भूकंप कहे गाय की गाथा।कांपे धरा त्रास अति जाता।
अथार्त् जब गौमाता को कष्ट होता है, तभी पृथ्वी कांपती है ।

अथर्ववेद के अनुसार- गाय समृद्धि का मूल स्रोत व प्रचुरता की द्योतक है एवं सृष्टि के पोषण का स्रोत व जननी है। गाय माता में 33 करोड़ देवताओं का वास हैं।

गाय को सताना घोर पाप है। उसकी हत्या से तो नर्क के द्वार खुल जाते है तथा करोड़ो जन्मों तक दुख भोगना पड़ता है।

"गोमय वसते लक्ष्मी" यह हमारी प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक संस्कृति का मूल-मंत्र रहा है।

आज के वैज्ञानिक भी कहते हैं कि गाय ही एकमात्र ऐसा पवित्र प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है।

यह बहुत आश्चर्य की बात है क़ि 1 चम्मच गोघृत जला कर हम 1 टन प्राणवायु प्राप्त कर सकते है। - रुसी वैज्ञानिक शिरोविच

एलोपैथिक दवाओं,रसायनिक खादों,प्रदूषण आदि के कारण शरीर में एकत्रित विष गाय के दूध से ही नष्ट होता है ।

गौ माता का दूध,दही,गौ-मूत्र,गोबर आदि जीवन के लिए उपयोगी होने के साथ-साथ वरदान स्वरुप है।

अमेरिका केंसर की दवा बनाने के लिए भारत से गौमूत्र आयात करता है और हम लोग पवित्र गौ-माता को कत्लखाने भेज देते है। ये कहाँ तक उचित है ???

प्रत्येक हिन्दू का परम् कर्तव्य है क़ि वो गौ-गीता और संतो का सम्मान करें। ऐसा करेंगे तभी हम देश को सही दिशा की ओर ले जा पाएंगे तथा ईसाई मिशनरियों द्वारा देश को गुलाम होने से बचा पायेगे।

नन्दगोपाल की इस धरा पर होनी ही चाहिए #गौरक्षा_हर_कीमत_पर ।
🇮🇳जागो भारतवासियों जागो...
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