हिन्दू धर्म में जितने संत महात्मा अवतरित हुए है उतने किसी धर्म में नही हुए सतयुग से ही ऋषियों मुनियों को राक्षस व् राक्षस प्रवृति के लोग तंग करते आये है। ।
सतयुग से ही ऋषियों मुनियों को राक्षस व् राक्षस प्रवृति के लोग तंग करते आये है।
शक्ति जब भी संस्था में एकत्रित होती है तो साधारणतया विनाश ही करती है उसको नियंत्रित करने के लिए राजाओ के ऊपर सन्यासी या श्रेष्ठ गुरु होते थे। जिससे राजा यथापूर्वक धर्मानुसार प्रजाहित के कार्य करते थे।
अंग्रेजो ने महान हिन्दू परम्पराओ को तोड़ने के लिए अत्याचारी कानून बनाए और जाते -जाते काले अंग्रेजो को सत्ता दे गए। इन्होंने भी ईसाइ मिशनरियों को तुष्टिकरण को हथियार बना 60 सालों तक लूटा और जनता को मूर्ख बनाया।
अंग्रेजो ने "फूट डालो राज करो"की नीति अपनाई व् ऐसे -ऐसे कानून बनाये थे जिससे वह आतंकी व अत्याचारी शासन को चला सके तथा जनता धर्म और समाज को तोड़ सके।
शर्म की बात यह है कि आज़ादी के 68 साल के बाद भी हमारे देश में वही कानून लागू है।
स्वामी लक्ष्मणानंद, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, पूजनीय संत आशारामजी, श्री जयेंद्र सरस्वती आदि संतो को तंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।
करोड़ो लोगो के वंदनीय संत आशाराम जी बापू पर बलात्कार का झूठा आरोप लगाकर उन्हें जेल भेजनेे का कार्य ईसाइ मुश्नरियों व उनकी कठ पुतली मीडिया का ही परिणाम है।
संत आशारामजी के चरणों में स्वयं कई प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री सिर झुका चुके है ।
एक बुजुर्ग संत पर ऐसे कीचड़ उछालना राक्षसों का ही काम है परन्तु उनको सताने वाले उन पर झूठे आरोप लगाने वाले नीच लोग हजारो सालो तक नरक की आग में जलेंगे ।
सौजन्य -शम्भुनाथ एक्सप्रेस (राजस्थान)
सौजन्य -शम्भुनाथ एक्सप्रेस (राजस्थान)
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