भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व : गोपाष्टमी
8 नबम्बर 2016
8 नबम्बर 2016
#गोपाष्टमी #भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है । मानव-जाति की समृद्धि गौ-वंश की समृद्धि के साथ जुड़ी हुई है । अत: #गोपाष्टमी के पावन पर्व पर गौ-माता का पूजन,परिक्रमा कर विश्वमांगल्य की प्रार्थना करनी चाहिए ।
#गौ-सेवा से धन-सम्पत्ति, आरोग्य आदि मनुष्य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं । मानव #गौ की महिमा को समझकर उससे प्राप्त दूध, दही आदि पंचगव्यों का लाभ ले तथा अपने जीवन को #स्वस्थ, सुखी बनाये, इस उद्देश्य से हमारे परम करुणावान ऋषियों-महापुरुषों ने गौ को माता का दर्जा दिया तथा कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन #गौ-पूजन की परम्परा स्थापित की । यही मंगल दिवस गोपाष्टमी कहलाता है ।
कैसे मनायें गोपाष्टमी पर्व ?
Jago Hindustani - गोपाष्टमी |
गोपाष्टमी के दिन गायों को स्नान करायें । तिलक करके पूजन करें व गोग्रास दें । गायों को अनुकूल हो ऐसे खाद्य पदार्थ खिलायें, सात #परिक्रमा व #प्रार्थना करें तथा गाय की #चरणरज सिर पर लगायें । इससे मनोकामनाएँ पूर्ण एवं सौभाग्य की वृद्धि होती है ।
आपको बता दें कि कुछ समय पहले तीन साल से बिना सबूत जोधपुर जेल में बंद #बापू #आसारामजी ने #देशवासियों व सरकार के नाम एक संदेश भेजा था
जिसमें उन्होंने लिखा था कि #गौपालक और गौप्रेमी धन्य हो जायेंगे...
जिसमें उन्होंने लिखा था कि #गौपालक और गौप्रेमी धन्य हो जायेंगे...
ध्यान दें...
#गोझरण अर्क बनानेवाली #संस्थाएँ एवं जो लोग गोमूत्र से फिनायल व खेतों के लिए #जंतुनाशक #दवाइयाँ बनाते हैं, वे 8 रुपये प्रति लीटर के मूल्य से गोमूत्र ले जाते हैं । गाय 24 घंटे में 7 लीटर मूत्र देती है तो 56 रुपये होते हैं । उसके मूत्र से ही उसका खर्चा आराम से चल सकता है । गाय के गोबर, दूध और उसकी उपस्थिति का फायदा #देशवासियों को मिलेगा ही ।
#ऋषिकेश और देहरादून के बीच आम व लीची का बगीचा है । पहले वह 1 लाख 30 हजार रुपये में जाता था, बिल्कुल पक्की व सच्ची बात है । उनको गायें रखने की सलाह दी गयी तो वे 15 गायें, जो दूध नही देती थी, लगभग #निःशुल्क ले आये । उस बगीचे का ठेका दूसरे साल 2 लाख 40 हजार रुपये में गया । अब उन्होंने बताया कि गायें उस धरती पर घूमने से, गोमूत्र व गोबर के प्रभाव से अब वह बगीचा 10 लाख रुपये में जाता है । अपने खेतों में गायों का होना पुण्यदायी, परलोक सुधारनेवाला और यहाँ #सुख-समृद्धि देनेवाला साबित होगा ।
अगर गोमूत्र, गौ-गोबर का खेत-खलिहान में उपयोग हो जाय तो उनसे उत्पन्न अन्न, फल, #सब्जियाँ प्रजा का कितना हित करेंगी, कल्पना नहीं कर सकते !!
विदेशी #दवाइयों के निमित्त कई हजार करोड़ रुपये विदेशों में जाते हैं और देशवासी उन दवाइयों के दुष्प्रभाव के शिकार हो जाते हैं ।
विदेशी #दवाइयों के निमित्त कई हजार करोड़ रुपये विदेशों में जाते हैं और देशवासी उन दवाइयों के दुष्प्रभाव के शिकार हो जाते हैं ।
प्रजा हितैषी जो #सरकारें हैं, उन मेरी प्यारी सरकारों को प्यार भरा प्रस्ताव पहुँचाओगे तो मुझे खुशी होगी । मानव व देश का भला चाहने वाले प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रोनिक मीडिया इस बात के प्रचार का पुनीत कार्य करेंगे तो मानव के स्वास्थ्य व समृद्धि की रक्षा करने का पुण्य भी मिलेगा, प्रसन्नता भी मिलेगी व #भारत देश की सुहानी सेवा करने वाले #मीडिया को #देशवासी कितनी ऊँची नजर से देखेंगे और दुआएँ देंगे । उनकी 7-7 पीढ़ियाँ इस सेवाकार्य से सुखी, समृद्ध व सद्गति को प्राप्त होंगी ।
#केमिकल की #फिनायल व उसकी दुर्गंध से हवामान दूषित होता है । गौ-फिनायल से आपकी सात्त्विकता, सुवासितता बढ़ेगी ही ।
सज्जन सरकारें, प्रजा का हित चाहनेवाली सरकारें मुझे बहुत प्यारी लगती हैं । गौ-गोबर के कंडे से जो धुआँ निकलता है, उससे हानिकारक कीटाणु नष्ट होते हैं । शव के साथ #श्मशान तक की यात्रा में मटके में गौ-गोबर के कंडे जलाकर ले जाने की प्रथा के पीछे हमारे #दूरद्रष्टा #ऋषियों की शव के हानिकारक कीटाणुओं से समाज की सुरक्षा लक्षित है ।
अगर #गौ-गोबर का 10 ग्राम ताजा रस प्रसूतिवाली महिला को देते हैं तो बिना ऑपरेशन के सुखदायी प्रसूति होती है ।
गोधरा (गुज.) के प्रसिद्ध तेल-व्यापारी रेवाचंद मगनानी की बहू के लिए गोधरा व बड़ौदा के #डॉक्टरों ने कहा था : ‘‘इनका गर्भ टेढ़ा हो गया है । उसीके कारण शरीर ऐसा हो गया है, वैसा हो गया है... सिजेरियन (ऑपरेशन) ही कराना पड़ेगा ।’’ आखिर अहमदाबाद गये । वहाँ 5 डॉक्टरों ने मिलकर जाँच की और आग्रह किया कि ‘‘जल्दी सिजेरियन के लिए हस्ताक्षर करो; या तो संतान बचेगी या तो माँ, और यदि संतान बचेगी तो वह अर्धविक्षिप्त होगी । अतः सिजेरियन से एक की जान बचा लो ।’’
परिवार ने मेरे से #सिजेरियन की आज्ञा माँगी । मैंने मना करते हुए गौ-गोबर के रस का प्रयोग बताया । न माँ मरी न संतान मरी और न कोई अर्धविक्षिप्त रहा । प्रत्यक्ष प्रमाण देखना चाहें तो देख सकते हैं । अभी वह लड़की महाविद्यालय में पढ़ती होगी । अच्छे अंक लाती है । माँ भी स्वस्थ है । कई लोग देख के भी आये । कइयों ने उनके अनुभव की विडियो क्लिप भी देखी होगी । गौ-गोबर के रस द्वारा सिजेरियन से बचे हुए कई लोग हैं ।
विदेशी जर्सी तथाकथित गायों के दूध आदि से मधुमेह, धमनियों में खून जमना, दिल का दौरा, #ऑटिज्म, #स्किजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मानसिक रोग), मैड काऊ, ब्रुसेलोसिस, मस्तिष्क ज्वर आदि भयंकर बीमारियाँ होने का वैज्ञानिकों द्वारा पर्दाफाश किया गया है । परंतु भारत की देशी गाय के #दूध में ऐसे तत्त्व हैं जिनसे एच.आई.वी. संक्रमण, पेप्टिक अल्सर, मोटापा, जोड़ों का #दर्द, #दमा, स्तन व त्वचा का कैंसर आदि अनेक रोगों से रक्षा होती है । उसमें स्वर्ण-क्षार भी पाये गये हैं । गाय के दूध-घी का पीलापन स्वर्ण-क्षार की पहचान है । #लाइलाज व्यक्ति को भी गौ-सान्निध्य व गौसेवा से 6 से 12 महीने में स्वस्थ किया जा सकता है ।
पुनः गोमूत्र, गोबर से निर्मित खाद एवं गौ-उपस्थिति का खेतों में सदुपयोग हो !
भारत को #भूकम्प की आपदाओं से बचाने के लिए मददगार है गौसेवा !
भारत को #भूकम्प की आपदाओं से बचाने के लिए मददगार है गौसेवा !
लोग कहते हैं कि ‘आप 8000 #गायों का पालन-पोषण करते हैं !’ तो मैं तुरंत कहता हूँ कि ‘वे हमारा पालन-पोषण करती हैं । उन्होंने हमसे नहीं कहा कि हमारा पालन-पोषण करो, हमें सँभालो । हमारी गरज से हम उनकी सेवा करते हैं, सान्निध्य लेते हैं ।’
महाभारत (अनुशासन पर्व : 80.3) में महर्षि वसिष्ठजी कहते हैं : ‘‘गाय मेरे आगे रहें । गाय मेरे पीछे भी रहें । गाय मेरे चारों ओर रहें और मैं गायों के बीच में निवास करूँ ।’’
हे साधको ! देशवासियों ! सुज्ञ सरकारों ! इस बात पर आप सकारात्मक ढंग से सोचने की कृपा करें ।
आप सभीका स्नेही
आशाराम बापू, जोधपुर
आप सभीका स्नेही
आशाराम बापू, जोधपुर
#हिन्दू संत आसारामजी बापू का कहना सत्य है क्योंकि गाय के शरीर में सभी देवताओं का वास माना गया है । गाय के दूध, दही, घी, झरण एवं गोबर से #स्वास्थ्य, सम्पदा एवं समृद्धि मिलने के साथ ही कई आध्यात्मिक लाभ होते हैं ।
#गौ-हत्या को रोकने के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर पहल करनी होगी । इसके लिए आज से ही संकल्प करें
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