Tuesday, July 28, 2020

इंजीनियरिंग की हुई लड़की को नौकरी नहीं मिली, खाद बनाकर कमा रही है हर महीने 2 लाख !!

28 जुलाई 2020

🚩हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है जिसके आधे भाग पर खेती की जाती है विश्व में सबसे ज्यादा खेती भारत में ही की जाती है। खेती का नाम आते ही पढ़े लिखे युवा उससे मुह मोड़ लेते है क्योंकि दिमाग मे एकबात भर दिया कि खेती पिछड़े लोगों का व्यवसाय है और उसमें कमाई कुछ नही होती है लेकिन अगर सही तरीके से खेती कर दी जाए तो कम मेहनत में आप करोड़पति भी बन सकते हैं, आज लॉक डाउन में सभी बिजनेस मंदे हैं लेकिन कृषि में कभी मंदी नहीं आ सकती है क्योंकि भोजन के बिना किसी का चलता नहीं है और वे किसान अपनी मेहनत से अनाज पैदा करता है और पूरी दुनिया उसे खाकर आज जिंदा हैं।

🚩कठिन परिस्थितियों में बहुत से लोग टूट जाते हैं वहीं कुछ लोग मजबूत इच्‍छाशक्ति और कड़ी मेहनत से कामयाबी हासिल करते हैं। ऐसी ही मिसाल मेरठ की 27 साल की लड़की पायल अग्रवाल ने पेश की है। अव्‍वल नंबर में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाली पायल अग्रवाल को जब नौकरी नहीं मिली तो उसने लीक से हटकर काम चुना और अपनी लगन से वो आज की तारीख में अपने व्‍यवसाय से न केवल लाखों रुपये कमा रही बल्कि कई राज्यों के लोगों को प्‍लांट लगाने की मुफ्त ट्रेनिंग देकर समाजसेवा भी कर रही हैं।

🚩मेरठ की मूल निवासी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी के लिए कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहीं थीं। 2016 में बीटेक कम्पलीट करने के बाद अगले दो साल तक कॉम्पीटिटिव एग्जाम की तैयारी में लगी रहीं, लेकिन एग्जाम क्रेक नहीं कर पाई। वहीं एग्‍जाम की तैयारी के चक्कर में मल्‍टी नेशनल कंपनियों में मिली नौकरी का अवसर भी खो दिया। लेकिन नौकरी न मिलने पर पायल अग्रवाल मायूस नहीं हुईं उन्‍होंने कम लागत वाला कोई काम आरंभ करने का निर्णय लिया और ऐसे बिजनेस की ऑनलाइन तलाश शुरु कर दी। यू ट्यूब पर वर्मी-कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) बनाने का आइडिया ढूंढ़ा और इस काम में जुट गई।

🚩पायल ने दो लाख रुपये की लागत से ये काम शुरु किया था। पायल को ये काम करते हुए दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। महीने में एक से डेढ़ से दो लाख रुपए का प्रॉफिट कमा रहीं हैं।

🚩पायल बताती है कि उनके पास कोई जमीन नहीं थी इसलिए मेरठ के पास दतावली गांव में जमीन लीज पर ली। इस काम के लिए जमीन उपजाऊ हो या बंजर फर्क नहीं पड़ता। अगर बंजर जमीन होती है तो किराया और कम लगता है इसलिए पहले पायल ने डेढ़ एकड़ जमीन किराये पर ली थी, जिसका सालाना किराया 40 हजार रुपए था। उन्‍होंने बताया कि उनके भाई भाभी ने उनकी आर्थिक मदद की और कुछ उन्‍होंने लोगों से उधार लेकर काम शुरु किया। पायल ने इसकी शुरुआत वर्मी कंपोस्‍ट 30 बेड से शुरुआत की। पायल ने काली पॉलीथिन के दो रोल खरीदे , एक की कीमत ढाई हजार रुपए थी। खाद के लिए पानी की भी जरुरत थी बंजर जमीन पर पानी की व्‍यवस्‍था के 20 हजार रुपए का खर्च किया। पुराने जरनेटर को ठीक करवाकर बिजली की व्‍यवस्‍था की और खाद बनाने संबंधी औजार खरीदकर शुरुआत की।

🚩उन्‍होंने बताया शुरुआती साल में जितनी लागत लगाई उतना ही कमाई हुई। नुकसान नहीं हुआ इसलिए हौसला बढ़ा और अब एक से डेढ़ लाख रुपए महीना की बचत कर रही हूं। कई बार दो लाख रुपए तक की भी बचत हो जाती है। पिछले डेढ़ साल से पायल को अपने बिजनेस में इतना प्राफिट हो रहा है कि पायल वर्तमान समय में अभी पायल के बाद 200 बेड हैं औ वो हर महीने 20 से 25 टन खाद बनाती हैं।

●कई राज्यों मे लगवा चुकी हैं वर्मी कम्पोस्ट की यूनिट

🚩इस बिजनेस में पायल अग्रवाल ने ऐसी महारत हासिल कर ली है कि वो हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, अलीगढ़, बरेली, महाराष्ट्र, आगरा, कश्मीर, जामनगर जैसे शहरों में कई किसानों और लोगों के लिए वर्मी कम्पोस्ट की यूनिट लगवा चुकी हैं। पायल ये सेवा लोगों को निशुल्‍क प्रदान कर रही है वो नई यूनिट लगाने के लिए केंचुआ सप्लाई करती हैं। पायल के पास स्किल्ड लेबर हैं, जहां भी यूनिट लगानी होती है, वहां उनका एक ट्रेंड लेबर जाते हैं और व्यक्ति को ट्रेनिंग देकर आ जाते है।पायलऑनलाइन भी वीडियो के जरिए लोगों को कंसल्ट करती हैं।

●अब जैविक खाद बनाने के लिए तीन एकड़ जमीन की कर रही तलाश

🚩पायल अब तीन एकड़ जमीन की तलाश कर रही हैं जहां वो 500 बेड लगाकर खाद तैयार करवा सकें। पायल के मुताबिक, इस बिजनेस के लिए कोई विशेष स्किल की जरूरत नहीं। सामान्य समझ वाला कोई भी व्यक्ति इस काम को शुरू कर सकता है। पायल का कहना हैं आप कोई काम करना चाहते है तो चलना तो शुरु करिए क्योंकि आप जब चलना शुरु करेंगे तभी तो कही पहुंचेगें।

🚩पहले भी आपको बताया था कि गुजरात के पोरबंदर जिले के बेरण गांव के एक नौजवान जोड़ा रामदे खुटी और भारती खुटी का। रामदे और भारती काफी समय से लंदन में रह रहे थे। यहां दोनों पति-पत्नी नौकरी करके शानो-शौकत भरा जीवन जी रहे थे, लेकिन  अब यह युवा कपल लंदन छोड़कर गुजरात के पोरबंदर स्थित अपने गांव वापस आ गया है। और यहां गांव में रहकर दोनों पति-पत्नी खेती तथा पशुपालन कर रहे हैं।

🚩ऐसे तो अनेकों उदाहरण हैं आप भी लॉक डाउन में रोजगार नहीं मिलने पर परेशान हैं तो गूगल पर सर्च करके खेती के फायदे जानेंगे और उसके अनुसार करेंगे तो आप भी अच्छी कमाई कर सकते है, बस उसके लिए लगन होनी चाहिए।

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