Monday, August 24, 2015

Culture-Defense : Unprecedented Works Of Asaram Bapuji JI

                              ����जागो हिंदुस्तानी����
संस्कृति-रक्षा में पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का योगदान है बेमिसाल - श्री रमेश मोदीजी

“हिन्दू संस्कृति की रक्षा में जो योगदान संत आशारामजी बापू का है, उसके तुल्य कोई मिसाल तो कहीं पर भी आपको देखने को नहीं मिलेगी । सर्वश्रेष्ठ मिसाल आपको मिलेगी बापूजी के यहाँ। किसी भी देश की संस्कृति यदि खत्म हो जाती है तो वह देश बचता नहीं है ।’’ यह बात विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री रमेश मोदीजी ने कही । उन्होंने आगे कहा - ‘‘ हम देखते हैं कि आजकल जन्मदिवस मनाते हैं तो रात को १२ बजे केक कटते हैं जबकि हमारा दिन तो सूर्योदय से शुरू होता है । अग्नि के पूजक हैं हम, तो आप दीपक जला लो पर आजकल मोमबत्तियाँ बुझाते हैं । इस प्रकार जो अनेक कुरीतियाँ आ गयी हैं, सांस्कृतिक प्रहार जो हम पर चालू हुआ है, उसको रोकने के लिए जो काम आशारामजी बापू कर रहे हैं, उनके आश्रम, समितियाँ व साधक कर रहे हैं वह अत्यंत सराहनीय है ।”
उन्होंने भारतीय संस्कृति में चैत्री नूतन वर्ष को वास्तविक नववर्ष बताया और कहा कि “अपना नववर्ष तो लोग मनाते नहीं हैं लेकिन अंग्रेजों का नववर्ष जरूर मनाते हैं । यह आजादी के बाद भी जो परम्परा चली आ रही थी, उसको तोड़ने के लिए पूज्य आशारामजी बापू जैसे संतों ने जो कार्य किया है, योगदान दिया है, वह एक बहुत बड़ा योगदान है । वे निश्चित रूप से बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं और उनके सभी कार्यों में मैं उनके साथ हूँ ।

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