Saturday, September 26, 2020

यह घटना पाकिस्तान नही हिंदुस्तान की है, जानिए हिंदू घटा वहाँ क्या हाल हुआ !

26 सितंबर 2020


सेक्युलर हिंदू बोलते रहते हैं कि कुछ हिंदू लोग हिंदू-मुस्लिम करते रहते हैं। उनके पास दूसरा कुछ काम नही है, इसलिए हिंदू-मुस्लिम करके अपनी रोटियां सेक रहे हैं। बाकी तो हम भाई-भाई हैं आपस मे मिलजुल कर रहते हैं और कही एक हिंदू की किसी अब्दुल कलाम जैसे अच्छे मुस्लिम ने मदद कर दी तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार करेंगे लेकिन वास्तविकता क्या है ये आपके सामने नही आने देंगे अगर वास्तविकता जाननी है तो पाकिस्तान बनाने में दलित नेता जोगेंद्र नाथ मंडल ने भूमिका निभाई थी उनकी आपबीती और कश्मीरी पंडितों की आपबीती पढ़ लेना, सेक्युलरिज्म का नशा अपने आप उतर जाएगा।




आपको यहाँ एक ताजा घटना बता रहे हैं उससे भी आपकी थोड़ी आँखे खुल जाएगी...

चौथी कक्षा के एक बच्चे ने अनजाने में एक फेसबुक पोस्ट किया। इस पोस्ट को लेकर सैकड़ों की संख्या में मुस्लिमों ने हिंदू परिवार पर दिनदहाड़े हमला कर दिया। घटना कानपुर के मकनपुर गाँव की है। 18 सितंबर को यह हमला हुआ। इस्लामी भीड़ ने तीन घंटे से ज्यादा बवाल किया। हिंदू परिवार के घर पर पथराव किया गया। सीढ़ियों के सहारे घर की छत पर चढ़कर तोड़फोड़ और लूटपाट की गई। परिवार के बुजुर्गों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ा।

हमले में घर के मालिक आलोक गुप्ता गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी माँ और लकवाग्रस्त पिता को भी चोटें आई। बिल्होर थाने में इस संबंध में 58 लोगों के खिलाफ 21 सितंबर को एफआईआर दर्ज कराई गई।

घटना के बाद बजरंग दल के प्रदेश सचिव रामजी तिवारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने इस घटना का उल्लेख करते हुए इलाके के हिंदुओं की दयनीय स्थिति से उन्हें अवगत कराया है।

ऑपइंडिया के पास इस पत्र की कॉपी है। इसमें बताया गया है कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान आलोक गुप्ता के नाबालिग बच्चे ने अनजाने में अपने पिता के फेसबुक प्रोफाइल से एक पोस्ट कर दी। इससे इलाके के कुछ कट्टरपंथी भड़क उठें।

अगली सुबह परिवार को इसका एहसास होता उससे पहले सैकड़ों की संख्या में इस्लामी कट्टरपंथी आलोक के घर के बाहर जुट गए। ‘मारो, काटो’ सहित अन्य भड़काऊ नारें लगाते हुए भीड़ ने उनके घर पर पथराव शुरू कर दिया।

पलक झपकते ही कुछ उन्मादी आलोक के घर पर चढ़ गए और लूटपाट तथा तोड़फोड़ शुरू कर दी। कोई भी बात सुने बिना उन्मादी भीड़ ने आलोक की बुजुर्ग माँ और लकवाग्रस्त पिता को एक कोने में धकेल दिया और आलोक की बुरी तरह से पिटाई शुरू कर दी। महिलाओं से गहने छीन लिए। घर में रखे पैसे ले गए और आलोक को लहूलुहान छोड़ दिया। रामजी तिवारी का कहना है कि यह सबकुछ दिनदहाड़े पुलिस की मौजूदगी में हुआ। घटना को फिल्मा रहे कुछ स्थानीय पत्रकारों और युवाओं के मोबाइल भी भीड़ ने तोड़ दिए। लवकुश कटियार नामक एक स्थानीय पत्रकार की भीड़ ने बुरी तरह पिटाई की। गंभीर चोटों के कारण कटियार को कानपुर के अस्पताल के आईसीयू में दाखिल कराना पड़ा।

तिवारी के अनुसार इस घटना से आसपास के हिंदू परिवार भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने भी मकनपुर छोड़ने का फैसला किया। इस इलाके में हिंदू पहले से अल्पसंख्यक हैं और डर के साए में जीते हैं। तिवारी ने मुख्यमंत्री से घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ, जिनका नाम एफआईआर में दर्ज हैं, पर सख्त कार्रवाई की माँग की है।

ऑपइंडिया के पास वे वीडियो भी हैं, जिसमें पीड़ित परिवार घटना की भयावहता बयाँ कर रहे हैं। आलोक की मॉं ने बताया कि सुबह 8 बजे अचानक से भीड़ उनके घर के पास जुट गई और वे समझ पाते कि क्या हुआ है, उससे पहले उनका घर लूट लिया गया। परिवार ने बताया, “पूरा तांडव तीन घंटे तक चलता रहा”। आलोक की मॉं ने बताया कि घर के भीतर घुसने वाली भीड़ ने उन्हें और उनके ​पति को धकेल दिया तथा उनके बेटे की बुरी तरह पिटाई की। घर के मंदिर और मूर्तियों को तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि बंदूक की गोली जैसी आवाज भी अपने घर के बाहर से उन्होंने सुनी थी।

उन्होंने आगे बताया कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही और उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। आलोक की बुरी तरह पिटाई होने के बाद दो पुलिस कॉन्स्टेबल घर के अंदर गए और उन्हें बाहर निकाला। परिवार के एक अन्य सदस्य ने कहा कि बिल्होर पुलिस स्टेशन के अधिकारी, निरीक्षक हर कोई वहाँ मौजूद था लेकिन किसी ने मदद नहीं की। घटना के बाद वे आलोक को ले गए उसे भी कुछ दिन पुलिस हिरासत में रखा।

वहीं वीडियो में मौजूद तीसरे व्यक्ति ने पुष्टि की कि घटना को रिकॉर्ड करने का प्रयास करने वाले लोगों को भी पीटा गया था और उन्मादी इस्लामी भीड़ द्वारा उनके मोबाइल को भी तोड़ दिया गया था।

ऑपइंडिया ने की पीड़ित के भांजे से बात

ऑपइंडिया ने आलोक के भांजे कुणाल से भी बात की तो उन्होंने बताया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के लगातार दबाव बनाने के बाद आरोपितों को बचाने की कोशिश के आरोप में बिल्होर थाने के एसएचओ संतोष कुमार अवस्थी और मकनपुर थाने के प्रभारी वेद प्रकाश मिश्रा का ट्रांसफर कर दिया गया है। कुणाल के अनुसार एक सप्ताह बाद भी उपद्रवियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बिल्होर पुलिस ने मामले में कुछ गिरफ्तारी की थी, लेकिन उनके खिलाफ आईपीसी की धाराएँ इतनी कमजोर थीं कि उन्हें तुरंत जमानत मिल गई।

उन्होंने यह भी पुष्टि की कि थाने लाए गए कुछ और उपद्रवियों को बिना सवाल पूछे ही जाने दिया गया। कुणाल ने आरोप लगाया कि भीड़ में शामिल लोगों ने पुलिस को रिश्वत दी थी, जिसके कारण उनके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई।

यह घटना कोई पाकिस्तान की नही बल्की हिंदुस्तान की है, आप सोचो एक बच्चे से गलती से पोस्ट शेयर हो गई उसके कारण एक हिंदू परिवार को कितना नुकसान भुगतना पड़ा अगर पुलिस नही होती तो हत्या भी हो सकती थी, जहाँ भी हिंदू घटा अथवा जाती में बंटा वहाँ यही हाल होगा, अभी भी समय है एक बने रहे जब तक जनसंख्या नियंत्रण कानून नही आये तब तक कम से कम हिंदुओं को 4 बच्चें तो पैदा करने ही चाहिए।

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