Monday, May 24, 2021

दुनिया मे जिसका इलाज नही था उस खतरनाक रोग मिटा शिव मंत्र से

 

 10 मार्च 2021

azaadbharat.org

चिकित्सा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कुछ आंतरिक बीमारियाँ जिनका इलाज आज तक मेडीकल साइंस में उपलब्ध नहीं है, उनमें केवल ૐ मंत्र के नियमित जप से आश्चर्यजनक रूप से कमी देखी गयी है। खासकर पेट, मस्तिष्क और हृदय सम्बन्धी बीमारियों में ૐ का जप रामबाण औषधि की तरह काम करता है।



आज आपको एक ऐसा अनुभव बतायेंगे जिससे आप भी चौक जायेंगे, स्वयं उस रोग के विशेषज्ञ होते हुए भी वे खुद का रोग  नही मिटा पाए लेकिन शिव मंत्र जप करने से मिट गया।

स्किन रोग विशेषज्ञ डा .जगदीप सिंह ओबराय ने बताया कि मैं स्वयं ऑल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस व पीजीआई से एमडी डरमैटोलॉजिस्ट हूं । 

मैं स्वयं इसी रोग का विशेषज्ञ हूं । हम सभी डाक्टर मानते हैं कि इस बीमारी का पूरी दुनिया में कोई इलाज नहीं है । मैंने भारत और विश्व के अनेक डाक्टरों से अपना इलाज कराया लेकिन मेरा रोग ठीक नहीं हुआ क्योंकि इसका इलाज हो ही नहीं सकता । 10 वर्ष पहले जब मैंने पूज्य गुरुजी से भगवान शिव की अभिमंत्रित औषधि ग्रहण की तो मेरा असाध्य सिबोरिक डरमोटाइटिस व उससे होने वाले सभी रोग भी सदा के लिए समाप्त हो गए । 

जो डाक्टर भगवान शिव की अभिमंत्रित औषधि का मजाक उड़ा रहे थे वे मुझे पूर्णतः स्वस्थ देखकर अचंभित रह गए । हम डाक्टरों को कभी सिखाया ही नहीं गया कि मेडिकल साइंस के पार भी एक शक्तिशाली विज्ञान कार्य करता है । यह महाआश्चर्य की बात है कि जिस गंभीर रोग का इलाज पूरी दुनिया में नहीं है और जिससे मैं 25 वर्षों से पीड़ित था वह जड़ से समाप्त हो गया है ।

इस्लाम-ईसाई धर्म में भी मुक्ति का मार्ग नहीं है - एंड्रेयु ब्रिजेन

एंड्रेयु ब्रिजेन जोकि इंग्लैंड के पश्चिमी लेस्टर के सांसद हैं उनका कहना है कि सनातन धर्म में जिस मुक्ति की बात की गई है वह इस्लाम और ईसाई धर्म में भी नहीं है।  भगवान शिव एवं माँ दुर्गा के मंत्रों में सचमुच अकल्पनीय शक्ति है ।

सनातन धर्म के बीज मंत्रों से वे रोग और कष्ट भी पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं जिनका पूरी दुनिया के धर्मों और मेडिकल साइंस में भी कोई समाधान नहीं है ।

मंत्रविज्ञान में थोड़ा सा ही प्रवेश पाकर वैज्ञानिक दंग रह गये हैं। मंत्रों में गुप्त अर्थ और उनकी शक्ति होती है। एक छोटे से सिम से जुड़कर विदेश में आराम से बात कर सकते है। जब फोन के बटन दबाते हो तो वह कृत्रिम उपग्रह से जुड़कर अमेरिका में घंटी बजा देता है, यंत्र में इतनी शक्ति है तो मंत्र में तो इससे कई गुना ज्यादा शक्ति है। क्योंकि यंत्र तो मानव के मन ने बनाया है, जबकि मंत्र की रचना किसी ऋषि ने भी नहीं की है। मंत्र तो ऋषियों से भी पहले के हैं। उन्होंने मंत्र की अनुभूतियाँ की हैं।

भारतवासी अपनी संस्कृति की महानता समजे उसमे मंत्रों की महिमा जानकर जीवन स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन जी सकते हैं।


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