Friday, April 1, 2016

History of Journlism

🚩विश्व में #पत्रकारिता_का_आरंभ सन् 131 ईस्वी पूर्व #रोम में हुआ था ।
💥उस समय पत्थर या धातु की पट्टी होती थी, जिस पर समाचार अंकित होते थे । 
💥15वीं शताब्दी में अख़बार छापने की मशीन का #अविष्कार किया गया ।
💥भारत में #पहला_अख़बार 1776 में प्रकाशित हुआ । इसका प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स था । यह अख़बार #कोलकाता से अंग्रेजी में छपता था ।
💥1819 में बंगाली #भारतीय_भाषा में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ था। ।
💥1822 में गुजराती और 1826 में हिंदी में प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ ।
💥अंग्रजों ने तो देश को तोड़ने के लिए पत्रकारिता शुरू की थी । लेकिन देशभक्तों ने पत्रकारिता इसलिए शुरू की ताकि जनता तक सही ख़बरें पहुँच सके और समय-समय पर देश की आंतरिक स्थिति से #जनता को अवगत कराकर #जागरूक किया जा सकें तथा देश में हो रही #अन्यायपूर्ण_गतिविधियों क खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई जा सकें ।
       🔸जिससे देश की संस्कृति सुरक्षित रहें और देश में अमन चमन बना रहें ।
💥परन्तु समय के हेर-फेर में #पत्रकारिता में कुछ स्वार्थी और बेईमान लोग घुस गए, जिन्हें #देश_की_अस्मिता से कुछ लेना-देना नही, बस केवल पैसों और अपने नाम के लिए काम करने लगे ।
💥ऐसे स्वार्थी लोग आज अन्न भारत देश का खाते है और काम विदेशी #NGO'S के लिए करते है ।
💥इतिहास में वर्णित है क़ि हमारी भारतीय संस्कृति को मिटाने का प्रयास तो समय-समय पर होता ही आया है ।
💥भारत के गौरवपूर्ण #इतिहास पर दृष्टि डालें तो पता चलता है क़ि भारत की गरीमा बढ़ाने वाले यहाँ के #साधु-#संत है । जिन्होंने समाज को सही मार्गदर्शन देकर भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर किया है ।
💥अब अगर #भारतीय #संस्कृति को नष्ट करना है तो यहाँ के साधु-संतो के प्रति जनता के मन में नफरत पैदा करनी होगी तभी भारतीय संस्कृति को नष्ट किया जा सकता है ।
💥इसलिए संत और समाज के बीच विदेशी फंड से चलने वाली #भारतीय_पत्रकारिता ने खाई का काम किया है ।
💥आज आप देख सकते हैं कि जितना #समाजसेवी #सुप्रतिष्ठित #हस्तियों और #साधु-संतो के खिलाफ बोला जाता है और बड़े से बड़े #देशद्रोही के पक्ष में बोला जाता है तो कई #समझदार_लोग भी आज अपनी बुद्धि का उपयोग न करके पत्रकारों की बातों पर #आँख_बंद_करके_विश्वास कर लेते है ।जो आगे चलकर हमारे लिए ही खतरनाक साबित हो सकता है ।
💥कई सालों से देश में #विदेशी #NGO'S ने अपना काम शुरू कर दिया है।
💥1984 में विदेशी ये NGO'S भारत में
में टी.वी. लेकर आये । पहले टी.वी. के माध्यम से #भारत_की_जनता को #धार्मिक_सीरियल दिखाना चालू किया और #DD_न्यूज़ शुरू हुआ । जिससे लोगो में टीवी देखने और न्यूज़ द्वारा देश की गतिविधियाँ जानने की रूचि बढ़े ।
💥फिर जब जनता को टीवी देखने की आदत पड़ गई तब #देश_की_संस्कृति_को_तोड़ने के इरादे से धीरे-धीरे प्यार भरी फिल्में चालू की गई । उसके बाद #अर्धनग्न अवस्था वाली #फिल्में, #संस्कृति_विरोधी_सीरियल और #साधु_संतों, #हिन्दू_संगठनों तथा #देश की #संस्कृति_विरोधी_न्यूज़ की शुरूवात कर दी गई ।
💥ऐसा सब दिखाकर #भारतीय_संस्कृति को नीचा और विदेशी संस्कृति को ऊँचा दिखाकर लोगों का ब्रेनवाश किया गया । इसी कारण आज के युवावर्ग में अपनी संस्कृति के प्रति नफरत तथा पाश्चत्य सभ्यता के प्रति आकर्षण बढ़ गया है।
💥आज समाज में खुलेआम गन्दी फिल्में, #भारतीय_संस्कृति विरोधी न्यूज़ दिखाई जाती है क्योंकि 90% भारत न्यूज़ चैनल के मालिक विदेशी है । उनको भारत की जनता का ब्रेनवाश करने के लिए ईसाई मिशनरियों और मुस्लिम संगठनो द्वारा खूब पैसा मिल रहा है ।
💥अतः मेरे भारतवासियों सावधान हो जाओ...!!!
💥अपनी संस्कृति की गरिमा पहचानों...!!!
💥याद करो वो दिन...जब #मुगल और #अंग्रजो ने अनेको साल हम पर राज किया था । भारत के #मंदिर तोड़े गए, हमारी माँ-बहनों की #इज्जत लूटी गई, हमारी #देश_की_सम्पति लूटी गई थी ।
💥उस समय शिवाजी, महाराणा प्रताप , भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रन्तिकारी आये और देश को आज़ाद करवाया ।
💥हे #भारतवासियों ! भारत के लाखों लोगो ने जो देश की आज़ादी के लिए जो अपना बलिदान दिया है उसको खोने न देना ।
💥आज जो देश की अस्मिता बनाये रखने में सबसे बड़ी दुश्मन बन कर खड़ी है वो है
💥#विदेशी_फंड_से_चलने_वाली_भारतीय_पत्रकारिता ।
#PresstitutesDay
🔥अतः सबसे पहले ऐसी बिकाऊ मीडिया का बहिष्कार कर सिर्फ और सिर्फ भारतीय चैनल सुदर्शन न्यूज़ ही देखें जो कि निष्पक्ष और सच्चाई समाज तक पहुँचाने में आगे आया है ।
🚩जय हिन्द ...
जय भारत🚩
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🚩🚩जागो हिन्दुस्तानी🚩🚩

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