संस्कृत को अनिवार्य भाषा बना देना चाहिए : डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी !!
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. #सुब्रमण्यम स्वामी रायपुर में बुधवार को एक व्याख्यान में 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एवं चुनौतियां' विषय पर बोल रहे थे।
उसमे स्वामी जी ने #संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को अनिवार्य भाषा बना देना चाहिए क्योंकि पूरे #देश में हर भाषा में संस्कृत है।
स्वामी ने कहा कि संविधान में कहा गया है कि हिन्दी में संस्कृत के शब्दों का प्रयोग होना चाहिए। संस्कृत $कंप्यूटर के लिए सबसे अनुकूल भाषा है। यह बात #नासा ने भी मानी है।
आपको बता दे कि #लॉर्ड_मैकाले ने कहा था कि यदि आप भारत को गुलाम बनाना चाहते हैं या उस पर नियंत्रण करना चाहते हैं तो आपको देश की संस्कृति, धर्म एवं संस्कृत भाषा को अवश्य खत्म करना होगा ।
संस्कृत भाषा का महत्व !!
Jago Hindustani - Sanskrit-language-should-be-made-compulsory-Dr-Subramanian-Swamy |
संस्कृत देवभाषा है। यह सभी भाषाओं की जननी है। विश्व की समस्त भाषाएँ इसी के गर्भ से उद्भूत हुई है। वेदों की रचना इसी भाषा में होने के कारण इसे #वैदिक भाषा भी कहते हैं। संस्कृत भाषा का प्रथम काव्य-ग्रन्थ ऋग्वेद को माना जाता है। ऋग्वेद को आदिग्रन्थ भी कहा जाता है। किसी भी भाषा के उद्भव के बाद इतनी दिव्या एवं अलौकिक कृति का सृजन कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता है।
ऋग्वेद की ऋचाओं में संस्कृत भाषा का लालित्य, व्याकरण, छंद, सौंदर्य, अलंकर अद्भुत एवं आश्चर्यजनक है। दिव्य ज्ञान का यह विश्वकोश संस्कृत की #समृद्धि का परिणाम है। यह भाषा अपनी दिव्य एवं दैवीय विशेषताओं के कारण आज भी उतनी ही प्रासंगिक एवं जीवंत है।
भाषाविद मानते हैं कि सभी भाषाओं की उत्पत्ति का तार कहीं न कहीं से संस्कृत से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह सबसे पुरानी एवं #समृद्ध भाषा है।
कंप्यूटर विशेषज्ञ इस तथ्य से सहमत है कि यदि संस्कृत को कंप्यूटर की #डिजिटल भाषा में प्रयोग करने की तकनीक खोजी जा सके तो भाषा जगत के साथ-साथ कंप्यूटर क्षेत्र में भी अभूतपूर्व परिवर्तन देखें जा सकते हैं।
संस्कृत को सभी उच्च भाषाओं की जननी माना जाता है। इसका कारण है इसकी सर्वाधिक शुद्धता ।
इसीलिए यह कम्प्यूटर #सॉफ्टवेयर के लिए एक उपयुक्त भाषा है (फ़ोर्ब्स पत्रिका जुलाई 1987 की एक रिपोर्ट में)।
इसीलिए यह कम्प्यूटर #सॉफ्टवेयर के लिए एक उपयुक्त भाषा है (फ़ोर्ब्स पत्रिका जुलाई 1987 की एक रिपोर्ट में)।
भारत और विश्व के लिए संस्कृत का महत्त्व संपादित करें !!
संस्कृत कई भारतीय भाषाओं की जननी है। इनकी अधिकांश शब्दावली या तो संस्कृत से ली गयी है या संस्कृत से प्रभावित है। पूरे भारत में #संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन से भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक एकरूपता आयेगी जिससे भारतीय एकता बलवती होगी। यदि इच्छा-शक्ति हो तो संस्कृत को हिब्रू (यहूदी) की भाँति पुनः प्रचलित भाषा भी बनाया जा सकता है।
भारतीय भाषाओं की तकनीकी शब्दावली भी संस्कृत से ही व्युत्पन्न की जाती है। भारतीय #संविधान की धारा 343, धारा 348 (2) तथा 351 का सारांश यह है कि देवनागरी लिपि में लिखी और मूलत: संस्कृत से अपनी पारिभाषिक शब्दावली को लेने वाली हिन्दी राजभाषा है।
संस्कृत (संस्कृतम्) भारत की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुर भारती भी कहा जाता है।
यह विश्व की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है। संस्कृत हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की हिन्द-आर्य उपशाखा में शामिल है। ये आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा से बहुत अधिक मेल खाती है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे
#मैथिली, #हिन्दी, #उर्दू, #कश् मीरी, #उड़िया, बांग्ला, मराठी, सिन्धी,पंजाबी, (नेपाली), आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है।
यह विश्व की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है। संस्कृत हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की हिन्द-आर्य उपशाखा में शामिल है। ये आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा से बहुत अधिक मेल खाती है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे
#मैथिली, #हिन्दी, #उर्दू, #कश्
संस्कृत में हिन्दू धर्म से सम्बंधित लगभग सभी धर्मग्रन्थ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन धर्म के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ #संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिन्दू धर्म के यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं।
संस्कृत की भाषा विशिष्टता को समझकर लन्दन के बीच बनी Saint James Independent school #पाठशाला ने अपने जूनियर डिविजन में इसकी शिक्षा को अनिवार्य बना दिया है।
आज आवश्यकता है संस्कृत के विभिन्न आयामों पर फिर से नवीन ढंग से अनुसन्धान करने की, इसके प्रति जनमानस में जागृति लाने की;
क्योंकि संस्कृत हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। संस्कृति की रक्षा एवं विकास के लिए संस्कृत को महत्त्व प्रदान करना आवश्यक है। इस #विरासत को हमें पुनः शिरोधार्य करना होगा तभी इसका विकास एवं उत्थान संभव है।
#सरकार को डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की बात पर ध्यान देकर सभी विद्यालयों में संस्कृत अनिवार्य कर देनी चाहिए । जिससे भारत फिर से विश्वगुरु पद पर आसीन हो सके ।
जय हिन्द !!!
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🇮🇳जागो हिन्दुस्तानी🇮🇳
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