Sunday, July 26, 2020

आर्य कौन हैं ? क्या भारत में आर्य बाहर से आए थे ? जानिए पूरा सच ।

26 जुलाई 2020

🚩हमारे देश में मैकाले द्वारा जो विषय तय किये गए उनमे से एक था इतिहास विषय। जिसमे मैकाले ने यह कहा की भारतवासियों को उनका सच्चा इतिहास नहीं बताना है क्योंकि उनको गुलाम बनाके रखना है, इसलिए इतिहास को विकृत करके भारत में पढाया जाना चाहिए। तो भारत का इतिहास पूरी तरह से उन्होंने विकृत कर दिया। सबसे बड़ी विकृति जो हमारे इतिहास में अंग्रेजो ने डाली जो आज तक ज़हर बन कर हमारे खून मे घूम रही है, वो विकृति यह है की “हम भारतवासी आर्य कहीं बहार से आयें।” सारी दुनिया मे शोध हो जुका है की आर्य नाम की कोई जाति भारत को छोड़ कर दुनिया मे कहीं नही थी। तो बाहर से कहाँ से आ गए हम ? फिर हम को कहा गया की हम सेंट्रल एशिया से आये माने मध्य एशिया से आये। मध्य एशिया में जो जातियां इस समय निवास करती है उन सभी जातियों के DNA लिए गए, DNA आप समझते है जिसका परिक्षण करके कोई भी आनुवांशिक सुचना ली जा सकती है। तो दक्षिण एशिया में मध्य एशिया में और पूर्व एशिया में तीनो स्थानों पर रहने वाली जातियों के नागरिकों के रक्त इकठ्ठे करके उनका DNA परिक्षण किया गया और भारतवासियों का DNA परिक्षण किया गया। तो पता चला भारतवासियों का DNA दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और पूर्व एशिया के किसी भी जाति समूह से नही मिलता है तो यह कैसे कहा जा सकता है की भारतवासी मध्य एशिया से आये, आर्य मध्य एशिया से आये ?

🚩इसका उल्टा तो मिलता है की भारतवासी मध्य एशिया मे गए, भारत से निकल कर दक्षिण एशिया में गए, पूर्व एशिया में गए और दुनियाभर की सभी स्थानों पर गए और भारतीय संस्कृति, भारतीय सभ्यता और भारतीय धर्म का उन्होंने पूरी ताकत से प्रचार प्रसार किया। तो भारतवासी दूसरी जगह पर जाकर प्रचार प्रसार करते है इसका तो प्रमाण है लेकिन भारत में कोई बाहर से आर्य नाम की जाति आई इसके प्रमाण अभी तक मिले नही और इसकी वैज्ञानिक पुष्टि भी नही हुई। इतना बड़ा झूठ अंग्रेज हमारे इतिहास में लिख गए और भला हो हमारे इतिहासकारों का उस झूठ को अंग्रेजों के जाने के 70 साल बाद भी हमें पढा रहे हैं।

🚩अभी थोड़े दिन पहले दुनिया के जेनेटिक विशेषज्ञ जो DNA, RNA आदि की जांच करनेवाले विशेषज्ञ  है इनकी एक भरी परिषद हुई थी और उस परिषद का जो अंतिम निर्णय है वो यह कहता है की “आर्य भारत में कहीं बाहर से नही आये थे, आर्य सब भारतवासी ही थे, जरुरत और समय आने पर वो भारत से बाहर गए थे।”

🚩अब आर्य हमारे यहाँ कहा जाता है श्रेष्ठ व्यक्ति को, जो भी श्रेष्ठ है वो आर्य है, कोई ऐसा जाति समूह हमारे यहाँ आर्य नही है। हमारे यहाँ तो जो भी जातियों में श्रेष्ठ व्यक्ति है वो सब आर्य माने जाते है, वो कोई भी जाति के हो सकते है, ब्राह्मण हो सकते है, क्षत्रिय हो सकते है, शुद्र हो सकते है, वैश्य हो सकते है। किसी भी वर्ण को कोई भी आदमी अगर वो श्रेष्ठ आचरण करता है हमारे यहां उसको आर्य कहा जाता है, आर्य कोई जाति समूह नही है, वो सभी जाति समूह में से श्रेष्ठ लोगों का प्रतिनिधित्व करनेवाला व्यक्ति है। ऊँचा चरित्र जिसका है, आचरण जिसका दूसरों के लिए उदाहरण के योग्य है, जिसका किया हुआ, बोला हुआ दुसरो के लिए अनुकरणीय है वो सभी आर्य है।

🚩हमारे देश में स्वामी दयानन्द जैसे लोग, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, उधम सिंह, चंद्रशेखर,अश्फाकउल्ला खान, तातिया टोपे, झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, कितुर चिन्नम्मा यह जितने भी नाम आप लेंगे यह सभी आर्य हैं, यह सभी श्रेष्ठ हैं क्योंकि इन्होने अपने चरित्र से दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। इसलिए आर्य कोई हमारे यहाँ जाती नहीं है। राजा जो उच्च चरित्र का है उसको आर्य नरेश बोला गया नागरिक जो उच्च चरित्र के थे उनको आर्य नागरिक बोला गया भगवान श्री राम को आर्य नरेश कहा जाता था, श्री कृष्ण को आर्य पुत्र कहा गया, अर्जुन को कई बार आर्यपुत्र का संबोधन दिया गया, युथिष्ठिर, नकुल, सहदेव को कई बार आर्यपुत्र का सम्बोधन दिया गया या द्रौपदी को कई जगह आर्यपुत्री का सम्बोधन है। तो हमारे यहाँ तो आर्य कोई जाति समूह है ही नही, यह तो सभी जातियों मे श्रेष्ठ आचरण धारण करने वाले लोग, धर्म को धारण करने वाले लोग आर्य कहलाये हैं। तो अंग्रेजों ने यह गलत हमारे इतिहास में डाल दिया।

🚩सरकार को चाहिए कि पाठ्यक्रम में सही इतिहास को पढाये जो अंग्रेजों और वामपंथियों ने इतिहास में छेड़छाड़ करके हमारी संस्कृति विरोध में लिखा है वो बदल देना चाहिए।

🚩Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

No comments: