Saturday, May 6, 2017

इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा को पछाड़कर राज करेगी हिंदी भाषा

इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा को पछाड़कर राज करेगी हिंदी भाषा

5 मई 2017

आज के युग मे लोग इंटरनेट का उपयोग अधिक से अधिक करने लगे हैं, भारत में इंटरनेट पर सर्च अधिक हिन्दी भाषा और अन्य भारतीय भाषाओं में करने लगे हैं । भारतीय जनता ने जितनी तेजी से राष्ट्रभाषा हिन्दी में नेट पर सर्च करना चालू कर दिया इससे तो पता चलता है कि विश्व में हिन्दी भाषा का प्रयोग होने लगेगा ।
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भारतीय भाषाओं के इंटरनेट यूजर्स के लिए खुशखबरी आई है ।

वर्ष 2021 तक इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं का राज होगा । हिंदी, बांग्ला, मराठी, तमिल और तेलुगु आदि #भारतीय भाषाओं के यूजर्स तेजी से बढ़ेंगे और अंग्रेजी के दबदबे को #खत्म कर देंगे । 

आपको बता दें कि #गूगल और #केपीएमजी की एक संयुक्त रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है । रिपोर्ट में बताया गया है कि #वर्ष 2021 तक इंटरनेट पर तकरीबन 536 मिलियन (53.6 करोड़) यूजर्स #भारतीय भाषाओं के होंगे, जो कि कुल इंगलिश यूजर्स 199 मिलियन (1.99 करोड़) ही होंगे मतलब भारतीय #भाषाओं में 2.5 गुना ज्यादा होगा । 


रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुल इंटरनेट यूजर्स में से 75 प्रतिशत यूजर्स #भारतीय भाषाओं के होंगे । माना जाता है कि #भारतीय भाषाओं के अधिकांश यूजर्स #मोबाइल से #इंटरनेट का उपयोग करते हैं । वहीं, भारत के इंटरनेट यूजर्स में से 78 प्रतिशत #मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग करते हैं ।

पांच सालों में भारतीय #भाषाओं के यूजर्स की संख्या में 450 प्रतिशत की #वृद्धि हुई है । वर्ष 2011 में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 42 मिलियन (4.2 करोड़) थी, जो अब 234 मिलियन (23.4 करोड़) हो गयी है । वर्ष 2021 तक इसके 536 मिलियन (53.6 करोड़) तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। इसी तेजी को देखते हुए आगामी चार साल में #भारतीय भाषाओं के कुल इंटरनेट #यूजर्स में से एक तिहाई सिर्फ हिंदी में इंटरनेट यूज कर रहे होंगे । 

बाकी रिपोर्ट्स के अनुसार, 201 मिलियन (20.1 करोड़) हिंदी के यूजर्स, 51 मिलियन (5.1 करोड़) मराठी के और 42 मिलियन (4.2 करोड़) बांग्ला भाषा के #यूजर होंगे । 

भारत में #डिजिटल न्यूज का असर भी तेजी से बढ़ रहा है । 

भारत में सोशल मीडिया पर भी 21 फीसदी की #वृद्धि दर्शाता है । 


आपको बता दें कि जापान के लोग किसी भी देश में जाते हैं तो अपनी #राष्ट्रभाषा का ही प्रयोग करते हैं लेकिन हमको सालों से #अंग्रेजों ने गुलाम बनाकर रखा था इसलिए आज भी वही #गुलामी के संस्कार घुसे हैं और हम राष्ट्रभाषा नही बल्कि अंग्रेजी भाषा बोलकर अपने को #गौरान्वित  मानते हैं ।क्योंकि आजादी के 70 साल के बाद भी हमारे गुलामी के संस्कार जा नही रहे हैं ।

अंग्रेज या अमेरिकन हमारे देश में आते हैं तो उनकी भाषा #अंग्रेजी का ही प्रयोग करते है वो #हिन्दी नही बोलते हैं और नही सीखने की कोशिश करते हैं तो हम क्यों गुलाम बनाने वालों की भाषा का प्रयोग करें???

अभी हम कहीं पर भी जायें तो #राष्ट्रभाषा का ही प्रयोग करें, इंटरनेट पर भी सर्च #हिन्दी में ही करे जिससे हमारी भाषा का उनको भी महत्व समझ में आये और वे हमारे अनुसार चले नहीं के हम उनके अनुसार ।

हमारी भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति है , बाकि धर्म, महजब बाद में आये और हमारी #मूल भाषा देवताओं की भाषा #संस्कृत भाषा थी लेकिन समय बदलते ही #संस्कृत भाषा से बनी हिन्दी भाषा का ही प्रयोग करें और दुनियाँ को बता दें कि हमारी भारतीय #संस्कृति और हमारी भाषा #विश्व में सर्वश्रेष्ठ है ।

आपको बता दें कि दुनिया में हिंदी बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2005 में #दुनियाँ के 160 #देशों में हिंदी बोलने वालों की अनुमानित #संख्या 1,10,29,96,447 थी। उस समय चीन की मंदारिन भाषा बोलने वालों की संख्या इससे कुछ अधिक थी। लेकिन 2015 में दुनिया के 206 देशों में करीब 1,30,00,00,000 (एक अरब तीस करोड़) लोग हिंदी बोल रहे हैं और अब #हिंदी बोलने वालों की संख्या #दुनियाँ में सबसे ज्यादा हो चुकी है।

अभी तो चीन के 20 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। 2020 तक वहाँ हिंदी पढ़ाने वाले #विश्वविद्यालयों की संख्या 50 से अधिक पहुँच जाने की उम्मीद है। यहॉ तक कि चीन ने अपने 10 लाख सैनिकों को भी हिंदी सिखा रखी है। 


भारत के अलावा मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, गयाना, ट्रिनिडाड और टोबैगो आदि देशों में हिंदी #बहुप्रयुक्त भाषा है। भारत के बाहर फिजी ऐसा देश है,जहाँ हिंदी को #राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।

हिंदी को वहाँ की #संसद में प्रयुक्त करने की मान्यता प्राप्त है। मॉरीशस में तो बाकायदा "विश्व हिंदी सचिवालय" की स्थापना हुई है ।


शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने अपनी सिफारिशों में #सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में से धीरे-धीरे अंग्रेजी को हटाने और #भारतीय भाषाओं को शिक्षा के सभी स्तरों पर शामिल करने पर जोर दिया है। साथ ही आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे अंग्रेजी भाषाओं में पढ़ाई कराने वाले संस्थानों में भी #भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने की सुविधा देने पर जोर दिया गया है। 


हिंदी भाषा इसलिये दुनियाँ में प्रिय बन रही है क्योंकि #इस भाषा को देवभाषा #संस्कृत से लिया गया है जिसमें मूल शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक है। जबकि अंग्रेजी भाषा के मूल शब्द केवल 10,000 ही है ।


हिंदी का शब्दकोष बहुत #विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में नही हैं। #हिंदी भाषा संसार की उन्नत भाषाओं में सबसे अधिक व्यवस्थित #भाषा है। 


आज मैकाले की वजह से ही हमने मानसिक #गुलामी बना ली है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता । लेकिन आज दुनियाँ में #हिंदी भाषा का महत्व जितना बढ़ रहा है उसको देखकर समझकर हमें भी हिंदी भाषा का उपयोग अवश्य करना चाहिए ।


अपनी मातृभाषा की गरिमा को पहचानें । #अपने बच्चों को अंग्रेजी (कन्वेंट स्कूलो) में शिक्षा दिलाकर उनके विकास को #अवरुद्ध न करें । उन्हें मातृभाषा (गुरुकुलों) में पढ़ने की स्वतंत्रता देकर उनके #चहुँमुखी विकास में सहभागी बनें ।

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