जागो हिन्दुस्तानी
स्वतन्त्र भारत की गुलाम न्याय व्यवस्था....
1947 में जब देश आजाद हुआ तो BBC के एक पत्रकार ने गांधीजी से पूछा कि "बापू, अब तो देश आजाद हो गया है,अब आप किससे लड़ेंगे”?
गांधीजी- “अभी देश आजाद नहीं हुआ, अभी तो अंग्रेज सिर्फ भारत छोड़ के जा रहे हैं, अभी तो अंग्रेजों की बनाई गयी जो व्यवस्था है, जो नियम है, जो कानून है, अभी तो हमको उसे बदलना है, असली लड़ाई तो अब होगी”|
गाँधी जी कुछ करते उससे पहले उनकी हत्या हो गयी लेकिन उनके द्वारा घोषित 'व्यवस्था परिवर्तन' की लड़ाई आज तक नहीं हो पाई । गाँधी जी की लड़ाई वहीं रुक गयी। उनके जाने के बाद सत्ता की लड़ाई शुरू हो गई |
गाँधी जी कुछ करते उससे पहले उनकी हत्या हो गयी लेकिन उनके द्वारा घोषित 'व्यवस्था परिवर्तन' की लड़ाई आज तक नहीं हो पाई । गाँधी जी की लड़ाई वहीं रुक गयी। उनके जाने के बाद सत्ता की लड़ाई शुरू हो गई |
भारत के लोग धीरे-धीरे व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई को भूलते चले गए और आज 67 साल बाद दुःख से कहना पड़ता है कि वो सब कानून आज भी इस देश में वैसे ही चल रहे हैं जो कभी भारतीयों को प्रताड़ित करने के लिए बनाये गए थे। मतलब सत्ता गोरे अंग्रेजों के हाथ से निकल कर काले अंग्रेजों के हाथ में आ गयी, स्वतंत्रता नहीं आयी....!!!
स्वतंत्रता दो शब्दों को मिलाकर बना है । स्व+तंत्र ,और “स्व” का मतलब होता है “अपना” और “तंत्र” का मतलब होता है “व्यवस्था” | जब तक हम अपना तंत्र नहीं बनायेंगे तब तक हम स्वतंत्र कैसे हुए???
तंत्र तो अंग्रेजों का ही चल रहा है, तंत्र उनका चल रहा है तो लूट भी वैसे ही हो रहा है जैसे अंग्रेज लूटा करते थे |
तंत्र तो अंग्रेजों का ही चल रहा है, तंत्र उनका चल रहा है तो लूट भी वैसे ही हो रहा है जैसे अंग्रेज लूटा करते थे |
तथाकथित जो विकास हुआ, उस विकास के पैमाने क्या हैं देश में,आइये इस पर भी नज़र डाले……………🏻
🏻1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस देश के ऊपर एक नए पैसे का विदेश कर्ज नहीं था और विकास इतना हुआ है कि प्रत्येक भारतीय पर दस हजार रूपये से ज्यादा का कर्ज लदा हुआ है |
🏻1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस देश के ऊपर एक नए पैसे का विदेश कर्ज नहीं था और विकास इतना हुआ है कि प्रत्येक भारतीय पर दस हजार रूपये से ज्यादा का कर्ज लदा हुआ है |
🏻दो सौ साल अंग्रेजों ने इस देश को लूटा तो भी हमारे ऊपर एक नए पैसे का विदेशी कर्ज नहीं था और आजादी के 67 साल बाद इस देश का बच्चा-बच्चा कर्जदार हो गया है।
🏻 भारत जब आजाद हुआ तो सारी दुनिया के व्यापार में हमारे देश की हिस्सेदारी दो प्रतिशत थी और 2012 में यह घटकर आधे प्रतिशत से भी कम हो गयी।
🏻रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 1947-48 में हमारा विदेशी व्यापार घाटा दो करोड़ रूपये का था, 2011 के अंत में ये बढ़कर 13601 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया ।
🏻1947-48 में चार आने सेर का गेंहू बिकता था देश में, आज 25 से 30 रूपये किलो का गेंहू हो गया है।
🏻रिजर्व बैंक के आंकड़ों के हिसाब से 1947-48 में छः आने का एक सेर दूध बिकता था गाय का, और वो भी शुद्ध, और आज 35-40 रूपये लीटर पावडर का दूध मिल रहा है।
🏻 1947-48 में तीन पैसे की एक सेर तरकारी (सब्जी) मिलती थी, आज 20-25 रूपये में एक पाव तरकारी मिलती है।
🏻1947 -48 में सबसे अच्छे आम खाने को ही नहीं बाटने को मिलते थे और 2012 में आम तो खाना दूर मैंगो फ्रूटी मिल रही है 200 रूपये किलो।
🏻इस देश में प्रचुर मात्रा में पानी था, देश की नदियाँ पानी से भरी रहती थी, आज 500 -600 फीट पर पानी नहीं मिलता, नेताओं के घर में, चौक-चौराहों पर पानी के फव्वारे लगे हैं और टेलीविजन पर प्रचार आता है “पानी का मोल पहचानिये”। वाह!
🏻जमीन, पानी, दूध और शिक्षा इस देश में कभी बिकने की वस्तु नहीं रही, आज सब बिक रहा है बाजार में, और पानी भी बिक रहा है 15 रूपये लीटर ।
🏻1947-48 में 4 करोड़ गरीब थे इस देश में, आज 84 करोड़ गरीब हो गए है।
🏻1952 में हमारे देश के सबसे गरीब आदमी को 12 रूपये मिलते थे वो आज बढ़कर 20 रूपये हो गए है, मतलब 8 रूपये की वृद्धि हुई है 67 सालों में और अगर उसमे मुद्रा-विस्तार (inflation) को जोड़ दे तो ये बढ़ोतरी नहीं घटोतरी हुई है।
🏻1952 में हमारे देश के MPs को और MLAs को जितना पैसा मिलता था उसमे 1000 गुने की वृद्धि हुई है।
🏻 देश के 84 करोड़ लोगों को एक दिन में 20 रुपया नहीं मिल रहा है और देश के राष्ट्रपति के ऊपर एक दिन का खर्चा 8 लाख रुपया है, और साल भर का खर्च 29 करोड़ रूपये । देश के प्रधानमंत्री के ऊपर एक दिन में होने वाला खर्चा 7 लाख रुपया है और साल में लगभग 25 करोड़ रुपये।
🏻 देश के 84 करोड़ लोगों को एक दिन में 20 रुपया नहीं मिल रहा है और देश के राष्ट्रपति के ऊपर एक दिन का खर्चा 8 लाख रुपया है, और साल भर का खर्च 29 करोड़ रूपये । देश के प्रधानमंत्री के ऊपर एक दिन में होने वाला खर्चा 7 लाख रुपया है और साल में लगभग 25 करोड़ रुपये।
🏻वर्तमान में भारत के 70 करोड़ किसानों पर एक साल में 10 हजार करोड़ रुपया खर्च होता है और भारत के सवा पाँच हजार MLSs , 850 MPs , जिनमे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति शामिल हैं, उनका खर्च एक साल में 80 हजार करोड़ रुपये है।
ये विकास हुआ है इस देश का....???
किस भारत में हम जी रहे हैं और किस भारत के उज्जवल भविष्य की कल्पना कर रहे हैं???
सोचिये!!!
-श्री राजीव दिक्सित
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