हिन्दू अपनी संस्कृति में जगमगाये।।
पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण से बचकर।
आओ अपनी संस्कृति की सुवास फैलाये।।
पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण से बचकर।
आओ अपनी संस्कृति की सुवास फैलाये।।
#महाराष्ट्र के एक नगर जिले #शनिशिंगणापूर में 400-500 वर्ष पूर्व #शनिदेव का #मंदिर बना । तब से वहाँ पर #महिलाआें के लिए चबूतरे के नीचे से #दर्शन करने की परंपरा है और अभी तो पुरुषों को भी चबूतरे पर चढ़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसलिए अभी वहाँ सभी जाति-धर्म के स्त्री-पुरुष श्री शनिदेव के दूर से दर्शन करते हैं ।
अब ये कहना अनुचित होगा क़ि वहाँ केवल स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है। यह विषय स्त्रीमुक्ति का न होकर पूर्णतः आध्यात्मिक स्तर का है।
असामाजिकतत्व हिन्दू धर्म की प्रथा, परंपरा तथा श्रद्धा पर जानबूझ कर आघात करने के लिए शनि देवता के चबूतरे पर स्त्री प्रवेश कराने का ढोंग रच रहे है। ऐसा कर वेे हिंदुआें की धार्मिक भावनाएं आहत कर रहे हैं।
देशभर के अनेक मंदिरों में भी धर्मशास्त्र द्वारा बताए गए मंदिर प्रवेश के संदर्भ में नियम हैं । उनका पालन करने में ही सब का हित होता है। परंतु षडयंत्रकारी तथा पाश्चात्य अंधानुकरण वाले आज हमारी संस्कृति से हमे दूर किये जा रहे है।
#शनिशिंगणापूर और #दक्षिण #भारतीय #मन्दिरो में #स्त्रियों द्वारा पूजन के बहाने चल रहे #षड़यंत्र से सबको सावधान करें।
हमारे #शास्त्रो में पुरुष और #स्त्री को समान दर्जा दिया गया है। लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नही किया गया है और कई शास्त्रों में तो स्त्री को पुरुष से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है।
फिर भी महीने में मासिक के 5 दिन स्त्री को धार्मिक अनुष्ठानों में भागीदार होने का अधिकार नही दिया गया है, इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण है क़ि इस समय स्त्रियों के शरीर में एस्ट्रोजन निकल्ट होता है जो क़ि अन्य के लिए ठीक नही होता और धार्मिक कृत्यों में पवित्रता नष्ट करता है। शास्त्रों में तो घर के काम करने की भी मनाही है और भोजन आदि बनाने की भी । लेकिन आज की कॉन्वेंट शिक्षित पीढ़ी इन सबको ढकोसला बताती है।
फिर भी महीने में मासिक के 5 दिन स्त्री को धार्मिक अनुष्ठानों में भागीदार होने का अधिकार नही दिया गया है, इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण है क़ि इस समय स्त्रियों के शरीर में एस्ट्रोजन निकल्ट होता है जो क़ि अन्य के लिए ठीक नही होता और धार्मिक कृत्यों में पवित्रता नष्ट करता है। शास्त्रों में तो घर के काम करने की भी मनाही है और भोजन आदि बनाने की भी । लेकिन आज की कॉन्वेंट शिक्षित पीढ़ी इन सबको ढकोसला बताती है।
बड़ी बात यह है क़ि विज्ञान के प्रमाण होने के बाद भी हिन्दू अपने धर्म की मान्यताओं का पालन करने में रूचि न रखते हुए हीरो हीरोइनों की नकल करके गले में क्रॉस लटका के घूमते हैं।
ऐसा करके जाने -अनजाने हम खुद ही हमारी महान संस्कृति का गला घोट रहे है।
कुछ ऐसे तत्व है जो हमें हमारी संस्कृति से विमुख करना चाहते है, जिनका एकमात्र उद्देश्य भारत की छवि धूमिल करना और बड़े हिन्दू मंदिरों में सरकारी हस्तक्षेप करवाना है।
एक हिन्दू धर्म ही है जिसमे महिलाओं का पूर्ण आदर किया गया है । यदि किसी पीर पैगम्बर की मजार पर ये होता तो अब तक तो दंगे हो गए होते ।
कुछ तथाकथिक धर्मगुरु भी इसका समर्थन कर रहे हैं। किसी में हिम्मत नही क़ि वास्तविकता को आगे रखकर सही और गलत का निर्णय ले सकें।
किस दिशा में ले जाना चाहते है समाज को...???
समाज में अगर ऐसी ही मनमानी चलती रही तो हिन्दू धर्म की बड़ी हानि होगी...!!!
अगर हिन्दू अपने धर्म का ,अपने शास्त्रों का आदर नही करेंगा तो समाज में भयंकर चारित्रिक पतन और आध्यात्मिक पतन होगा।
और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है क़ि हमारे पवित्र स्थलो में अब वो प्रभाव नही रहा जो पहले हुआ करता था।
और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है क़ि हमारे पवित्र स्थलो में अब वो प्रभाव नही रहा जो पहले हुआ करता था।
हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने वाले षड्यंत्रकारियों से हिन्दू हो जावो सावधान...
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