Monday, March 6, 2017

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार

किसानों की खुदकुशी के मामले में केंद्र सरकार की योजनाओं पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजे की व्यवस्था करने की बजाए सरकार को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई भी किसान खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठाने पर मजबूर न हो।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सरकार से कहा कि ऐसी योजनाएं बनाई जानी चाहिए जिससे किसान खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठाने को मजबूर न हो। पीठ ने सरकार से कहा कि हमें लगता है कि आप गलत दिशा में जा रहे हैं। 

किसान कर्ज लेते हैं लेकिन उसे चुका नहीं पाते। लिहाजा वे खुदकुशी कर लेते हैं और आप उनके परिवारवालों को मुआवजा देते हैं। लेकिन हमारा मानना है कि पीड़ित परिवार को मुआवजा देना समाधान नहीं है बल्कि खुदकुशी को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। 
                     सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार



बैंकों के कर्ज से परेशान होकर किसानों ने की खुदकुशी !!

एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक कर्ज न चुका पाने के कारण खुदकुशी करने वालों किसानों में से 80 फीसदी ने बैंकों से कर्ज लिया था न कि साहूकारों से !!

एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक 2014 की तुलना में 2015 में किसानों के आत्महत्या करने की दर में 41.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। 1995 से  31 मार्च 2013 तक के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 2,96 438 किसानों ने आत्महत्या की है ।


सरकारी सूत्रों के अनुसार 2014 में 5650 और 2015 में 8000 से अधिक मामले सामने आए। 

योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन ने बताया कि #बैंक लोन वसूलने में लचीला रुख नहीं अपनाते हैं। उन्होंने बताया कि कर्ज वसूलने में #माइक्रो फानैन्स कंपनियों का ज्यादा बुरा हाल है। यहां तक कि वो लोन वसूलने के लिए #गुडों का भी इस्तेमाल करते हैं।

2014 में देश की जनता ने केंद्र में भाजपा को बहुमत देकर देश की सत्ता सौंपी तो #देश के किसानों और मजदूरों ने सोचा था कि उनके अच्छे दिन आ सकते हैं।  लेकिन आकंड़े देखकर तो लगता है कि #सरकार से किसानो को कोई राहत नही मिल पा रही है ।


बैंकों से लिए कर्ज के कारण मरने को मजबूर हो जाता है किसान..!!

गरीब #किसान बैंकों से कर्ज लेकर खेती करता है और जब बे मौसम बरसात, ओले और तेज हवाओ और सूखे से उसकी #फसल नष्ट हो जाती है तो वो कर्ज नहीं चुका पाता है तो बैंक उससे कर्ज वसूलने के लिए उसके खेतों को नीलाम करके अपना कर्ज वसूलती है। जिसकी वजह से वो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। 


हजारों करोड़ के डिफाल्टर गरीबों का कर्ज माफ..!!

वहीं दूसरी तरफ #केंद्र सरकार ने विजय माल्या समेत 63 डिफाल्टरों का तकरीबन सात हजार करोड़ रुपए का बकाया लोन माफ करने का फैसला किया है। #डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई ने बकाया वसूल नहीं कर पाने पर शीर्ष 100 विलफुल डिफाल्टरों में से 63 पर 7016 करोड़ रुपए का लोन माफ करने का फैसला किया है।

आपको बताते चलें कि 63 डिफाल्टरों की ये राशि कुल 100 डिफाल्टरों का 80 फीसदी है। यह छूट बैंक की प्रक्रिया बैड लोन के अंतर्गत की गई है। सभी कंपनियों को बैंक ने विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया।

विजय माल्या के अलावा #किंगफिशर एयरलाइंस का तकरीबन 1201 करोड़ रुपए, केएस ऑयल का 596 करोड़ रुपए, सूर्या फार्मास्यूटिकल का 526 करोड़ रुपए, जीईटी पावर का 400 करोड़ रुपए और साई इंफो सिस्टम का 376 करोड़ रुपए शामिल है। डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, उसने इस बारे में एसबीआई के अधिकारियों से जानकारी मांगनी चाही तो उसे कोई जवाब नहीं मिला।


सिर्फ #गरीब #किसान के #कर्ज माफी के लिए नहीं है #केंद्र #सरकार के पास पैसा..!!


एक तरफ जहाँ बैंक अमीर डिफाल्टरों के हजारों करोड़ यूँ ही माफ कर देता है वहीं दूसरी तरफ गरीब #किसानों का उतना कर्ज भी माफ नहीं कर पा रही है जो इन डिफाल्टरों का 20 फीसदी भी नहीं होगा।


सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने अडानी ग्रुप के ऊपर लगे 200 करोड़ के जुर्माने को भी माफ कर दिया ।


केंद्र #सरकार का ये दोगलापन किसानों के साथ कब तक जारी रहेगा.???


आपको जानकर आश्चर्य होगा कि #महाराष्ट्र में एक मंडी में किसान टमाटर लेकर आया तो एक किलो #टमाटर की कीमत केवल #पांच पैसे लगाई गई जिससे किसान ने उसे वापिस लाकर अपने खेतों में डाल दिया ऐसे ही कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ की एक मंडी ने टमाटर की कीमत 2 रूपये किलो लगाई तो उसने सड़कों पर टमाटर फेंक दिए जिससे सड़कें लाल हो गई थी । 


मध्य प्रदेश में भी कुछ दिन पहले #मंडी में #प्याज का भाव नही दिया गया तो सड़कों पर प्याज डाल दी गई । 


ये तो एक-दो उदाहरण तौर पर बताया गया है लेकिन #किसान दिन-रात मेहनत करता है जब फसल लेकर मंडी में आता है तो उसको निराश होने पड़ता है क्योंकि सिंचाई के पानी, खाद्य, बीज, कीटनाशक दवाइयों आदि का पैसा भी फसल की बिक्री से नही निकल पाता है । जो किसान ने कड़ी मेहनत की उसको तो वो गिनता ही नही।


पूर्व सरकार से ही किसानों का बहुत शोषण होता रहा है । #किसानों के बढ़ते संकट का निवारण करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए।


अब केंद्र सरकार को अन्नदाता किसानों को कर्ज से मुक्त कर देना चाहिए और उनके लिए पानी, बिजली, बीज, खाद्य, दवाइयां आदि सस्ते भाव देकर उनको राहत देनी चाहिये जिससे किसान भी अपना जीवन परिवार के साथ खुशहाली से जी सके ।

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