Media's Evil Eye On Donations and Income of Temples
जागो हिंदुस्तानी
पता नहीं क्यों बिकाऊ मीडिया को मंदिर और आश्रम के पैसों से प्रॉब्लम है । उसको चर्च या 2G घोटाले / कोयले आदि घोटाले, चारा घोटाले क्यों नजर नही आते ?
मीडिया ADVERTISE, रिश्वत और धोखाधड़ी के करोड़ों कमा लेती है वो क्यों नहीं दिखता ?
मन्दिर या आश्रमों के पैसे जो निःस्वार्थ सेवाकार्यों में, गुरुकुलों में, गरीब-गुरुओं के पेट भरने में, उन्हें घरेलु जरुरीयात सामान उपलब्ध करने में लगते हैं । उसके लिए क्यों दर्द हो रहा है बिकाऊ मीडिया को ?
ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित मीडिया को अपनी खुद की HISTORY क्यों नजर नहीं आती ?
भारत में कुछ मन्दिरों की एक महीने की कमाई के ये आंकड़े आपको बताये जा रहे है ।
इसके अलावा भारत के छोटे-बड़े मन्दिरों की सालाना आय 280 लाख करोड़ और भारत का कुल बजट 15 लाख करोड़ है ।
मंदिरो की कमाई के आंकड़े रखने वालो मीडिया ने ये कभी सोचा कि मंदिरों का पैसा किस काम आता है ?
एक बार राजीव भाई दिक्सित - शंकराचार्य जी से मिलने साऊथ में गए थे । उनको पता चला की उस समय मठ की कमाई 5 हजार करोड़ थी। उन्होंने पूछा की इतने पैसों का क्या होता है। तो पता चला की इन पैसों से शिक्षा संस्थान चलते है जिनमें उन बच्चों की पढाई होती है, जिनको पुनः हिन्दू बनाया गया है, उनके रहने व खाने की व्यवस्था की जाती है ।
तब राजीव भाई ने पूछा कि ये तो बहुत अधिक पैसा है । इस पर शंकराचार्य जी ने कहा कि हिंदुओं को विधर्मी बनाने के लिए 18 हजार करोड़ विदेशों से आता है उसके मुकाबले में ये बहुत कम है ।
आज भी भारत में सबसे अधिक जमीन ईसाई चर्चों के पास है, और सबसे अधिक धन चर्च के पास है ।
जब की ईसाइयों की संख्या भारत में मात्र 2% है ।
हिन्दू मंदिरों का आया दान/चढ़ावा सरकार जो ले लेती है वो पैसा चर्च और मस्ज़िदों के विकास में लगा देती है ।
अब आप समज गए होंगे की ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित मीडिया का रवैया हमेशा हिन्दू-संस्कृति के विरुद्ध में ही क्यों रहता है ???
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