Friday, May 24, 2019

बॉलीवुड द्वारा आपको मीठा जहर परोसा जा रहा है ?

24 मई 2019

🚩सलीम जावेद लिखित शोले फिल्म में वृद्ध मुसलमान (ए के हंगल)  को बेटे की मौत पर नमाज के लिए जाते दिखाते हैं तो नायक वीरू (धर्मेन्द्र) को शिव मन्दिर में लड़की छेड़ते हुए दिखाना । अभी मैन्फोर्स कंडोम के विज्ञापन में मंदिर दिखाना और वृद्ध महिला का अश्लील वार्तालाप करना, सभी हिन्दू धर्मगुरुओं के मुँह पर तमाचा है ।

🚩बालीवुड‬ और टीवी सीरियल के नजरिए से ‪हिन्दू‬ को कैसे देखा जाता है एक झलक:-

ब्राह्मण - ढोंगी पंडित, लुटेरा

‪राजपूत - अक्खड़, मुच्छड़, क्रूर, बलात्कारी

वैश्य या साहूकार - लोभी, कंजूस

गरीब हिन्दू दलित - कुछ पैसो या शराब की लालच में बेटी को बेच देने वाला चाचा या झूठी गवाही देने वाला

जाट - खाप पंचायत का अड़ियल बेटी और बेटे के प्यार का विरोध करने वाला और महिलाओं पर अत्याचार करने वाला

जबकि दूसरी तरफ

मुस्लिम - अल्लाह का नेक बन्दा, नमाजी, साहसी, वचनबद्ध, हीरो-हीरोइन की मदद करने वाला टिपिकल रहीम चाचा या पठान ।

ईसाई - जीसस जैसा प्रेम, अपनत्व, हर बात पर क्रॉस बना कर प्रार्थना करते रहना।

🚩ये बॉलीवुड इंडस्ट्री, सिर्फ हमारे धर्म, समाज और संस्कृति पर घात करने का सुनियोजित षड्यंत्र है और वह भी हमारे ही धन से ।

🚩सलीम-जावेद की जोड़ी की लिखी हुई फिल्मों को देखें, तो उसमे आपको अक्सर बहुत ही चालाकी से हिन्दू धर्म का मजाक तथा मुस्लिम / इसाई को महान दिखाया जाता मिलेगा। इनकी लगभग हर फिल्म में एक महान मुस्लिम चरित्र अवश्य होता है और हिन्दू मंदिर का मजाक तथा संत के रूप में पाखंडी ठग देखने को मिलते हैं ।

🚩"दीवार" का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है, लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला भी बार-बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है ।

🚩"जंजीर" में भी अमिताभ नास्तिक है और जया भगवान से नाराज होकर गाना गाती है, लेकिन शेरखान एक सच्चा इंसान है ।

🚩फिल्म "शान" में अमिताभ बच्चन और शशिकपूर साधु के वेश में जनता को ठगते हैं, लेकिन इसी फिल्म में "अब्दुल" जैसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए जान दे देता है ।

🚩क्या आपको बालीवुड की वे फिल्मे याद हैं जिनमें फादर को दया और प्रेम का मूर्तिमान स्वरूप दिखाया जाता था तो हिन्दू सन्यासियों को अपराधी । जो मीडिया हिंदू संत आशाराम बापू पर पागल हो गया था वह आज चुप है । बॉलीवुड प्राय: सदा फिल्मों में हिन्दू पात्रों के नाम वाले कलाकारों को किसी इस्लामिक मज़ार या चर्च में प्रार्थना करते दिखाता है । किसी मुस्लिम या ईसाई पात्र को कभी किसी हिन्दू मंदिर में जाकर प्रार्थना करता दिखाना तो बहुत दूर की बात है । इसके विपरीत वह सदा हिन्दू मान्यताओं का परिहास जैसे पंडित को या भगवान की मूर्ति को रिश्वत देना, शादी के फेरे जल्दी-जल्दी करवाना, मंदिर में लड़कियाँ छेड़ना, हनुमान जी अथवा श्री कृष्णा जैसे महान पात्रों के नाम पर चुटकुले छोड़ना आदि-आदि दिखाता है । परिणाम यह निकलता है कि हिन्दुओं के लड़के-लड़कियां हिन्दू धर्म को ही कभी गंभीरता से लेना बंद कर देते है ।
#StopBollywoodJihad

🚩22 साल पहले गुलशन कुमार को सरेआम गोलियों से मार दिया गया क्योंकि इन्होंने दाऊद जैसे गुण्डों के आगे झुकने से मना कर दिया था । ये बॉलीवुड के इस्लामीकरण में बहुत बड़ी बाधा थे । यह वह हिन्दू व्यापारी था जो अपना आयकर भरता था । कुछ वर्ष तक भारत का सबसे बड़ा आयकर देने वाला व्यक्ति रहा क्योंकि इसने दाऊद के आगे घुटने टेकने से इंकार कर दिया था इसलिए इसे जान से मार दिया गया । परंतु न तो भारत सरकार इसके कत्ल के आरोपी नदीम को भारत ला पाई और न ही इसके परिवार को न्याय मिला ।

🚩गुलशन कुमार की हत्या के  ठीक 6 महीने बाद 1998 में साईं नाम के एक नए भगवान् का अवतरण हुआ, इसके कुछ समय बाद 1999 में बीवी नंबर 1 फिल्म आई जिसमे साईं के साथ पहली बार राम को जोड़कर ॐ साईं राम गाना बनाया था, न किसी हिन्दू संगठन का इस पर ध्यान गया और न किसी ने इस पर आपत्ति की, पहला षड्यंत्र कामयाब ।

🚩इस नए भगवान की एक खासियत थी, इसे लोग धर्मनिरपेक्ष अवतार कहते थे, जिसने हिन्दू मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया था, वो अलग बात है कि उसी चिलम बाबा उर्फ़ साईं बाबा के समय में कई दंगे हुए, बंगाल विभाजन हुआ, मोपला दंगे हुए, मालाबार में हजारों हिन्दुओं को काटा और साईं के अल्लाह का भक्त बना दिया गया, अब इस नए भगवान की एक और खासियत थी, नाम हिन्दुओं का प्रयोग हो रहा था और जागरण में अल्लाह-अल्लाह गाया जा रहा था ।  हिन्दुओं की संतानों की स्थिति अर्ध नास्तिक जैसी हो जाती है । जो केवल नाममात्र का हिन्दू बचता है । परन्तु उसका हिन्दू समाज की मान्यताओं एवं धर्मग्रंथों में कोई श्रद्धा नहीं रहती । ऐसी ही संतानें लव जिहाद और ईसाई धर्मान्तरण का शिकार बनती हैं ।

🚩अगर इसे हम बॉलीवुड जिहाद कहें तो कैसा रहेगा ?

🚩सेंशर बोर्ड को ऐसी फिल्मों पर रोक लगानी चाहिए और हिंदुओं को भी ऐसी फिल्मों का बहिष्कार करना चाहिए, तभी हिंदुओं की अच्छाई और सच्चाई वाली फिल्में बनेंगी । अगर ऐसा नहीं हुआ तो हिंदू धर्म पर प्रहार होता रहेगा ।

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