स्वधर्म निधनं श्रेय परधर्मो भयावह के, सिद्धान्त को जीवन में लाये हम।
धर्म की रक्षा के लिए,आओ संगठित हो जाये हम।
"धर्मो रक्षति रक्षितः"
अथार्त् जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
धर्म की रक्षा के लिए,आओ संगठित हो जाये हम।
"धर्मो रक्षति रक्षितः"
अथार्त् जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
आज विश्व को बमों की जरूरत नहीं है, शोषकों की जरुरत नहीं है, विश्व को अगर जरुरत है तो भारतीय संस्कृति के योग की, ज्ञान की और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के भाव की जरुरत है।
विश्व में उपद्रव नही शान्ति की जरुरत है ।
विश्व में उपद्रव नही शान्ति की जरुरत है ।
हमारी भारतीय संस्कृति विश्व मानव को ज्ञान,शान्ति,प्रेम,भाईचारे के द्वारा अखंडित करने में सक्षम है।
हमें सभी धर्मों के लिए स्नेह है, धन्यवाद है, प्रेम है लेकिन भारतीय संस्कृति, मेरी मातृभूमि 'भारत देश' ने दुनिया को जो दिया है, वो अतुलनीय अवर्णनीय है।
हमारी संस्कृति पुरातन नही सनातन है। हम सत्य के अनुगामी हैं। जहाँ समय समय पर भगवान किसी न किसी रूप में आकर धर्म की स्थापना करते रहे है। और धर्म पर अडिग रहने की शिक्षा देते रहे है।
ऐसी संस्कृति का जतन करना,आपस में संगठित रहकर अपनी संस्कृति की सुवास जन-जन तक पहुचाँना यह विश्वमानव की सेवा है।
भारत का भविष्य उज्जवल है क्योंकि ये देश ऋषि-मुनियों का देश है।
वर्तमान समय एक संगम काल है | जिस प्रकार गंगा की लहर सारी गन्दगी को अपने साथ ले जाती है, उसी प्रकार सारी बुराईयाँ हमारी सत्य सनातन संस्कृति के एक आवेग के साथ बह जायेंगी |
विचारने योग्य बात यह है क़ि अगर हिन्दुस्तानी अपनी संस्कृति की सेवा नहीं करेंगे, अपने धर्म की रक्षा नहीं करेंगे तो क्या विदेशी लोग आकर हमारी हिन्दू संस्कृति का,भारतीय संस्कृति का रक्षण करेंगे...???
वे तो हमारी संस्कृति को तोड़कर,हमको डरा के राज्य करने के स्वप्न देख रहे हैं ।
क्या अब भी हम सोये रहोगे...???
देश नही चलता कभी गदारों से,देश है चलता वफादारों से।
वीर शिवाजी बनो...!!!
क्या अब भी हम सोये रहोगे...???
देश नही चलता कभी गदारों से,देश है चलता वफादारों से।
वीर शिवाजी बनो...!!!
किसीके साथ जुल्म होता है, अन्याय होता है या झूठे केस होते हैं तो संगठित होकर उसकी मदद करो ।
जहाँ भी सुनाई पड़े कि 'ऐसा यहाँ ठीक नहीं हो रहा है' अथवा आपकी अपनी अंतरात्मा बोले, परिस्थितियाँ बोले तो आप यथायोग्य उसको सहयोग करो, मदद करो।
पड़ोसियों के घर की आग देखकर ये न सोचो क़ि मेरा क्या...
नही....कल वो आग आपके घर तक भी आ सकती है। इसलिए सभी हिन्दुस्तानियों का कर्तव्य है क़ि कहीं भी अन्याय होता दिखे तो उसके खिलाफ संगठित होकर आवाज उठायें।
नही....कल वो आग आपके घर तक भी आ सकती है। इसलिए सभी हिन्दुस्तानियों का कर्तव्य है क़ि कहीं भी अन्याय होता दिखे तो उसके खिलाफ संगठित होकर आवाज उठायें।
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