस्लामिक बैंक का ज्यादातर कारोबार अचल सम्पत्ति पर ही निर्भर है। यदि भारत में सभी जगहों पर इस्लामिक बैंक शुरू होते हैं तो यहां भी वे दुकान, मकान और अन्य भूखंडों को खरीदकर अपने पास रखेंगे। क्या इससे देश की एकता के लिए खतरा माना नहीं जाना चाहिए? इस्लामिक डिवेलपमेंट बैंक मुस्लिम समुदाय की विकास के लिए काम करता है। तो क्या #ऋण का इस्तेमाल गैर-मुलसमानों के इस्लाम कबूल करने के लिए प्रलोभन के रुप में नहीं किया जाएगा? क्या इससे देश में धर्मांतान्तरण को बढ़ावा नहीं मिलेगा? क्या प्रलोभन द्वारा धर्मांतान्तरण करना देश की एकता के लिए खतरनाक नहीं होगा? क्या इस्लामी बैंकों की शाखाओं का इस्तेमाल आतंकवादियों को फंड उपलब्ध कराने के लिए तो नहीं होगा?तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की भारत में इस्लामिक बैंक कितना सही ?

#जेद्दा (सउदी अरब) के इस्लामिक डेवेलपमेंट बैंक (#आईडीबी) की शाखा #प्रधानमंत्री के गृह #राज्य #गुजरात में खुलेगी | इस बैंक के 56 इस्लामिक देश सदस्य हैं। भारत एक मात्र गैर- मुस्लिम देश होगा जिसमें इस्लामिक बैंकिग व्यवस्था शुरु की जा रही है। इस्लामिक बैंक शून्य ब्याज दर पर लोन देता है और बचत राशि पर भी कोई ब्याज नहीं देता, इस्लामिक बैंक पिछले दरवाजे से सूद लेते हैं। इस्लामिक बैंक अपने यहां जमा धन से अचल सम्पत्ति खरीदते हैं। मकान, दुकान, घर बनाने वाले भूखंडों आदि पर निवेश करते हैं। इससे जो फायदा होता है उसमें वह बराबर का हिस्सेदार होता है ।

#भारत में इस्लामिक बैंक की #रघुराम_राजन समिति की एक सिफारिश से हुई थी । २०१२ में #राष्ट्रीय #अल्पसंख्यक_आयोग के तत्कालीन #चेयरमैन वजाहत हबीबुल्लाह ने वित्त मंत्रालय के समक्ष इस्लामिक बैंकिंग की पैरवी की थी । कट्टरवादी मुसलमान इस्लामिक बैंकिंग व्यवस्था को देश में लागू करने की पैरवी करने लगे । संसद में मनमोहन सिंह सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ए रहमान खान ने इस्लामी बैंकिंग को देश में लागू करने वकालत की तो उनका साथ सभी मुस्लिम #सांसदों ने दिया।

हाल ही में #केरल #हाईकोर्ट ने राज्य में पहला इस्लामी बैंक खोले जाने की अनुमति दी है। केरल में इस्लामीकरण की आँधी तेजी से बढ़ रही है। इस इस्लामीकरण की आंधी में #वामपंथी और #कांग्रेस दोनों दल अल्पसंख्यक वोट के लिये कुछ भी करने को तैयार हैं। जब केरल की #कांग्रेस सरकार ने केरल में इस्लामी बैंक की स्थापना के लिए एक त्रिपक्षीय निगम गठित करने का प्रयास शुरु किया तो #सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इसका डटकर विरोध किया था।

डॉ. स्वामी का तर्क था कि इस्लामिक फाइनैंस की अनुमति देना राजनीतिक और आर्थिक दोनों रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक होगा। इन बैंकों द्वारा इस्लामी उग्रवाद की ज्वाला को भड़काने के लिए विदेशों से भारी मात्रा में आर्थिक सहायता प्राप्त हो सकती है।

जानकारों का मानना है कि इससे #आतंकवादियों को “वैध” तरीके से फण्डिंग उपलब्ध करवाने में आसानी होगी। साथ ही दुबई के हवाला #ऑपरेटरों को इससे बढ़ावा मिलेगा। तो सवाल उठता है कि #भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में इस्लामीक बैंक को लागू करना किसी साजि़श का हिस्सा है या फिर वोट बैंक की #राजनीति?

भारत में खोली जाने वाली इस्लामिक बैंक कई प्रकार की #कानूनों और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। फिर भी इसे खोलने के लिए सरकार जी जान से लगी हुई है। पार्टनरशिप एक्ट 1932 का उल्लंघन। भारतीय संविदा कानून 1872 की धारा 30 का उल्लंघन। बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के सेक्शन 5 (इ), (ब), 9 और 21 का उल्लंघन। आरबीआई कानून 1934 का उल्लंघन। नेगोशियेबल इंस्ट्रूमेण्ट एक्ट 1881 का उल्लंघन। को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट 1961 का उल्लंघन। संविधान की धारा 14 का उल्लंघन।

२००७ में भी #आरबीआई ने तत्कालीन #ऐग्जिक्युटिव_डायरेक्टर आनंद सिन्हा के नेतृत्व में एक वर्किंग ग्रुप ने देश में इस्लामिक बैंक को खोलने के प्रस्ताव को खारिज किया था ।

#रिजर्व_बैंक के पूर्व #गवर्नर डी. सुब्बाराव पहले ही कह चुके है कि इस्लामिक बैंक भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में लागू करना संभव नहीं है।

@राजीव_गांधी सरकार ने अल्पसंख्यकों के आर्थिक उत्थान के लिए #राष्ट्रीयकृत बैंकों के निर्देशक #मंडलों को यह निर्देश दिया गया था कि वह #ऋण देते समय अल्पसंख्यक समुदाय का विशेष ध्यान रखें। इसी नीति पर मोदी सरकार भी चल रही है। अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री डा. नजमा हेपतुल्ला ने राष्ट्रीयकृत बैंकों को यह निर्देश दिया है कि मुसलमानों को #स्वरोजगार शुरु करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कर्ज दिया जाए वह भी बहुत कम ब्याज पर।

साफ है कि सभी पार्टियाँ मुस्लिम वोट प्राप्त करने के लिए जानबूझकर सभी कायदे-कानूनों और नियमों को ताक पर रखने पर तुली हुई है। मुस्लिम वोट बटोरने के मोह में वह भारतीय समाज को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने का प्रयास कर रही है, जो कि देश के लिए बेहद खतरनाक है।

जिन #नरेद्र_मोदी ने #मुख्यमंत्री रहते हुए मुसलमानों द्वारा अपना सम्मान करते समय उनकी टोपी पहनने से मना कर दिया था आज उसी #गुजरात के #अहमदाबाद में इस्लामिक विकास बैंक की पहली शाखा खोली जा रही है। इस्लामी देश भारत की अर्थव्यवस्था में घुसपैठक करने के लिए गत दो दशकों से इसका प्रयास कर रहे थे। खास बात यह है कि कांग्रेस की #मनमोहन_सिंह सरकार देश में जिस बैंकिग व्यवस्था को लागू करने के लिए तैयार नहीं हुई थी उसे मोदी सरकार ने हरी झंडी दे दी।

#आल_इंडिया_मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड तथा मुस्लिम हितों के लिए सक्रिय संगठनों, नेताओं ने इस्लामी बैंक खोलने का स्वागत किया है। संघ परिवार देश में इस्लामी बैंकिग व्यवस्था को शुरु करने का जबर्दस्त विरोध कर रहा था अब उसने देश में इस्लामी बैंक की शाखाएं खोलने के बारे में अपनी जुबान क्यों बंद कर रखी है? क्या अब संघ परिवार के लिए राष्ट्रहितों की बजाय राजनीतिक हित सर्वोपरि हो गए हैं?

चुनावों में अल्पसंख्यकों के मत बटोरने के उद्देश्य से सभी पार्टियों ने जिस तरह से खुलेआम मुस्लिम तुष्टीकरण का अभियान शुरू किया है उसके कारण देश और समाज के टुकड़े-टुकड़े होने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि सभी पार्टियों व स्वार्थी संगठनों को देश की एकता और सांप्रदायिक सद्भाव से कोई सरोकार नहीं है। भारत को विभाजित करने की जो नींव रखी जा रही है वह बेहद खतरनाक है। अगर देश नहीं चेता तो भविष्य में इसके खतरनाक परिणाम होंगे।

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर जो आरोप लगाए थे उनमें से एक आरोप ये भी था कि वो भारत में इस्लामी बैंकिंग लाना चाहते हैं।
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