आइये जाने एक सत्य घटना के द्वारा क़ि कैसे #बलात्कार के झूठे केस में 6 साल सजा काटने के बाद निर्दोष को बरी किया गया।
सन् 2009 में मुंबई के #घाटकोपर रेलवे स्टेशन के पुल पर एक लड़की से बलात्कार हुआ था । बलात्कारी का नाम गोपी बताया गया था ।
रेलवे पुलिस ने गोपी की जगह गोपाल को धर पकड़ा । गोपाल का दावा है कि उसने पुलिस को बताया कि वह गोपी नहीं गोपाल रामदास शेट्टे है लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गयी । चार दिन तक बिना किसी लिखा-पढ़ी के उसको कैद में रखा गया और बाद में आरोपी सिद्ध कर दिया गया। जब लड़की को पहचान के लिए बुलाया गया तो लड़की उसे पहचान नहीं पायी लेकिन पुलिस ने उँगली से इशारा कराके शिनाख्त करा दी ।
हैरानी की बात तो यह है कि पुलिस ने जिस CCTV के फोटो में गोपाल को देखे जाने का दावा किया था, उसे सबूत ही नहीं बनाया गया । गोपाल ने ITI के जरिये CCTV के फोटो माँगे । पहले तो पुलिस ने बहाना बनाया कि वे डिलीट हो गये, बाद में गोपाल के अपील करने पर पुलिस को वो फ़ोटो देने पड़े । CCTV में मिले फोटो तथाकथित घटना के न होकर कुछ और ही थे । इस आधार पर गोपाल को बरी कर दिया गया ।
लेकिन इन 6 सालों में गोपाल का घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार, पूरा जीवन बिखर गया और समाज का तिरस्कार सहना पड़ा ।
सदमे से उसके पिता चल बसे, पत्नी घर छोड़कर चली गयी और दोनों बेटियाँ अनाथालय पहुँच गयी।
सदमे से उसके पिता चल बसे, पत्नी घर छोड़कर चली गयी और दोनों बेटियाँ अनाथालय पहुँच गयी।
पीड़ित #गोपाल शेट्टे ने सजा देनेवाले सत्र न्यायालय के न्यायाधीश, पैरवी करनेवाले सरकारी वकील और झूठी जाँच-पड़ताल करके फँसानेवाले जाँच अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करने की माँग की है, साथ ही 200 करोड़ रुपये का हर्जाना भी माँगा है ।
कानून में झूठे सबूतों के आधार पर किसी निर्दोष को सजा दिलानेवालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
ऐसे ही द्वारका के #स्वामी #केशवानंदजी को भी रेप के झूठे केस में 7 वर्ष की सजा काटनी पड़ी ।
संत #आसारामजी #बापू के भी मुख्य गवाह सुधा पटेल के ब्यान से यह बात दुनिया के सामने आ चुकी है कि किस प्रकार पुलिस ने #सुधा #पटेल के नाम से बापू के खिलाफ झूठा ब्यान बनाया था ।
किसी एक पक्ष के महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को पुलिस किस प्रकार नजरअंदाज करती है, इसका ताजा उदाहरण संत आसारामजी बापू के केस में देखने को मिला ।
जिसका खुलासा करते हुए डॉ. #सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कहा है क़ि ‘‘(बापू पर आरोप लगानेवाली) लड़की के #फोन रिकॉड्स से पता चला है कि जिस समय पर वह कहती है कि वह कुटिया में थी, उस समय वह वहाँ थी ही नहीं । वो तो किसी से फ़ोन पर बात करने में व्यस्त थी और #आसारामजी बापू ( #Asaram ji bapu) भी उस समय अपनी कुटिया में न होकर लोगों के बीच सत्संग कर रहे थे और आखिर में मँगनी के कार्यक्रम में व्यस्त थे ।’’
इतनी महत्त्वपूर्ण बात को पुलिस द्वारा नजरअंदाज किया जाना, यह पुलिस की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही नहीं तो और क्या है...???
इतनी महत्त्वपूर्ण बात को पुलिस द्वारा नजरअंदाज किया जाना, यह पुलिस की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही नहीं तो और क्या है...???
ऐसी घटनाओं से पुलिस व #न्यायपालिका पर से जनता का विश्वास डगमगाने लगा है। आज ऐसे कितने ही निर्दोष लोग बेवजह जेल में बंद है।
एक बार झूठे केस में फसें #निर्दोष का खोया हुआ सम्मान,उसकी #प्रतिष्ठा, मानसिक और शारीरिक पीड़ा का जिम्मेदार आखिर कौन है...???
आज #कानून व्यवस्था में परिवर्तन करने की जरुरत है। कानून सबके लिए समान होना चाहिए। सरकार को चाहिए क़ि ऐसे #पुलिस प्रशासन पर कड़ी कार्यवाही करें जो निमित बन रहे है निर्दोषों को फ़साने के।
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