देश के प्रधानमंत्री के नाम खुला खत....!!!
दुनिया भ्रमण पर निकले प्रधानमंत्री ने हर जगह आतंकवाद मिटाने की रट तो लगाई लेकिन अपने ही घर में लगी आग बुझाने का ख्याल उनको नहीं आता।
दुनिया भ्रमण पर निकले प्रधानमंत्री ने हर जगह आतंकवाद मिटाने की रट तो लगाई लेकिन अपने ही घर में लगी आग बुझाने का ख्याल उनको नहीं आता।
बेकसूर लोग मारे जा रहे है और राजनेता तुच्छ ब्यान बाजी किये जा रहे है।
साल बदले, सत्ता बदली लेकिन हालात बिल्कुल वैसे ही हैं।
देश में आतंकी हमले होते है।जवान शहीद होते हैं। घायल होते हैं। उनका परिवार बिलखता है। देश का बच्चा-बच्चा उनके लिए रोता है लेकिन हमारे 'सो कॉल्ड' नेताओं के लिए तो यह जैसे एक 'बड़ा मौका' है राजनीति चमकाने का।
साल बदले, सत्ता बदली लेकिन हालात बिल्कुल वैसे ही हैं।
देश में आतंकी हमले होते है।जवान शहीद होते हैं। घायल होते हैं। उनका परिवार बिलखता है। देश का बच्चा-बच्चा उनके लिए रोता है लेकिन हमारे 'सो कॉल्ड' नेताओं के लिए तो यह जैसे एक 'बड़ा मौका' है राजनीति चमकाने का।
सत्ता संभालने से पहले लाऊडस्पीकर लेकर पाकिस्तान को धूल चटा देने का ढिंढोरा पीटने वाले नरेंद्र मोदी पीएम बने तो अब उसी देश में जाकर अपना पसंदीदा साग खाने लगे। कश्मीर का मुद्दा भले ना सुलझे लेकिन पाकिस्तान में बैठकर कश्मीरी चाय भी पी आए।
देश का क्या है...बेगुनाह मरते रहे हैं, मरते रहेंगे। कौन सी बड़ी बात है नेताओं के लिए।
पीएम मोदी के वहाँ से लौटते ही पाकिस्तान ने पठानकोट एयरबेस पर हमला कर दिया।
बीते शनिवार को जब आतंकियों ने पठानकोट में हमला किया तो उसकी जानकारी खुफिया एजेंसियों को 24 घंटे पहले मिल गई, फिर भी हमला हो गया। जवान शहीद होते रहे, घायल होते रहे और देश के प्रधानमंत्री मैसूर में सिर्फ लाऊडस्पीकर पर दहाड़ रहे थे- 'हमें जवानों पर गर्व है।'
लेकिन इस बात पर शर्म आती है कि 'देश नहीं झुकने दूंगा' का राग अलापने वाला प्रधानमंत्री खुली आंखों से देश को तबाह होते देख रहे है।
जिस वक्त उन्हें आतंक से निपटने के लिए रणनीति बनाने और जवानों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए उस वक्त वह घटना स्थल से सैकड़ों कोस दूर राजनीतिक गोटियां फिट करने में व्यस्त थे
अपनी सरकार की नाकामी छुपाते
देश के गृह मंत्री कहते हैं कि 'ज्यादा नुकसान' नहीं हुआ है। गृह मंत्री साहब को उन शहीद जवानों के परिवार वालों से नजरें मिलाकर ये शब्द कहने चाहिए थे,तब देश उनके चेहरे का रंग देखता। मंत्री साहब को शायद परिवार में किसी को खोने का गम मालूम नहीं???
देश के गृह मंत्री कहते हैं कि 'ज्यादा नुकसान' नहीं हुआ है। गृह मंत्री साहब को उन शहीद जवानों के परिवार वालों से नजरें मिलाकर ये शब्द कहने चाहिए थे,तब देश उनके चेहरे का रंग देखता। मंत्री साहब को शायद परिवार में किसी को खोने का गम मालूम नहीं???
गुरदासपुर, उधमपुर और अब पठानकोट में हुआ आतंकी हमला इस बात पर मुहर लगाता है कि सरकार इस मोर्चे पर फेल है।सिर्फ अपना झूठा गुणगान कर सकती है, हकीकत कुछ और है।
शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूर्व में दी अपनी चेतावनी दोबारा याद दिलाते हुए कहा कि पठानकोट हमले में 5-6 आतंकियों ने हमारे इतने जवानों को घायल कर दिया है। कम से कम पाक के खिलाफ अब तो कार्यवाही कीजिये। यदि हम इस हमले का बदला नही ले सकते तो अपने हथियारों को सिर्फ राजपथ पर दिखाने का भी कोई औचित्य नहीं है।
जब-जब भारत ने बढ़ाया है दोस्ती का हाथ, तब-तब पाकिस्तान से मिला ही है धोखा ।
'मन की बात' करने वाले प्रधानमंत्री इस राज से पर्दा कब हटाएंगे कि असल में उनके मन में चल क्या रहा है?
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