प्रश्न - #साधू-#संतो के पास करोड़ो की संपत्ति है । साधू-संतो को इतनी संपत्ति की क्या जरुरत है? साधू को तो अपरिग्रही होना चाहिए ?
उत्तर : रोमन केथोलिक #चर्च का एक छोटा राज्य है जिसे वेटिकन बोलते है । अपने धर्म (#ईसाई) के प्रचार के लिए वे हर साल 171,600,000,000
डॉलर खर्च करते है । तो उनके पास कुल कितनी #संपत्ति होगी?
डॉलर खर्च करते है । तो उनके पास कुल कितनी #संपत्ति होगी?
वेटिकन के किसी भी व्यक्ति को पता नहीं है कि उनके कितने व्यापार चलते है ।
रोम शहर में 33% इलेक्ट्रॉनिक, #प्लास्टिक, #एर लाइन, #केमिकल और #इंजीनियरिंग बिजनेस वेटिकन के हाथ में है ।
दुनिया में सबसे बड़े shares वेटिकन के पास है ।
#इटालियन #बैंकिंग में उनकी बड़ी संपत्ति है और #अमेरिका एवं स्विस बेंको में उनकी बड़ी भारी deposits है ।
ज्यादा जानकारी के लिए पुस्तक पढाना जिसका नाम है #VATICAN EMPIRE
रोम शहर में 33% इलेक्ट्रॉनिक, #प्लास्टिक, #एर लाइन, #केमिकल और #इंजीनियरिंग बिजनेस वेटिकन के हाथ में है ।
दुनिया में सबसे बड़े shares वेटिकन के पास है ।
#इटालियन #बैंकिंग में उनकी बड़ी संपत्ति है और #अमेरिका एवं स्विस बेंको में उनकी बड़ी भारी deposits है ।
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उनकी संपत्ति के आगे आपके भारत के साधुओं के करोड रुपये कोई मायना नहीं रखते ।
वे लोग खर्च करते है विश्व में धर्मान्तरण करके लोगों को अपनी #संस्कृति, और #धर्म से भ्रष्ट करने में और भारत के संत खर्च करते है लोगों को शान्ति देने में, उनकी स्वास्थ्य सेवाओं में, #आदिवासियों और गरीबों की सेवा में, #प्राकृतिक आपदा के समय पीडितों की सेवा में और अन्य लोकसेवा के कार्यों में ।
#प्राचीन काल में #ऋषियों के पास इतनी संपत्ति होती थी, कि बड़े बड़े राजा जब आर्थिक संकट में आ जाते थे, तब उनसे लोन लेकर अपने राज्य की अर्थ व्यवस्था ठीक करते थे ।
कौत्स ब्राह्मण ने अपने गुरु वर्तन्तु को 14 करोड स्वर्ण मुद्रा गुरु दक्षिणा में दी थी ।
साधू संतो के पास संपत्ति नहीं होगी तो वे धर्म प्रचार का कार्य कैसे करेंगे
प्राचीन काल में राज्य से धर्म प्रचार के लिए धन दिया जाता था । भगवान बुद्ध के प्रचार के लिए सम्राट अशोक जैसे राजाओं ने अपनी सारी संपत्ति लगा दी और आज के समय में सरकार मंदिरों व #आश्रमो की संपत्ति और आय को हड़प कर लेती है और उसे #चर्च एवं #मस्जिदों में खर्च करती है लेकिन #हिंदू धर्म के प्रचार के लिए पैसा खर्च नहीं करती ।
आम हिंदू समाज भी अपने परिवार के लिए ही सब धन खर्च करना जानता है, धर्म की सेवा के लिए 10% आय भी लगाता नहीं और लोगों के अपवित्र जीवन और उदासीनता के कारण भिक्षा वृत्ति भी अब संभव नहीं है ।
इसलिए #आश्रमवासियों के लिए भोजन बनाने के लिए भी संतों को व्यवस्था करनी पड़ती है । उनको व्यापारी मुफ्त में तो दाल, चावल, शक्कर, आदि नहीं देंगे ।
अपरिग्रह की बात सिर्फ हिंदू साधुओं के लिए ही सिखाई जाती है ।
#बिकाऊ #मीडिया को हिंदू साधुओं की संपत्ति पर ही बार-बार स्टोरी बनाकर दिखाते है, ईसाई पादरिओ की नही जबकि उनके पास दुनिया में सबसे ज्यादा संपत्ति है और उसमें से 17 हजार करोड़ डॉलर हर साल #ईसाई #धर्मांतरण पर खर्च किया जाता है ।
जिसके बारे में आम लोगों को पता भी नहीं चलता ।
इसपर मीडिया चुप क्यों ?
क्यों की मीडिया की #चैनले 90% ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित होती है इसलिए वो हमेशा हिन्दू संग़ठन और साधू-संतो को ही बदनाम करते रहते है । जागो हिन्दू
-डॉ.प्रेमजी
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🇮🇳जागो हिन्दुस्तानी🇮🇳
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