थोड़ा दोष तो जरूर होगा... अगर कोई कहता है कि इतनी बदनामी और कुप्रचार होने के पीछे आसाराम बापू का थोड़ा दोष तो जरूर होगा तो थोड़ा नहीं, सारा दोष उन्हींका ही है क्यों?
क्योंकि पहला दोष : वे एक हिन्दू संत हैं । अगर किसी अन्य धर्म के कोई बड़े गुरु होते तो शायद कोई उन्हें छू भी न पाता ।
दूसरा दोष : वे खरी बात कहते हैं । जिसमें लोगों का भला होता है वह बात स्पष्ट रूप से कह देते हैं ।
तीसरा दोष : करोड़ों लोगों के सिगरेट, शराब आदि व्यसन छुड़वाये हैं ।
चौथा दोष : करोड़ों लोगों को ईश्वर के मार्ग पर लगाया है ।
पाँचवाँ दोष : किसीकी चमचागिरी नहीं करते । किसी मीडियावाले को घूस नहीं देते ।
छठा दोष : कई हिन्दुओं को धर्मांतरित होने से बचाया है ।
सातवाँ दोष : जो विधर्मी या विदेशी भारतविरोधी ताकतें हैं, उनके आगे हार मानने को तैयार नहीं हैं ।
आठवाँ दोष : करोड़ों युवाओं व विद्यार्थियों को पतन से बचाकर तेजस्वी-ओजस्वी बनाया है ।
नौवाँ दोष : पाश्चात्य अंधानुकरण से भोग्या बन रही नारी को उसकी निज महिमा में जगाया है, नारी सशक्तीकरण के लिए कई अभियान चलाये हैं ।
दसवाँ दोष : भारतवासियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा-पद्धति की श्रेष्ठता-महत्ता समझाकर स्वस्थ-सुखी जीवन की कुंजियाँ प्रदान की हैं । ऐसे और भी बहुत सारे दोष हैं बापूजी में लेकिन वास्तव में ये दोष हैं या महानता
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