हिन्दुओं का यही दुर्भाग्य रहा है कि उन्होंने अपने देश के संतों का इतिहास पढ़ने के लिए समय कभी निकाला ही नहीं, अन्यथा आज भारत के राष्ट्रसेवी, समाज-हितैषी सच्चे संतों के ऊपर लग रहे आरोपों से एक भी भारतवासी प्रभावित नहीं होता और संतों के विरुद्ध चल रहे षड्यंत्रों का मुँहतोड़ जवाब देता ।
महात्मा बुद्ध, कबीरजी, तुकारामजी, स्वामी विवेकानंदजी का इतिहास पढ़ा है ? पढ़िये । उनके ऊपर भी संगीन मिथ्या आरोप लगाकर समाजद्रोहियों ने उनका खूब दुष्प्रचार किया था ।
उनके बहकावे में आये लोगों ने उस समय उन महापुरुषों की कद्र नहीं की परंतु जब वे इस दुनिया से चले गये तब लोग उनकी सोने, चाँदी आदि की मूर्तियाँ बनवाकर उनकी पूजा करते हैं, उनकी समाधि के आगे दंडवत् प्रणाम करते हैं ।
महापुरुषों की हयातीकाल में उनसे पूरा लाभ न ले पाना यह हिन्दुओं का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है ?
षड्यंत्र से प्रभावित वे लोग जिन्होंने आसारामजी बापू को कभी देखा-सुना नहीं, वे क्या जानें कि बापूजी क्या हैं ? उनके आदर्श कितने ऊँचे हैं ?
जो करोड़ों लोग बापू से जुड़े हैं, वे तो इतनी बदनामी होने के बाद भी आज उनमें श्रद्धा रखते हैं क्योंकि उन्होंने चखा है बापू के सत्संग-अमृत, ज्ञान, आत्मानुभव, आत्म-अमृत को । उन्होंने सत्संग-सरिता में गोता लगाकर अपने जन्मों-जन्मों की तपन मिटायी है । अब वे झूठे आरोप लगानेवालों की बातें मानेंगे या कई दशकों के अपने अनुभव का आदर करेंगे
आज हिन्दुओं की हालत ऐसी है जैसे पड़ोसी के घर में आग लगी है और सोच रहे हैं कि ‘हम क्यों जायें मदद करनेहम क्यों चिंता करें
लेकिन जब यह आग फैलते-फैलते उनके घर को घेर लेगी तो उन्हें पछतावा होगा कि ‘काश ! हमने पड़ोसी की मदद की होती तो आज हमारा घर नहीं जलता ।’
आज संत आसाराम बापू , साध्वी प्रज्ञाजी, स्वामी असीमानंद पर आरोप लगाये जा रहे हैं, कल किसी और हिन्दू संत को निशाना बनाया जायेगा । फिर अफसोस होगा कि समय रहते ही अगर सब लोग हिन्दुत्व के नाते एक हो गये होते तो मुट्ठीभर षड्यंत्रकारियों की ताकत नहीं थी कि वे 70-80 करोड़ हिन्दुओं की ओर आँख भी उठा पायें। जागो हिन्दू देखिये वीडियो
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