लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाने वाली
मीडिया अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह क्यों....???
फ़िल्में निर्देशक राजकुमार हिरानी बीबीसी से ख़ास बातचीत में भारतीय मीडिया की कार्य शैली पर चिंता जताते हुए कहते है कि,"मीडिया को ज़्यादा ज़िम्मेदार होने की ज़रूरत है। मीडिया एक ऐसा सिस्टम है जो एक मिनट में पूरे विश्व में अपनी मनगढत ख़बरें पहुँचा देता है। मीडिया में जो ख़बरें आती हैं उस पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता।"

मीडिया के काम करने के तरीक़े पर टिप्पणी करते हुए वे कहते हैं क़ि,"अक्सर ख़बरों को बेचने के लिए विवाद खोजे जाते है।" अच्छी ख़बरें भी होती है लेकिन उनकी जगह विवादों से भरी ख़बरें ही दिखाई जाती है।

TRP और पैसे की लालच ने मीडिया के स्तर को इतना गिरा दिया कि मीडिया सरासर झूठी ख़बरें दिखाने लग गया। ऐसा लगता है जैसे भारत के मीडिया को सच्चाई से कोई लेना-देना ही नही।

मीडिया को बस उसी खबर में इंटरेस्ट है जिसमे वह दूसरे को ब्लैकमेल कर पैसा ऐंठ सके। सिर्फ ब्लैक मेलिंग का धंधा बन कर रह गया है आज का मीडिया ।

कानून की नजर में कोई शक्स तब तक अपराधी नहीं है, जब तक उस पर जुर्म साबित न हो जाय। लेकिन मीडिया उसे पहले ही दुनियाभर में बदनाम करके दोषी करार दे देती है। जैसे स्वामी केशवानंद जी को मीडिया ने पहले ही दोषी घोषित कर दिया जबकि वे निर्दोष साबित हुए। मीडिया के दुरूपयोग पर सख्त कानून का प्रावधान हो क्योंकि यह देश का चौथा स्तम्भ है।

वे आगे कहते हैं क़ि, "आजकल मीडिया में लोग जिस तरह काम कर रहे हैं ऐसा लगता है जैसे किसी ने ज़हर भर दिया हो। मीडिया गलत रिपोर्ट देना बंद कर देगा तो ज़हर निकलना भी बंद हो जाएगा।" मीडिया देश का चौथा स्तंभ है लेकिन आज की स्थिति देखकर कहा जा सकता है कि देश के जनाजे का चौथा कंधा मीडिया बन गया है।

मीडिया को सलाह देते हुए आगे कहते हैं, क़ि मीडिया को ज़िम्मेदारी से काम करने की ज़रूरत है क्योंकि देश की प्रगति में मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है।और जहाँ तक संभव हो भारत की मीडिया के मालिक स्वदेशी हो, विदेशी नहीं।

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