#छात्रों को #अंग्रेजी में #नहीं #भारतीय #भाषाओं में होनी चाहिए #पढ़ाई : #शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास !!
#लॉर्ड मैकाले ने कहा था : ‘मैं यहाँ (भारत) की #शिक्षा-पद्धति में ऐसे कुछ #संस्कार डाल जाता हूँ कि आनेवाले वर्षों में भारतवासी अपनी ही #संस्कृति से घृणा करेंगे... #मंदिर में जाना #पसंद नहीं करेंगे... #माता-पिता को प्रणाम करने में तौहीन महसूस करेंगे #साधु-संतों की खिल्ली उड़ायेंगे... वे शरीर से तो #भारतीय होंगे लेकिन दिलोदिमाग से हमारे ही #गुलाम होंगे..!
Jago Hindustani - भारत में छात्रों की पढ़ाई भारतीय भाषाओँ में क्यों होनी चाहिए ? जानिए रोचक तथ्य ! |
#शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास संगठन ने नई #शिक्षा नीति की सिफारिश की है। इस #संगठन ने अपनी सिफारिशें #मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजी है। संगठन चाहता है कि जल्द लागू होने वाली नई शिक्षा नीति में उसकी सिफारिशों पर गौर किया जाए।
एक #अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, सिफारिशों में कहा गया है कि #स्कूल में उच्च शिक्षा तक #मातृभाषा में ही #बच्चों को सभी निर्देश दिए जाएं। #विदेशी भाषाओं को भारतीय भाषाओं की जगह पढ़ने का विकल्प खत्म किया जाए। साथ ही अंग्रेजी को किसी भी स्तर पर जरूरी न बनाए रखने की भी सफारिश की गई है।
इसमें यूजीसी के लिए भी कुछ सिफारिशें दी गई हैं। इसमें कहा गया है कि यूजीसी से स्कॉलरशिप भी उन्हीं लोगों को मिले जो देश हित में #रिसर्च करना चाहते हों। इसके अलावा #भारत की संस्कृति, परंपरा, संप्रदायों, विचार, प्रख्यात हस्तियों का अपमान करने वाले पाठ्यक्रम को भी किताबों से हटाने की सिफारिश की गई है।
इस #सिफारिश को लेकर #शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के कुछ #नेता मानव संसाधन विकास #मंत्री प्रकाश जावडेकर से मिल भी चुके हैं। उन्होंने ही ये सिफारिशें जावडेकर को सौंपी थी। #अंग्रेजी अखबार को मिली जानकारी के मुताबिक, 14 अक्टूबर को #मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से एक ईमेल शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास को भेजा गया जिसमें लिखा था कि उनकी सिफारिशों को देख लिया गया है और #नई शिक्षा नीति को बनाते वक्त उनपर ध्यान दिया जाएगा।
#शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने अपनी सिफारिशों में सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में से धीरे-धीरे #अंग्रेजी को हटाने और भारतीय भाषाओं को शिक्षा के सभी स्तरों पर शामिल करने पर जोर दिया है। साथ ही #आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे #अंग्रेजी भाषाओं में पढ़ाई कराने वाले संस्थानों में भी #भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने की सुविधा देने पर जोर दिया गया है। इसमें ये भी कहा गया है कि जो भी #स्कूल छात्रों को अपनी मातृभाषा में बोलने पर पाबंदी लगाते हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
#शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संस्थापक और सचिव #अतुल कोठारी ने बताया कि जावडेकर हमारी सिफारिशों पर जरूर गौर करेंगे। उन्होंने कुछ सिफारिशों की तारीफ भी की थी। #शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के दूसरे फाउंडर दीनानाथ बत्रा है।
#शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ये बहुत अच्छी पहल है क्योंकि अंग्रेजों ने हमारी #भारतीय संस्कृति मिटाने के लिए हमारी #संस्कृत और #हिंदी भाषा को हटाकर गुलाम बनाने वाली अंग्रेजी भाषा रख दी ।
अंग्रेजी भाषा के #मूल शब्द लगभग 10,000 हैं, जबकि हिन्दी के मूल# शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक है। #संसार की #उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित #भाषा है।
हिंदी का #शब्दकोष बहुत विशाल #है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों #शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा में नही है ।
आज #मैकाले की वजह से ही हमने अपनी मानसिक गुलामी बना ली है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता । हमें हिंदी भाषा का महत्व समझकर उपयोग करना चाहिए ।
#बच्चो को #स्कूल में बचपन से ही सही इतिहास नही पढ़ाया जाता है । हमारे इतिहास में बाबर, #औरंगजेब,अंग्रेजों को महान बताया जाता है लेकिन विवेकानन्द, शिवाजी, #पृथ्वीराज चौहान और हमारे ऋषि-मुनि को महान नही बताते ।
इसलिये #पाठ्यक्रम बदलना बहुत जरूरी है हमारे #पाठ्यक्रम में #भारतीय संस्कृति की महिमा, ऋषि मुनियों, रामायण, महाभारत, श्रीमदभगवत गीता आदि पढ़ाया जाना चाहिये ।
#शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने जो पाठ्यक्रम बदलने का बीड़ा उठाया है उस पर सरकार को ध्यान देना चाहिये जिससे हमारे देश की संस्कृति सुरक्षित रहे और भारत फिर से विश्वगुरु पद पर आसीन हो जाये ।
जय हिंद!!!
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🇮🇳जागो हिन्दुस्तानी🇮🇳
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