Friday, January 8, 2021

हिंदुओं के धार्मिक स्थल तोड़े जा रहे हैं लेकिन अन्य धर्मों के नहीं...

08 जनवरी 2021


दिल्ली के चाँदनी चौक में सरकारी तन्त्र ने हनुमान मंदिर तोड़ दिया। यदि मन्दिर गलत तरीके से बना है तो उसे स्थानांतरित किया जा सकता है। दिल्ली में मस्जिद-दरगाह- मजार है जो रेलवे लाइन के रास्ते में है लेकिन इसको नहीं तोड़ा गया।




पुरे भारत में इस तरह की अनेक मस्जिद पीर की मजार, दरगाह और ईदगाह मिल जाएंगी जो रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड या मुख्य सड़क की जगह को घेर कर पिछले 70 साल मे बनाई गई हैं। यदि भारत के कानून का धर्म या मजहब से कुछ लेना देना नहीं है तो फिर इस तरह के मन्दिर मस्जिद हटाने चाहिए। मजारों और मस्जिदों के लिए नियम बदल दिए जाते हैं। यह एक तरफा सेक्युलरिज्म बेहद खतरनाक है।

सऊदी अरब जैसे देश में सड़कें इत्यादि बनवाने के लिए खुलेआम मस्जिद तुड़वाया जाता है। एक बार सऊदी अरब के सुल्तान को अपना महल बनाना था उसके लिए उसे जगह चाहिए थी तो उसने कहा कि बिलाल मस्जिद को तोड़ डालो, महल बनाने के लिए जबकि इस मस्जिद में पैगम्बर मुहम्मद नमाज पढ़ते थे ! जब सऊदी अरब में "पैगम्बर मुहम्मद की मस्जिद" को तोड़कर दूसरी जगह बनवाया जा सकता है तो भारत मे क्यों सेक्युलरिज़्म के नाम पर कब्जे हो रहे हैं?

मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म न.4 पर बनी जीन्नात(जीन्न) मस्जिद है। कहते है ये मस्जिद रातों रात बना मिला था। प्लेटफार्म न. 4 पर L शेप मे ट्रेक बना है और ट्रेन घुम कर स्टेशन पंहुचती है ? मुस्लिम आबादी यहां से कम से कम 1.5 कि.मी दुर है। इस मस्जिद के आसपास कोई बस्ती/महल्ला नहीं है जहां के लोग सदा यहां नमाज पढ़ते हो पर सुबह 4 बजे तक के भी नमाज मे मस्जिद भड़ी रहती है।

फरवरी 2018 मे मुजफ्फरनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी मस्जिद हटाई गई। इसके लिए एक फ्लाई ओवर का का निर्माण 10 साल से रुका हुआ था। उसके कारण सड़क एक्सीडेंट मे लगभग 80 मौते हो चुकी थी। इस मस्जिद की वजह से हाईवे पर रेलवे लाइन के ऊपर बना फ्लाईओवर अधर में था। इसके लिए सरकार को 35 लाख रुपए मुआवजा देना पड़ा था।

इन्दिरा गांधी हवाई अड्डा -हवाई अड्डे के टी-2 रनवे नं 10 व 28 पर बनी पीर रोशन खान व काले खान की मजार का रख-रखाव ही नहीं मुस्लिम श्रद्धालुओं को वहां दर्शन कराने के लिए जी.एम.आर. कंपनी अपने वाहन व अन्य सुविधाएं देती है मजारों के कारण रनवे को 'शिफ्ट' किया गया है।

कब्रों पर सिर पटकने वाले हिन्दू ही ज्यादा होते हैं, गुरुवार को बाहरी लोगों (people not working at airport) के लिए भी दर्शन के खास इंतजाम GMR करता है।

दक्षिण दिल्ली में पालम हवाई अड्डे के निकट, सुप्रसिद्ध होटल रेडीसन के सामने स्थित है एक गांव नांगल देवता। इस गांव के दोनों छोर पर मन्दिरों व संतों की समाधियों की एक अविरल श्रृंखला है। मन्दिरों के साथ बगीचे व पेड़ों ने उसे एक आध्यात्मिक व रमणीक स्थल के रूप में प्रसिद्ध किया है। मन्दिर के गुम्बद, उसकी स्थापत्य कला और दीवारों का ढांचा मन्दिर की प्राचीनता का बखान करता है। किन्तु अब नांगल देवत नाम का वह ऐतिहासिक गांव अस्तित्व में नहीं है और प्राचीन ऐतिहासिक मंदिरों को कभी भी ध्वस्त किया जा सकता है। यह सब हो रहा है इंदिरा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार के नाम पर, जिसके लिए जी.एम.आर. नामक कम्पनी को ठेका दिया गया है।

1964-65 में जब पालम हवाई अड्डे का विस्तार हुआ तब गांव की बेहद उपजाऊ लगभग 12,000 बीघे जमीन नांगल देवत के ग्रामवासियों से छीन ली गई। इसके बाद सन् 1972 में गांव की आबादी को वहां से कहीं अन्यत्र चले जाने का नोटिस थमा दिया गया, किन्तु एक बड़े जन आन्दोलन की सुगबुगाहट की भनक लगने पर सरकार को अपना फैसला टालना पड़ा। लेकिन सरकार कहां चुप बैठने वाली थी, उसने सन् 1986 में सभी को गांव खाली करने का आदेश दे दिया गया। तब 360 गांवों की पंचायत बुलाई गई, लोगों ने संघर्ष किया। 1998 तक यह मामला निचली न्यायालय में चला। एकदिन 2007 में भवन निर्माण कम्पनी जी.एम.आर. ने भारी संख्या में पुलिस बल लगाकर चारों ओर से बुलडोजर चला दिये और मन्दिर परिसर को छोड़ पूरे गांव को मलवे के ढेर में बदल दिया। लोगों को अपना सामान भी घरों से निकालने का समय नहीं दिया गया। जुलाई, 2007 में जी.एम.आर. ने 28 एकड़ में फैले भव्य मन्दिरों, संतों की समाधियों व शमशान भूमि को अपने कब्जे में ले लिया। धीरे-धीरे जी.एम.आर. ने मन्दिर को न सिर्फ चारों ओर से लोहे की टिन से सील कर दिया बल्कि वहां अपने आराध्य की पूजा-अर्चना करने आने वाले भक्तों को भी रोकना प्रारम्भ कर दिया।

आज वहां न तो भक्तों के अन्दर जाने का सुगम रास्ता है और न ही वाहन खड़े करने के लिए व्यवस्था। सुरक्षा के भारी-भरकम ताम-झाम देखकर लोग काफी हैरान-परेशान हैं। इन मंदिरों के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा का अन्दाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि चारों ओर से भगवान के घर को सीखचों में बन्द करने के बावजूद लोगों ने 'बाउण्ड्री' के नीचे जमीन में गड्ढे खोदकर वहां से मन्दिर में प्रवेश का रास्ता बना लिया है। हर वृहस्पतिवार व अमावस्या के दिन यहां भक्तों का मेला लगा रहता है। श्राद्ध पक्ष में कनागती अमावस्या के दिन तो यहां बड़ा भारी मेला अब भी लगता है, जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों के लाखों लोग अपने-अपने पितरों का तर्पण यहां आकर करते हैं।

कानून सभी के लिए समान है तो सभी के धर्मस्थल तोड़ने चाहिए न कि केवल हिंदुओं के ही, सरकार, न्यायालय को इसपर ध्यान देना चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।

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