एक समय था जब #मंत्र काम करते थे..
उसके बाद एक समय आया जिसमें #तंत्र काम करते थे...
फिर समय आया जिसमे यंत्र काम करने लगे...
और आज के समय में #षड़यंत्र काम करते है...!
उसके बाद एक समय आया जिसमें #तंत्र काम करते थे...
फिर समय आया जिसमे यंत्र काम करने लगे...
और आज के समय में #षड़यंत्र काम करते है...!
जी हाँ..!!! और ये षड़यंत्र और किसी के विरुद्ध नही हिन्दू संस्कृति के ही विरुद्ध हो रहा है ।
#प्राचीन काल में #ऋषियों के पास इतनी संपत्ति होती थी, कि बड़े बड़े #राजा जब #आर्थिक संकट में आ जाते तब वे उनसे लोन लेकर अपने राज्य की #अर्थ व्यवस्था ठीक करते थे ।
पर आज #हिन्दू #साधु-संतों के खिलाफ ही कई प्रश्न उठाये जा रहे है ।
प्रश्न - साधु-संतो के पास #करोड़ो की #संपत्ति है । साधु-संतो को इतनी संपत्ति की क्या जरुरत है? साधु को तो #अपरिग्रही होना चाहिए ।
उत्तर : #रोमन #केथोलिक #चर्च का एक छोटा राज्य है जिसे #वेटिकन बोलते है । अपने धर्म के प्रचार के लिए वे हर साल #17 हजार करोड़ डॉलर खर्च करते है ।
तो उनके पास कुल कितनी संपत्ति होगी...???
तो उनके पास कुल कितनी संपत्ति होगी...???
अपरिग्रह की बात सिर्फ #हिन्दू साधु-संतो के लिए ही क्यों...???
रोम शहर में 33% #इलेक्ट्रॉनिक प्लास्टिक, एर लाइन, केमिकल और इंजीनियरिंग बिजनेस वेटिकन के हाथ में है ।
#दुनिया में सबसे बड़े #शेयर #वेटिकन के पास है । इटालियन #बैंकिंग में उनकी बड़ी संपत्ति है और अमेरिका एवं #स्विस बैंको में उनकी बड़े भारी जमाखाते है ।
ज्यादा जानकारी के लिये #VATICAN EMPIRE पुस्तक पढ़े...!!!
उनकी संपत्ति के आगे भारत के साधुओं की सम्पति कोई मायना नहीं रखती ।
वे लोग इस #धन का उपयोग #धर्मान्तरण के लिए करते है पर #भारत के #संत धन का उपयोग लोगों को #शान्ति देने, उनकी #स्वास्थ्य #सेवाओं में, #आदिवासियों और #गरीबों की सेवा में, #प्राकृतिक आपदा के समय #पीड़ितों की सेवा में और अन्य #लोकसेवा के कार्यों में करते है ।
साधु-संतो के पास संपत्ति नहीं होगी तो वे #धर्म #प्रचार का कार्य कैसे करेंगे..???
प्राचीन काल में राज्य से धर्म प्रचार के लिए धन दिया जाता था ।
#भगवान #बुद्ध के प्रचार के लिए #सम्राट #अशोक जैसे राजाओं ने अपनी सारी संपत्ति लगा दी ।
पर आज के समय में सरकार मंदिरों व आश्रमो की संपत्ति और आय को हड़प कर लेती है और उसे चर्च एवं मस्जिदों में खर्च करती है लेकिन #हिंदू #धर्म प्रचार के लिए खर्च नही करती ।
पर आज के समय में सरकार मंदिरों व आश्रमो की संपत्ति और आय को हड़प कर लेती है और उसे चर्च एवं मस्जिदों में खर्च करती है लेकिन #हिंदू #धर्म प्रचार के लिए खर्च नही करती ।
इसलिए #आश्रमवासियों के #भोजन व रहन-सहन की व्यवस्था भी संतो को देखनी पड़ती है ।
पर बिकाऊ #मीडिया देश के #महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर ध्यान न देकर सिर्फ और सिर्फ हिन्दू साधु संतो की छवि धूमिल करने में लगी है ।
क्यों कभी #ईसाई #पादरियों की सम्पति का जिक्र नही करती..???
जबकि उनके पास दुनिया में सबसे ज्यादा संपत्ति है और उसमें से 17 हजार करोड़ डॉलर हर साल ईसाई धर्मांतरण पर खर्च किया जाता है ।
#हिन्दू अपनी आँखेँ खोले और मीडिया की #कूटनीति को पहचानने की कोशिश करें ।
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