
शिवसेना ने देश के कानून पर उठाये अनेक सवाल...

हमारी न्याय व्यवस्था केवल संतजन और सज्जनों के साथ ही कठोर क्यों?

शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र 'सामना' में नाबालिक रेपिस्ट की रिहाई पर कोर्ट की अवमानना करते हुए निर्भया की माता से माँगी माफ़ी और कानून पर उठाये अनेक सवाल...

अपने मुख्यपत्र 'सामना' में उन्होंने लिखा क़ि इतने साल बाद भी हम दुष्ट को कठोर दण्ड देने के लिए कानून क्यों नही बना पाये ???

अगर कल पाकिस्तान से 18 साल से कम उम्र का आतंकवादी आएगा तो क्या तब उसे भी 3 साल के बाद जेल से रिहा कर दिया जायेगा ???

क्या यही है देश की न्याय प्रणाली..???

एक तरफ तो एक मासूम कन्या निर्भया के साथ कुकर्म करने वालों को रिहा किया गया और दूसरी ओर ऐसे कानून बना दिए गए है जिससे संतजन और सज्जन पीड़ित और असुरक्षित हो गये है ।

उन्होंने अपने लेख में आगे कहा क़ि मानव हित व कल्याण के लिए पिछले 50 वर्षों से निस्वार्थ कार्य करनेवाले संत आसाराम बापू जी के खिलाफ 28 महीनों से एक भी आरोप सिद्ध नही हुआ फिर भी उनको एक साधारण जमानत, जो क़ि उनका मौलिक अधिकार है। उससे भी वंचित रखा जा रहा है।

केवल आरोप के आधार पर 28 महीनों तक 76 वर्षीय एक वरिष्ठ निर्दोष संत को षड़यंत्र तहत जेल में रखना अन्याय की पराकाष्ठा नही है ???

निर्दोष हिन्दू साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जी के ऊपर भी आजतक आरोप सिद्ध नही हुआ और केंसर से पीड़ित है लेकिन ईलाज के लिए उनको भी जमानत तक नही मिलती।

आज जहाँ बड़े बड़े आरोप सिद्ध होने वाले जेल से रिहा किये जा रहे है वहीँ निर्दोष संतो को बेवजह जेल में रखा जा रहा है।

हिन्दू राष्ट्र मे हिन्दू संतो पर अत्याचार कब तक....???

कानून ऐसा हो क़ि नारी और पुरुष दोनों सुरक्षित हो। क्या आज कानून को आड़ बना कर कई फर्जी केस नहीं किये जा रहे है...???

उन्होंने अपने लेख में आगे प्रधानमंत्री जी को कहा है क़ि क्या PM को ये अन्याय नज़र नही आ रहा...???

निर्दोष संतों को बेवजह जेल में रखा जा रहा है और एक सुकन्या के साथ कुकर्म करने वालों को रिहा किया जा रहा है।

आज देश को न्यायपूर्ण शासन एवम् न्यायकारी राज्य की आवश्यकता है और भेदभाव से भरे कानूनों को बदलने की आवश्कता हैं।

विलंबित इंसाफ !
पक्षपाती इंसाफ !
यह राष्ट्र का कानून है या दोष..???

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