
आइये जाने भारतीय मुसलमानों के हिन्दू पूर्वज मुसलमान कैसे बने...

इस तथ्य को सभी स्वीकार करते हैं कि लगभग 99% भारतीय मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू थे।

तो वो स्वधर्म को छोड़कर कैसे मुसलमान हो गये...???

आइये कुछ इतिहास के पन्ने पलटे...!!!

भारतीय मुसलमानों के पूर्वज हिंदुओं पर इस्लामिक आक्रान्ताओं ने अनेक अत्याचार किये और उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए विवश किया था।

इतिहासकारो का मानना है कि उनको तलवार की नोक पर मुसलमान बनाया गया अर्थात् वे स्वेच्छा से मुसलमान नहीं बने थे।

आरम्भ में आक्रमणकारी भारत में आते, मारकाट -लूटपाट करते और वापिस चले जाते। बाद की शताब्दियों में उन्होंने न केवल भारत को अपना घर बना लिया अपितु राजसत्ता भी ग्रहण कर ली।

7 वीं शताब्दी में मुहम्मद बिन क़ासिम से लेकर 18वीं शताब्दी में अहमद शाह अब्दाली तक करीब 1200 वर्षों में अनेक आक्रमणकारियों ने हिन्दुओं पर अनगिनत अत्याचार किये। धार्मिक, राजनैतिक एवं सामाजिक रूप से असंगठित होते हुए भी हिन्दू समाज ने मतान्ध अत्याचारियों मुगलो का भरपूर प्रतिकार किया। आक्रमणकारियों का मार्ग कभी भी निष्कंटक नहीं रहा अन्यथा सम्पूर्ण भारत कभी का दारुल इस्लाम (इस्लामिक भूमि) बन गया होता।

मुहम्मद बिन क़ासिम

भारत पर आक्रमण कर सिंध प्रान्त में अधिकार प्रथम बार मुहम्मद बिन कासिम को मिला था।उसके अत्याचारों से सिंध की धरती लहूलुहान हो उठी थी। प्रारंभिक विजय के पश्चात कासिम ने ईराक के गवर्नर हज्जाज को अपने पत्र में लिखा-'हिन्दुओं को इस्लाम में दीक्षित कर लिया गया है, अन्यथा कत्ल कर दिया गया है। मूर्ति-मंदिरों के स्थान पर मस्जिदें खड़ी कर दी गई हैं। और वहां अब अजान दी जाती है।

मुहम्मद गजनी

भारत पर आक्रमण प्रारंभ करने से पहले इस 20 वर्षीय सुल्तान ने यह धार्मिक शपथ ली कि वह प्रति वर्ष भारत पर आक्रमण करता रहेगा, जब तक कि वह देश मूर्ति और बहुदेवता पूजा से मुक्त होकर इस्लाम स्वीकार न कर ले।

कहा जाता है कि पेशावर के पास वाये-हिन्द पर आक्रमण के समय जिन्होंने इस्लाम स्वीकार कर लिया, उनके सिवाय सभी निवासी को कत्ल कर दिये गये। स्पष्ट है कि इस प्रकार धर्म परिवर्तन करने वालों की संख्या काफी रही होगी । मुल्तान में भी बड़ी संख्या में लोग मुसलमान हो गये।
जहाँ भी मुहम्मद गजनी जाता था, वहीं वह निवासियों को इस्लाम स्वीकार करने पर मजबूर करता था। इस बलात् धर्म परिवर्तन और मृत्यु का चारों ओर आतंक छा गया था।

1023 ई. में किरात, नूर, लौहकोट और लाहौर पर हुए चौदहवें आक्रमण के समय किरात के शासक ने इस्लाम स्वीकार कर लिया और उसकी देखा-देखी दूसरे बहुत से लोग मुसलमान हो गये। निजामुद्दीन के अनुसार देश के इस भाग में इस्लाम शांतिपूर्वक भी फैल रहा था, और बलपूर्वक भी`।

मुहम्मद गौरी

जब महमूद सोमनाथ के विध्वंस के इरादे से भारत गया तो उसका विचार यही था कि (इतने बड़े उपास्य देवता के टूटने पर) हिन्दू मूर्ति पूजा के विश्वास को त्यागकर मुसलमान हो जायेंगे। दिसम्बर 1025 में सोमनाथ का पतन हुआ। हिन्दुओं ने महमूद से कहा कि वह जितना धन लेना चाहे ले ले, परन्तु मूर्ति को न तोड़े। महमूद ने कहा कि वह इतिहास में मूर्ति-भंजक के नाम से विख्यात होना चाहता है, मूर्ति व्यापारी के नाम से नहीं।

मुहम्मद का यह ऐतिहासिक उत्तर ही यह सिद्ध करने के लिये पर्याप्त है कि सोमनाथ के मंदिर को विध्वंस करने का उद्देश्य धार्मिक था, लोभ नहीं। मूर्ति तोड़ दी गई। दो करोड़ दिरहम की लूट हाथ लगी, पचास हजार हिन्दू कत्ल कर दिये गये।

मुहम्मद गौरी नाम गुजरात के सोमनाथ के भव्य मंदिर के विध्वंस के कारण सबसे अधिक कुख्यात है। गौरी ने इस्लामिक जोश के चलते लाखों हिन्दुओं के लहू से अपनी तलवार को रंगा था।

इस विजय के पश्चात् इस्लामी सेना अजमेर में ठहरी और उसने वहाँ के मूर्ति-मंदिरों की बुनियादों तक को खुदवा डाला और उनके स्थान पर मस्जिदें और मदरसें बना दिये, जहाँ इस्लाम और शरियत की शिक्षा दी जा सके।

उस समय मौहम्मद गौरी द्वारा 4 लाख 'खोकर' और 'तिराहिया' हिन्दुओं को इस्लाम ग्रहण कराया गया।

इब्ल-अल-असीर

इब्ल-अल-असीर के द्वारा बनारस के हिन्दुओं का भयानक कत्ले आम हुआ। बच्चों और स्त्रियों को छोड़कर और कोई नहीं बक्शा गया। स्पष्ट है कि सब स्त्री और बच्चे मुसलमान बना लिये गये।

तैमूर

1399 ई. में तैमूर का भारत पर भयानक आक्रमण हुआ। तैमूर का हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने का उद्देश्य हिन्दुओं के विरुद्ध धार्मिक युद्ध करना था (जिससे) इस्लाम की सेना को भी हिन्दुओं की दौलत और मूल्यवान वस्तुएँ दी जा सके।

औरंगजेब की हिन्दुओं के प्रति क्रूरता से लगभग हम सभी परिचित हैं । उसने भी कोई कसर नही छोड़ी थी हिंदुओं को मुलमान बनानेमें।

इतिहास में और गहरे में जाये तो इस प्रकार के कत्लेआम, धर्मांतरण का विवरण कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्लतुमिश, ख़िलजी, तुगलक से लेकर और तमाम मुग़लों तक का मिलता हैं।

अभी भी जो मुलमान अपने पूर्वजों पर अत्याचार करने वालों को महान सम्मान देते है और अपने पूर्वजों के अराध्य हिन्दू देवी - देवताओं, भारतीय दिव्य संस्कृति एवं उच्च विचारधारा के प्रति कटाक्ष करती है। उनको इतिहास पढ़कर हिन्दू धर्म की महानता स्वीकार कर हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार करना चाहिए इसीमे ही सभी का हित है।

जय हिन्दुत्व


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