क्यों #खेल में फिसल रहा है हमारा महान #भारत_देश???
205 #देशों के 10 हजार से ज्यादा #खिलाड़ी रियो 2016 #ओलम्पिक में हिस्सा ले रहे हैं। #भारत में ओलंपिक के खिलाड़ियों की संख्या केवल 118 है। देश की 1.2 अरब की जनसंख्या पर इनका अनुपात देखा जाए तो 1.04 करोड़ जनसंख्या पर एक खिलाड़ी । भारत ने जब इस बार अपना सबसे बड़ा दल रियो ओलंपिक में भेजा तो एक उम्मीद हर भारतीय को थी कि नतीजे बेहतर होंगे । पहली बार इतना बड़ा दल गया है तो पदकों की संख्या भी बड़ी होगी । लेकिन अभी तक केवल दो पदक...ओलंपिक में भारत क्यों इतना बेबस नजर आता है ?
Jago Hindustani - Why is India not upto the mark in sports? |
दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश क्यों खेलों में पिछड़ जाता है?
ओलंपिक में भारत ने अब तक कुल नौ गोल्ड जीते हैं। इनमें से आठ गोल्ड उसे #पुरुष हॉकी में मिले हैं। पुरुष हॉकी में #भारत ने आखिरी बार 1980 के मॉस्को ओलंपिक में गोल्ड जीता था। उसके बाद भारत को गोल्ड के लिए 28 सालों का इंतजार करना पड़ा ।
2008 के बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर #राइफल शूटिंग में देश को गोल्ड दिलाया। बीजिंग ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड और दो #ब्रॉन्ज के साथ कुल तीन पदक जीते थे। 2012 के लंदन #ओलंपिक में भारत ने दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज पदक जीते थे। ओलंपिक में भारत ने 1920 से लेकर 2012 त हैं। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी और क्षेत्रफल में सातवां सबसे बड़ा देश भारत जहां पदकों के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है तो इससे छोटे कई देश एक के बाद एक करके पदक जीत रहे हैं। पदक जीतने वाले देशों में कई देश #अर्मेनिया, #स्लोवानिया, #लिथुआनिया, #मोल्डोवा, #एस्तोनिया और ग्रेनाडा तो ऐसे हैं जिनका नाम कई भारतीयों ने सुना भी नहीं होगा ।
#अमेरिका के महान तैराक #माइकल फ्लेप्स ने अकेले 28 पदक जीते हैं जिसमें 23 गोल्ड शामिल हैं जो भारत के अब तक के सभी ओलंपिक्स में मिलाकर जीते पदकों की संख्या से भी ज्यादा है। ओलंपिक पदक जीतने के मामले में भारत छोटे #यूरोपीय देशों और गरीब माने जाने वाले कई #अफ्रीकी देशों से भी पीछे है।
आखिर क्यों?
आखिर क्यों?
#ओलंपिक_खेल में भारत के लगातार निराशाजनक प्रदर्शन की वजह है बुनियादी सुविधाओं की कमी, #भ्रस्टाचार, #मीडिया, #फिल्में, खराब सेहत, #गरीबी, #संतानों पर #डॉक्टरों और #इंजीनियर बनने का दबाव, ग्रामीण इलाकों में #ओलिंपिक के बारे में जानकारी न होना और क्रिकेट की लोकप्रियता आदि । इन पर ध्यान देने की जरूरत है ।
भारत में #क्रिकेट को ज्यादा बढ़ावा दिया जाता है, जिससे सरकार और लोगों का ध्यान अन्य खेलों के प्रति नहीं जाता है । हक़ीकत ये है कि #एथलेटिक्स और दूसरे खेलों को #क्रिकेट की तुलना में मीडिया से मदद नहीं मिलती । #संयुक्त #राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार 2014 तक भारत में करीब 35 करोड़ 60 लाख लोग 10 से 24 वर्ष के बीच की उम्र के थे । उन्हें यदि सही दिशा दी जाती तो वह प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं । लेकिन #सरकार व मीडिया केवल #क्रिकेट की #लोकप्रियता को ही भुनाने में लगी हुई है और भारतीय माँ-बाप का नजरिया भी क्रिकेटर, डॉक्टरों और इंजीनियर तक ही सीमित है तो दूसरे खेल में भारत बेहतर कैसे कर सकता है । भारत में क्रिकेट पसंद नहीं करने वाले को नास्तिक माना जा सकता है। ऐसे में कई युवा दूसरे खेलों की ट्रेनिंग लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। क्रिकेट की लोकप्रियता की कीमत भारत को दूसरे खेलों की बलि देकर चुकानी पड़ रही है ।
एक #समाचार #पत्र ने अपने पाठकों से पोल कराकर पूछा था कि रियो ओलंपिक में भारत के खराब प्रदर्शन के लिए कौन जिम्मेदार है? इस पर करीब 59.71 फीसदी पाठकों ने खेल संघों में राजनीति और भ्रष्टाचार को भारत के खराब प्रदर्शन क लिए जिम्मेदार माना है। वहीं, 29.95 फीसदी लोग खेल संघों में राजनीति को ओलंपिक में भारत के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार मानते हैं। 10.34 फीसदी लोग भ्रष्टाचार को भारत के खराब प्रदर्शन की वजह मानते हैं।
आज आजादी के इतने सालों के बाद भी खेलों में हमारा स्तर नहीं सुधरा कुछ खेलों में हम ऊपर की जगह नीचे आ रहे हैं। हर नई सरकार से आशा होती है यह सरकार खेलों के लिए कुछ करेगी पर हमेशा निराशा हाथ लगती है हमारा स्तर सुधरता नहीं ओर नीचे जा रहा है।
भारत में खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है । हर खिलाड़ियों को सही सुविधाएँ नहीं मिलती है । समय पर उनका चयन नहीं होता है । सब जगह की तरह खेलों में भी बहुत भ्रष्टाचार ओर भाई भतीजा वाद हैं काबिल व्यक्तियों को मौका नहीं मिलता है।
भारत की खेल संघों पर भी #नेताओं को सालों से कब्जा है वह खेलों के बारे में कुछ नहीं समझते पर उन्होंने भ्रष्टाचार के लिए कब्जा कर रखा है । सरकारों द्वारा हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं जिससे देश में खेलों का विकास हो सके । खिलाड़ियों का विकास तो होता नहीं है नेताओं का विकास जरूर हो जाता है । जब खिलाड़ी पदक जीतते है तो सरकार इनाम की घोषणा करती है । लेकिन जब खिलाड़ी को अपनी जरुरतों के खेल का मैदान सही मिलता है, न ही खेलने के सामान मिलते है। इन हालातों में सही खिलाड़ियों की हम कैसे आशा कर सकते हैं।
हमें अच्छे खिलाड़ी मिले उसके लिए हमें स्कूलों में खेलों को भी एक विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल करना पड़ेगा और खिलाड़ियों को सभी सुविधाएं देनी होगी । साथ ही भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद की नीति को खत्म करना पड़ेगा । इसके लिए #युवा को ही कमान सँभालना होगा । अभी से तैयारी करेंगे तभी 2020 में टोक्यो में होनेवाले ओलम्पिक में बहुत सारे पदक जीतेंगे ।
जो बीत गई सो बात गई! इतना तो आपने सुना ही होगा कि डूबता तैराक ही है, गिरता घुड़सवार ही है, हारता वही है जो खेलता है। जो बीत गई, सो बात गई। बीती ताहि बिसार दे, अब आगे की सुध ले। यही इस जीवन का अंतिम सत्य है। याद रखिए, जब जागे तभी सवेरा, हर दिन,... नई तारीख,नया दिन!...
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