Thursday, February 2, 2017

कानून तो अँधा है लेकिन भ्रष्ट जजों द्वारा कैसे मिल सकता है निर्दोषों को न्याय..???

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया सीनियर न्यायाधीश..!!!

कानून तो अँधा है लेकिन भ्रष्ट जजों द्वारा कैसे मिल सकता है निर्दोषों को न्याय..???

हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर न्यायालय में कार्यरत सीनियर जज ने रिश्वत लेकर न्यायपालिका को ही शर्मसार कर दिया है ।

बताया जा रहा है कि एन.आई.ए. एक्ट के तहत एक व्यक्ति के लाखों रुपए के विभिन्न मामले उपरोक्त जज के कोर्ट में चल रहे थे, जिन्हें जल्द निपटाने की एवज में जज ने प्रार्थी को अपने चैंबर में बुलाया और उससे 40 हजार रुपए रिश्वत की मांग की और उसे अपना मोबाइल नंबर भी दिया। काफी दिन बीत जाने पर जब प्रार्थी ने जज से सम्पर्क नही किया तो जज ने खुद ही उससे संपर्क कर उसे 2 दिनों के भीतर उसके निवास पर देर शाम 40 हजार रुपए नकदी पहुंचाने की मांग की। 
रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया सीनियर न्यायाधीश..!!!

प्रार्थी ने विजीलैंस को दी मामले की जानकारी..!!

मामला हाई प्रोफाइल व न्यायपालिका से संबंधित होने के चलते शिकायतकर्ता ने शिमला मुख्यालय में तैनात डी.आई.जी. विजीलैंस अरविंद शारदा को पूरे मामले की जानकारी दी, जिन्होंने मंडी रेंज के एस.पी. विजलैंस कपिल शर्मा को कार्रवाई के आदेश दिए, जिस पर डी.एस.पी. अभिमन्यु वर्मा की अगुवाई में एक 14 सदस्यीय टीम गठित की गई, जिसमें टीम ने सभी तथ्यों की गहन छानबीन के बाद जाल बिछाते हुए जज को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए उनके सरकारी आवास से पकड़ा ।

जज को रंगे हाथों 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े जाने के उपरांत हिरासत में भी ले लिया गया है। 

आपको बता दें कि ये कोई पहला मामला नही है जो रिश्वत लेते जज पकड़ा गया हो आंध्र प्रदेश में भी एक कोर्ट का न्यायधीश 2012 में जनार्दन रेड्डी को जमानत देने के लिए 100 करोड़ की रिश्व्त लेते पकड़ा गया था ।

ऐसे ही हाल ही में सीबीआई ने दिल्ली तीस हजारी कोर्ट में सीनियर सिविल महिला जज रचना तिवार के घर पर छापेमारी की थी जहाँ करीब 94 लाख रुपये कैश मिले थे ।

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया सीनियर न्यायाधीश..!!! 



महिला जज रचना तिवारी ने अपनी कोर्ट में लगे एक सिविल केस में विवादित प्रॉपर्टी मामले में शिकायतकर्ता से उसके पक्ष में फैसले के लिए 20 लाख रुपये की रिश्वत माँगी थी ।

महिला जज को भी सीबीआई ने जेल भेजा था ।

ये तो दो-तीन जज रिश्वत लेते पकड़े गए इसलिये उसको गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन ऐसे मामले तो कई हैं । देश के जजों में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि अपराधियों को सजा और निर्दोषों को न्याय मिलना ही मुश्किल हो गया है ।

इसकी पुष्टि भी कई जज कर चुके हैं :

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश काटजू ने कहा था कि भारतीय न्याय प्रणाली में 50% जज भ्रष्ट है ।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े भी सवाल उठा चुके है कि ‘धनी और प्रभावशाली’ तुरंत जमानत हासिल कर सकते हैं । गरीबों के लिए कोई न्याय की व्यवस्था नही है ।

कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस के एल मंजूनाथ ने कहा कि यहाँ सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए कोई स्थान नहीं है और इस देश में न्याय के लिए कोई जगह नहीं ।

इसलिये आज न्याय प्रणाली से देश की जनता का भरोसा उठ गया है ।

देश में 2.78 लाख विचाराधीन कैदी है । इनमें से कई ऐसे हैं जो उस अपराध के लिए मुकर्रर सजा से ज्यादा समय जेलों में बिता चुके हैं ।

देश भर की जिला न्यायालयों में 2.8 करोड़ मामले लंबित हैं ।

आरोप साबित होने पर भी कई बड़ी हस्तियाँ बाहर घूम रही है और अभी तक जिन पर आरोप साबित नही हुआ है वो जेल में है । 
क्योंकि या तो न्याय पाने वाले गरीब है या तो कट्टर हिंदूवादी है इसलिए उनको न्याय नही मिल पाता है ।

लालू, तरुण तेजपाल, कन्हैया, सलमान खान,बाबू लाल नागर आदि कई हैं जिनके विरुद्ध पुख्ता सबूत होने पर भी आज बड़े मजे से बाहर घूम रहे हैं ।

लेकिन 9 साल से  साध्वी प्रज्ञा, 7 साल से असीमानंद,  40 महीनों से संत आसारामजी बापू, 2 साल से धनंजय देसाई आदि बिना सबूत जेल में  है । उन पर अभी तक एक भी आरोप सिद्ध नही होते हुए भी वो आज जेल के अंदर है ।

इनका क्या अपराध है कि कोर्ट जमानत तक नही दे पा रही है ??? 

आखिर क्यों बार बार जमानत खारिज कर रही है..???

क्या ये हिन्दू संत है इसलिए..???

क्या इन्होंने रिश्वत नही दी इसलिए..???

या इन्होंने धर्मान्तरण पर रोक लगाई इसलिए..???

क्या इन्होंने पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया इसलिए..???

क्या इन्होंने विदेशी कंपनियों से लोहा लिया इसलिए...???

या इन्होंने हिन्दू संस्कृति के प्रति जनता में जागृति लायी इसलिए..???


जनता के मन में कई सवाल उठ रहे हैं इसलिए न्याय प्रणाली को भ्रष्ट मुक्त होकर निर्णय लेना होगा जिससे निर्दोष बेवजह सजा भुगतने को मजबूर न हो ।

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