Sunday, October 18, 2020

इस्लाम मज़हब के 29 देश जहां महिलाएं दूसरे धर्म में शादियां नहीं कर सकती

18 अक्टूबर 2020


भारत में तनिष्क का विज्ञापन आने के बाद उसका काफी विरोध हुआ और वो हटा भी दिया लेकिन भारत में हमेशा यही चलता आया है, लव जिहाद को बढ़ाने के लिए सिनेमा, सीरियलो, विज्ञापनों में हमेशा हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़कों का प्यार दिखाया जाता है जिसके कारण हिंदू युवतियां लव जिहाद का जल्दी से शिकार हो जाएं और उसमें फंस कर अपना जीवन नारकीय बना लें, जब ऐसे सिनेमा, विज्ञापनों का विरोध किया जाता है तब सेक्युलर बोलते हैं कि प्यार को धर्म से नही जोड़ना चाहिए, प्यार किसी से भी किया जाता है आदि आदि अनेक उदाहरण देते हैं और तथाकथित बुद्धिजीवी बोलते हैं जब महिला हिंदू हो और लड़का मुस्लिम हो तो सब अच्छा होता है लेकिन महिला मुस्लिम हो और लड़का हिंदू हो तो उसकी हत्या कर दी जाती है फिर भी ये लोग चुप रहते हैं ओर तो ओर जब 29 मुस्लिम देशों में एक भी मुस्लिम महिला दूसरे किसी भी धर्म के साथ शादी नहीं कर सकती तब ये लोग मौन धारण करते हैं इसमें महिलाओं की स्वतंत्रता पर एक शब्द भी नही निकालते हैं।




अफगानिस्तान में मुस्लिम महिला किसी दूसरे मजहब से शादी नहीं कर सकती। इसी तरह से अल्जीरिया का भी कानून है। वैसे तो इस देश में लॉ ऑफ पर्सनल स्टेटस 1984 लागू है जो शादी के बारे में अलग से कोई बात नहीं कहता। हालांकि इसकी धारा 222 में इस्लामिक शरिया को मानने की बात है। बहरीन में भी यही नियम है।

अब बात करते हैं पड़ोसी देश बांग्लादेश की। यहां हनाफी मान्यता के मुताबिक मुस्लिम पुरुष, अपने मजहब की महिला के अलावा क्रिश्चियन या यहूदी महिलाओं से शादी कर सकता है। लेकिन मूर्ति पूजा करने वालों यानी हिंदुओं से शादी मना है। ये शादी अवैध होती है। दूसरी ओर महिलाएं केवल और केवल मुस्लिम युवक से ही शादी कर सकती हैं।

ब्रुनेई में वैसे तो गैर मजहबी शादी पर अलग से बात नहीं है। खासकर Islamic Family Law Act (16) ऐसी कोई बात नहीं करता, जिससे से अनुमान हो सके कि वहां दूसरे मजहब में शादी नहीं हो सकती। वहीं फैमली लॉ एक्ट की धारा 47 में साफ है कि अगर शादी में कोई भी एक पार्टी धर्म छोड़ देती है या मुस्लिम से अलग धार्मिक मान्यता ले लेती है तो भी उसकी शादी तब तक मान्य नहीं होगी, जब तक खुद कोर्ट न कह दे।

ब्रुनेई में शफी मान्यता के मानने वाले हैं। इसके तहत  मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम पुरुष के अलावा किसी दूसरे धर्म में शादी नहीं कर सकती हैं।

स्टेट डिपार्टमेंट 2012 की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रुनेई में मुस्लिम और नॉन-मुस्लिम के बीच शादी की इजाजत नहीं है। वहीं अगर कोई नॉन-मुस्लिम किसी मुसलमान से शादी करना चाहे तो इसे इस्लाम स्वीकारना होता है। अधिकारी इस नियम को किसी शादी को मान्यता न देकर पालन करवाते हैं। इस नियम की अलग से कोई कानूनी व्याख्या नहीं है।

इस्लामिक कानून मानने वाले ऐसे 29 मुल्क हैं, जो दो मजहबों के बीच शादी को मान्यता नहीं देते हैं। इनके साथ-साथ वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी भी हैं, जिसमें मुस्लिमों को दूसरे मजहबों में शादी की मनाही है, खासकर अगर वे मूर्ति पूजा करने वाले हों। ईरान और इराक में ये नियम काफी सख्त हैं और अगर कपल में से एक की धार्मिक मान्यता मुस्लिम न हो, तो उन्हें अलग कर दिया जाता है।

सैर-सपाटे के लिए ख्यात देश मलेशिया में भी नियम काफी सख्त हैं। किसी भी मुस्लिम महिला अन्य धर्म के पुरूष के साथ शादी नही कर सकती।

भारत देश हिंदू बाहुल्य है हिंदू सहिष्णु होते है उसका फायदा वामपंथी, तथाकथित बुद्धिजीवी, सेक्युलर, बॉलीवुड और मीडिया वाले जमकर फायदा उठाते हैं। वें हमेशा हिंदू विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। वें दिन रात इसमे ही लगे रहते हैं कि कैसे भी करके हिंदू संस्कृति को कैसे मिटाया जाए, वे फिल्में, विज्ञापनों, वेब सिरजो, इंटरनेट, पुस्तके, मीडिया, टीवी आदि द्वारा हिंदुओं का ब्रेनवॉश करते हैं। इन षडयंत्र को भोले हिंदू समझते नहीं हैं। वें अपने बच्चों को महान सनातन हिंदू धर्म के संस्कार नही देते हैं। जिसके कारण बच्चे भी सेक्युलर बन जाते हैं और फिल्मे, सीरियल आदि देखकर अपने धर्म से ही नफरत करने लग जाते हैं और कुछ लड़कियां तो लव जिहाद में फंस जाती हैं फिर पूरी जिंदगी नारकीय जीवन जीती हैं फिर कुछ कर नही पाती हैं माँ-बाप भी दुखी हो जाते हैं।

अतः सभी मां-बाप अपने बच्चों को सनातन धर्म के दिव्य संस्कार जरूर दें और ऐसे षडयंत्र का विरोध जरूर करें।

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