क्रिसमस मनाने पर होगी पांच साल की सजा- ब्रूनेई के सुलतान का एलान...
ब्रुनई के सुलतान ने घोषणा की है कि, "यहां कोई भी क्रिसमस मनाते पकड़ा गया तो पांच साल तक कैद में डाल दिया जाएगा। यहाँ तक क़ि किसी को भी इस मौके पर बधाई देते हुए भी पाया गया या किसी ने सैंटा टोपी भी पहनी तो कैद की सजा भुगतनी होगी।"
ब्रुनई के सुलतान ने घोषणा की है कि, "यहां कोई भी क्रिसमस मनाते पकड़ा गया तो पांच साल तक कैद में डाल दिया जाएगा। यहाँ तक क़ि किसी को भी इस मौके पर बधाई देते हुए भी पाया गया या किसी ने सैंटा टोपी भी पहनी तो कैद की सजा भुगतनी होगी।"
बोर्नियो द्वीप पर स्थित पट्रोलियम संपन्न इस देश की कुल आबादी 420,000 है।
उन्होंने कहा क़ि, ‘यह इसलिए बाध्यकारी है ताकि क्रिसमस के खुलेआम उत्सव पर नियंत्रण पाया जा सके।
क्रिसमस उत्सव के दौरान लोग क्रॉस धारण करते हैं, कैंडल जलाते हैं, क्रिसमस ट्री बनाते हैं, उनके धार्मिक गीत गाते हैं, क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके धर्म की प्रशंसा करते हैं। ये सारी गतिविधियाँ हमारे देश के विरूद्ध हैं। क्रिसमस के उत्सव से हमारी आस्था प्रभावित होती है।’
उन्होंने कहा क़ि, ‘यह इसलिए बाध्यकारी है ताकि क्रिसमस के खुलेआम उत्सव पर नियंत्रण पाया जा सके।
क्रिसमस उत्सव के दौरान लोग क्रॉस धारण करते हैं, कैंडल जलाते हैं, क्रिसमस ट्री बनाते हैं, उनके धार्मिक गीत गाते हैं, क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके धर्म की प्रशंसा करते हैं। ये सारी गतिविधियाँ हमारे देश के विरूद्ध हैं। क्रिसमस के उत्सव से हमारी आस्था प्रभावित होती है।’
धन्यवाद है ब्रुनई के सुलतान को जिन्होंने इतनी छोटी आबादी वाले देश में भी क्रिसमस न मनाने का आदेश जारी किया ।
एक हमारा भारत देश जहाँ धर्म निरपेक्षता के नाम पर हिन्दू धर्म की ही जड़े काटी जा रही है।
सभी धर्म सम्मान हो सकता है लेकिन सभी धर्म समान नही हो सकते।
हिन्दू धर्म सनातन धर्म है। ये कबसे शुरू हुआ कोई नही जानता। भगवान राम भी इसी सनातन धर्म में प्रगटे और भगवान श्री कृष्ण भी।
अगर ब्रुनई में क्रिसमस मनाने से वहाँ की संस्कृति नष्ट होने की आशंका है तो भारत में हम क्यों ये क्रिसमस मनाये। जबकि भारत तो हिंदुओं का देश है।
अपने सनातन धर्म की गरिमा से जन-जन को अवगत कराने और देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति का वातावरण बनें और जन-मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र के हित चिंतक पूज्य आसाराम बापूजी की पावन प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन' दिवस मनाना प्रारम्भ किया गया है। इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी है।
सुख-शांति, समृद्धि व आरोग्य प्रदायिनी तुलसी ‘माता' अति पवित्र एवं पूजनीय मानी गयी है ।
भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘तुलसी दल के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।
भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘तुलसी दल के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।
तुलसी आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक - तीनों प्रकार के तापों का नाश कर सुख-समृद्धि देनेवाली है
तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढता है।
तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढता है।
स्कंद पुराण के अनुसार ‘जिसके घर में तुलसी की लकडी अथवा तुलसी का हरा या सूखा पत्ता होता है, उसके घर में कलियुग का पाप नहीं फैलता ।'
आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘तुलसी में रोग के कीटाणुओं का नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से तुलसी महौषधि है, अमृत है।
आज मानव-जाति जिन रोगों से ग्रस्त है, उनमें से अनेकानेक रोगों को तुलसी के द्वारा सरलतापूर्वक दूर किया जा सकता है
तुलसी एक, लाभ अनेक........!!!
आज मानव-जाति जिन रोगों से ग्रस्त है, उनमें से अनेकानेक रोगों को तुलसी के द्वारा सरलतापूर्वक दूर किया जा सकता है
तुलसी एक, लाभ अनेक........!!!
अतः विष्णुप्रिया तुलसी हर घर में होनी चाहिए । सभी लोग संकल्प लें कि 25 दिसम्बर को क्रिसमस डे न मनाकर 'तुलसीपूजा के रूप में मनायेगे।
विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा
मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी।
विष्णुप्रिया है वृंदा प्यारी,
तुलसी जीवन की रखवारी ।
रोग नाशिनी है, गुणकारी,
जिसकी महिमा बडी अपार ।।
आओ मनायें 'तुलसीपूजन' का त्यौहार।।
तुलसी जीवन की रखवारी ।
रोग नाशिनी है, गुणकारी,
जिसकी महिमा बडी अपार ।।
आओ मनायें 'तुलसीपूजन' का त्यौहार।।
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