भारतीय मीडिया खो रहा है अपनी विश्वसनीयता....!!!
मीडिया की समाज में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मीडिया को #लोकतांत्रिक व्यवस्था का #चौथा_स्तंभ भी कहा गया है, क्योंकि इसकी जिम्मेदारी #देश और #लोगों की समस्याओं को सामने लाने के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर नजर रखना भी है ।
मीडिया की समाज में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मीडिया को #लोकतांत्रिक व्यवस्था का #चौथा_स्तंभ भी कहा गया है, क्योंकि इसकी जिम्मेदारी #देश और #लोगों की समस्याओं को सामने लाने के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर नजर रखना भी है ।
लेकिन पिछले कुछ समय से #मीडिया की कार्यप्रणाली और रुख पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं ।
सवाल यह है कि क्या मीडिया अपने नैतिक मूल्यों को खो चुका है...???
इसमें दो राय नहीं कि मीडिया के काम करने के तरीके और #चरित्र में बहुत बदलाव आया है ।
#आजादी से पहले की तुलना में देखें तो मीडिया के स्वरूप में एक बुनियादी फर्क आया है । पहले मीडिया को #वर्त्तमान समय जैसी आजादी हासिल नहीं थी ।
#जेम्स ऑगस्टस ने #भारत का #पहला #समाचार #पत्र 'द बंगाल गजट' #1780 में शुरू किया था । उस वक्त के गवर्नर जनरल #वारेन हेस्टिंग्स की पत्नी की आलोचना करने के बदले में उन्हें चार महीने #जेल की सजा काटने के साथ-साथ पांच सौ रुपये जुर्माना देना पड़ा था । तब #अंग्रेज अपनी हैसियत से प्रेस को संचालित करते थे । लेकिन आजादी के बाद बहुत कुछ बदलाव आया । #प्रेस को आजादी मिली । आजादी के समय भारत में करीब तीन सौ समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे थे । लेकिन वर्त्तमान में इनकी संख्या तेरह हजार से भी ज्यादा है ।
जहाँ तक #मीडिया की आजादी का सवाल है, दुनिया में एक तिहाई से ज्यादा लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहां #मीडिया अपनी दिशा तय करने के लिए #स्वतंत्र नहीं है ।
#सर्वेक्षणों के विवरण के मुताबिक मीडिया की आजादी के मामले में भारत का स्थान एक सौ #चालीसवाँ है ।
#दूरदर्शन और #आकाशवाणी जैसी सरकारी संस्थाओं को छोड़ दें तो किसी भी निजी चैनल पर #सरकार का #दबदबा नहीं रहता ।
इरीट्रिया, उत्तर कोरिया और सीरिया जैसे देशों में मीडिया को अपने हिसाब से #मुद्दों पर खबरें देने या बात करने की कोई #आजादी हासिल नहीं है ।
हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि #इरीट्रिया में सबसे ज्यादा #पत्रकार जेल में बंद हैं ।
हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि #इरीट्रिया में सबसे ज्यादा #पत्रकार जेल में बंद हैं ।
आज #प्रिंट और #इलेक्ट्रॉनिक_मीडिया के सामने अपनी विश्वसनीयता बचाने की बहुत बड़ी चुनौती है ।
#इंटरनेट के जमाने में इनकी लोकप्रियता में बहुत कमी हुई है ।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका और उन पर निर्भरता लगातार कम होती जा रही है ।
आज भारत में 20% से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे हैं और इसका दायरा धीरे-धीरे और बड़ा हो रहा है । इंटरनेट के जरिए लोगों के पास सही खबरें जल्दी पहुंच जाती हैं ।
इस मामले में सोशल मीडिया भी काफी अहम भूमिका निभा रही है । दूसरी ओर #पश्चिमी देशों में समाचार पत्रों की हालत खराब है ।
प्रिंट मीडिया के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की #हालत भी काफी खराब है ।
#चैनलों की संख्या बढ़ती जा रही है और लोग एक चैनल से दूसरे #चैनल की ओर रुख कर रहे हैं ।
यही वजह है कि आज #टीआरपी चैनलों के लिए तनाव का कारण बनती जा रही है ।
मीडिया के #कवरेज में काफी बदलाव आया है । कई बार ऐसा लगता है कि मीडिया व्यक्ति-केंद्रित हो चुका है । कुछ नाटकीयता और अतिरंजना के साथ कार्यक्रम परोस कर दर्शकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है ।
ऐसा लगता है कि मीडिया अपनी #सामाजिक #जिम्मेदारी से भाग रहा है । #सामाजिक_खबरें कम दिखाई देती हैं । आजकल #टीवी #चैनलों पर नेता ही दिखाई देते हैं ।
टीवी पर नेताओं के #भाषणों और #ब्यानों से ही समाचार के वक्त भरे रहते हैं, वहीं अखबारों में विज्ञापन ज्यादा और खबरें कम दिखाई देती हैं ।
मीडिया की #पहुँच का विस्तार हुआ है, पर यही बात कवरेज के बारे में नहीं कही जा सकती । यह गाँवो के लोगों की समस्याओं से अछूता नजर आता है ।
देश में बहुत सारी #समस्याएं हैं, लेकिन मीडियो को शायद उनसे कोई सरोकार नहीं है । चाहे हम #किसानों की #आत्महत्या की बात करें या फिर #महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों या अपराधों की, मीडिया में ऐसे मामलों को गह देने में या तो #कंजूसी दिखाई जाती है या फिर जरूरी संवेदनशीलता नहीं बरती जाती ।
फिर एक और #चिंताजनक पहलू वो है मीडिया का दोहरा रवैया...
वह सिर्फ #शहरों की घटनाओं और समस्याओं को लेकर #गंभीर दिखता है ।
शहरों में भी, #मध्यवर्ग की समस्याएं ही उसे अधिक परेशान करती हैं । मसलन, बारिश से घंटे-दो घंटे भी यातायात जाम हो जाए तो टीवी चैनलों पर चीख-पुकार शुरू हो जाती है, मगर जिन इलाकों के लोग बरसों से पानी के लिए तरसते रहते हैं उनकी सुध नहीं ली जाती ।
भारत में मीडिया का हमेशा हिंदू विरोधी रवैया रहा है । हमेशा एक तरफा खबर दिखाई है जैसे क़ि #ओवैसी या #जाकिर_हुसैन हिन्दू देवी देवता के लिए बोले या भारत विरोधी बोले अथवा कोई मौलवी या #ईसाई पादरी कितने भी बलात्कार करे, #कन्हैया देश को तोड़ने की बात करे लेकिन उस ओर कभी समाज का ध्यान केंद्रित नही करते और और अगर करते हुए दिखते भी है तो उनके बचाव में ।
और वहीँ कोई #हिन्दू #हिंदुत्व की बात करे तो उसको तोड़-मरोड़ कर विवादित ब्यान बना कर पेश किया जाता है कि जनता उनके #विरुद्ध हो जाये ।
अब आपको बता दे कि ऐसा क्यों..???
क्योंकि भारत में 80% न्यूज़ चैनल #ईसाई #मिशनरियों द्वारा संचालित है और 10% #मुस्लिम द्वारा संचालित है और उनका लक्ष्य है कि भारतीय #संस्कृति नष्ट की जाये और फिर से भारत को गुलाम बनाकर राज किया जाये ।
इसलिए हिन्दू सावधान रहे जब भी कोई हिन्दू साधु-संत, #हिन्दू #संग़ठन हिन्दू नेता विरोधी न्यूज़ चले तो उस चैनल का बहिष्कार करे ।
जय हिन्द
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जागो हिन्दुस्तानी
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