Monday, November 2, 2020

मीडिया ट्रायल पर न्यायालय की फटकार, लेकिन एकतरफा क्यों?

02 नवंबर 2020


अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिपब्लिक चैनल के तरीके को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की या उसकी हत्या हुई?, इस मामले की जांच जब चल रही थी तो आप अपने चैनल पर चिल्ला-चिल्लाकर उसे हत्या कैसे करार दे रहे थे। किसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए और किसकी नहीं, इस बात को लेकर आप लोगों से राय या जनमत कैसे मांग रहे थे? क्या यह सब आपके अधिकार क्षेत्र की बात है?’




अदालत ने रिपब्लिक टीवी के वकील से कहा, ‘क्या आपको नहीं पता कि हमारे संविधान में जांच का अधिकार पुलिस को दिया गया है? आत्महत्या के मामले के नियम क्या आप लोगों को नहीं पता हैं? यदि नहीं पता हैं तो सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) के नियमों को पढ़ लीजिये।’

अदालत ने बेहद सख़्त लहजे में कहा कि एक मृत व्यक्ति को लेकर भी आप लोगों के मन में कोई भावना नहीं है! जांच भी आप करो, आरोप भी आप लगाओ और फ़ैसला भी आप ही सुनाओ! तो अदालतें किसलिए बनी हैं? अदालत ने कहा, ‘हम पत्रकारिता पर रोक लगाना भी नहीं चाहते लेकिन दायरे में रहकर।’

आपको बता दें कि न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (NBSA) ने भी इंडिया टुडे समूह के हिंदी भाषा समाचार चैनल आजतक, ज़ी न्यूज़, न्यूज़ 24 और इंडिया टीवी को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की असंवेदनशील और सनसनीखेज रिपोर्टिंग के लिए माफी माँगने का आदेश दिया था जिसका चैनलों ने अनुपालन किया है और अपने चेनलों पर माफी मांगी।

अब बड़ा सवाल आता है कि जब आम जनता अथवा हिंदूनिष्ठ पर मीडिया ट्रायल चलता है तब कोई न्यायालय उसको फटकार नही लगाते हैं और न ही ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी माफी मांगने को बोलती है।

उसका उदाहरण है आरुषि मर्डर केस जिसमे मीडिया ट्रायल के दबाव में आकर सेशन कोर्ट ने तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुना दी । लेकिन हाईकोर्ट ने 9 साल बाद निर्दोष बरी किया।

दूसरा ममाला है हिंदू संत आशारामजी बापू के गुजरात अहमदबाद गुरुकुल में पढ़ने वाले दो बच्चों की 2008 में संदिग्ध मौत हो गई, उसको लेकर बिकाऊ मीडिया ने तांत्रिक विद्या से मारा ऐसा करके खूब उछाला, सीआईडी ने और सुप्रीम कोर्ट ने उनको क्लीन चिट दे दी कि उनके वहाँ कोई भी तांत्रिक विद्या नही होती है उसके बाद भी मीडिया ट्रायल चलता रहा।

इस प्रकरण में निष्‍पक्ष जांच का भरोसा देते हुए गुजरात सरकार ने जांच के लिए सेवानिवृत्त न्‍यायाधीश डीके त्रिवेदी आयोग का गठन किया। ग्‍यारह साल बाद आई इस रिपोर्ट में बच्‍चों की मौत डूबने से होना बताया है तथा बच्‍चों पर तंत्र विधि तथा आश्रम में तांत्रिक क्रियाओं के कोई सबूत नहीं मिलना बताया है। आयोग ने साफ बताया कि बच्‍चों के शरीर से अंग गायब होने के भी सबूत नहीं मिले हैं।

न्यायमूर्ति त्रिवेदी जाँच आयोग में बयानों के दौरान संत श्री आसारामजी आश्रम पर झूठे, मनगढ़ंत आरोप लगानेवाले लोगों के झूठ का भी विशेष जाँच में पर्दाफाश हो गया है ।

दूसरा की हिंदू संत आशारामजी बापू के खिलाफ जोधपुर केस हुआ है उसमें भी लड़की ने साफ बताया है कि मेरे साथ बलात्कार नही हुआ है और मेडिकल के रिपोर्ट में भी साफ आया है कि उसके साथ कोई भी टच भी नही किया गया है लेकिन मीडिया ने इस बात को नही बताया और "बलात्कारी बाबा" कहकर अनेक झूठी अफवाहों को फैलाया गया लेकिन किसी न्यायालय ने मीडिया को फटकार नही लगाई यहाँ तक कि फटकार लगाना तो दूर की बात मीडिया के दबाव में आकर सेशन कोर्ट ने उनको आजीवन उम्रकैद सुना दी जबकि उनके पास निर्दोष होने के प्रमाण होते हुए भी यह बात उनके वकील सज्जनराज सुराणा ने मीडिया में खुलकर बताई थी।

बापू आशारामजी के आश्रम में एक फेक्स भी आया था कि 50 करोड़ दो नही तो लड़कियों के झूठे केस में फंसने के लिए तैयार रहो दूसरा की भोलानन्द उर्फ विनोद गुप्ता ने भी बताया कि मीडिया में मुझे बापू आशारामजी के खिलाफ बोलने के लिए करोड़ो रूपये का ऑफर दिया गया था।

यह सब प्रमाण होते हुए भी आजतक बापू आशारामजी के खिलाफ षडयंत्र करने वालों पर कार्यवाही नहीं हुई और न ही मीडिया ट्रायल को रोका गया लेकिन सुशांत हत्या के मामले में तुंरत फटकार दिया व माफी मंगवाई।

वैसे कई जज बोल चुके हैं कि मीडिया ट्रायल के कारण जजों पर प्रभाव पड़ता है और फ़ैसला निष्पक्ष नही दे पाते हैं और स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल ने भी बताया था कि मीडिया ट्रायल एक षडयंत्र है। जो हमारे साधु-संतों को बदनाम करने के लिए विदेश से भारी फंडिग आती है उस पर रोक लगानी चाहिए।

आपको बता दें कि स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद हिंदू संत आशारामजी बापू ने शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शुरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोलें, करोड़ो लोगो को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण उन पर मीडिया ट्रायल किया गया और षड्यंत्र के तहत आज वे जेल में हैं।

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