#माँ #गंगा जयंती : 12 मई
क्या गंगा जल की पवित्रता का वैज्ञानिक आधार भी है...???
#गंगा #जल को पवित्र मानते हैं और बताते हैं कि इसका पानी सड़ता नही है ।
क्या गंगा जल की पवित्रता का वैज्ञानिक आधार भी है...???
#गंगा #जल को पवित्र मानते हैं और बताते हैं कि इसका पानी सड़ता नही है ।
#भारत में #बोतल बंद पानी के दिन बहुत बाद में आए हैं । पहले लोग अपने साथ पानी की बोतल लेकर नहीं चलते थे । लेकिन हर #हिंदू परिवार में पानी का एक #कलश या कोई दूसरा बर्तन ज़रुर होता था जिसमें गंगा का पानी भरा होता था ।
#पीढ़ियाँ गुज़र गईं ये देखते-देखते कि हमारे घरों में #गंगा का पानी रखा हुआ है- किसी पूजा के लिए, #चरणामृत में मिलाने के लिए, मृत्यु नज़दीक होने पर दो बूंद मुंह में डालने के लिए जिससे कि #आत्मा सीधे स्वर्ग में जाए ।
#वेद , #पुराण , #रामायण, #महाभारत सब #धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है ।
कई #इतिहासकार बताते हैं कि #सम्राट #अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करते ही थे, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाते थे ।
#इतिहासकार लिखते हैं कि अंग्रेज़ जब कलकत्ता से वापस #इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह सड़ता नहीं था । इसके विपरीत #अंग्रेज़ जो पानी अपने देश से लाते थे वह रास्ते में ही सड़ जाता था ।
करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात #ब्रिटिश #डाक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया ।
दिलचस्प ये है कि इस समय भी #वैज्ञानिक पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है ।
'#कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता'
लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च #इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के #निर्देशक डॉक्टर #चंद्र_शेखर #नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है ।
लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च #इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के #निर्देशक डॉक्टर #चंद्र_शेखर #नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है ।
#डॉक्टर #नौटियाल ने यह परीक्षण #ऋषिकेश और #गंगोत्री के #गंगा जल में किया था, जहाँ प्रदूषण ना के बराबर है । उन्होंने परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगा जल लिया था । एक ताज़ा, दूसरा #आठ साल पुराना और तीसरा सोलह साल पुराना ।
उन्होंने तीनों तरह के गंगा जल में #ई-कोलाई बैक्टीरिया डाला ।
डॉ. नौटियाल ने पाया कि ताजे गंगा पानी में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में एक हफ़्ते और सोलह साल पुराने पानी में 15 दिन । यानि तीनों तरह के गंगा जल में ई कोलाई #बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया ।
डॉ. नौटियाल ने पाया कि ताजे गंगा पानी में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में एक हफ़्ते और सोलह साल पुराने पानी में 15 दिन । यानि तीनों तरह के गंगा जल में ई कोलाई #बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया ।
डॉ. नौटियाल बताते हैं, “#गंगा के पानी में ऐसा कुछ है जो कि बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है । उसको नियंत्रित करता है ।”
हालांकि उन्होंने पाया कि गर्म करने से पानी की प्रतिरोधक क्षमता कुछ कम हो जाती है ।
#वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले #बैक्टीरियोफ़ाज वायरस होते हैं ।ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं ।
अपने अनुसंधान को और आगे बढ़ाने के लिए #डॉक्टर #नौटियाल ने गंगा के पानी को बहुत महीन झिल्ली से पास किया । इतनी महीन झिल्ली से गुजारने से वायरस भी अलग हो जाते हैं। लेकिन उसके बाद भी गंगा के पानी में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता थी ।
डॉक्टर नौटियाल इस प्रयोग से बहुत आशांवित हैं । उन्हें उम्मीद है कि आगे चलकर यदि गंगा के पानी से इस चमत्कारिक तत्व को अलग कर लिया जाए तो बीमारी पैदा करने वाले उन जीवाणुओं को नियंत्रित किया जा सकता है, जिन पर अब #एंटी बायोटिक दवाओं का असर नहीं होता ।
#प्रोफेसर #भार्गव का तर्क है, "गंगोत्री से आने वाला अधिकांश जल हरिद्वार से नहरों में डाल दिया जाता है । नरोरा के बाद गंगा में मुख्यतः भूगर्भ से रिचार्ज हुआ और दूसरी नदियों का पानी आता है । इसके बावजूद बनारस तक का गंगा पानी सड़ता नहीं ।
इसका मतलब कि नदी की तलहटी में ही #गंगा को साफ़ करने वाला #विलक्षण तत्व मौजूद है ।"
इसका मतलब कि नदी की तलहटी में ही #गंगा को साफ़ करने वाला #विलक्षण तत्व मौजूद है ।"
डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से #आक्सीजन सोखने की #अद्भुत क्षमता है ।
डॉ. भार्गव का कहना है कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली #गंदगी को #हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है ।
वे कहते हैं कि दूसरी नदी जो गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ़ कर पाती है, उतनी गंदगी गंगा नदी एक #किलोमीटर के बहाव में साफ़ कर देती है ।
पापनाशिनी, पुण्यप्रदायिनी गंगा
जैसे मंत्रों में ॐकार, स्त्रियों में गौरीदेवी, तत्त्वों में गुरुतत्त्व और विद्याओं में आत्मविद्या उत्तम है, उसी प्रकार #सम्पूर्ण #तीर्थों में गंगातीर्थ विशेष माना गया है । गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया है :
संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते । तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः ।।
‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करनेवाली हैं । आप जीवनरूपा हैं । आप #आधिभौतिक,#आधिदैविक और #आध्यात्मिक तीनों प्रकार के #तापों का संहार करनेवाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं । आपको बार-बार #नमस्कार है ।
जैसे मंत्रों में ॐकार, स्त्रियों में गौरीदेवी, तत्त्वों में गुरुतत्त्व और विद्याओं में आत्मविद्या उत्तम है, उसी प्रकार #सम्पूर्ण #तीर्थों में गंगातीर्थ विशेष माना गया है । गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया है :
संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते । तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः ।।
‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करनेवाली हैं । आप जीवनरूपा हैं । आप #आधिभौतिक,#आधिदैविक और #आध्यात्मिक तीनों प्रकार के #तापों का संहार करनेवाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं । आपको बार-बार #नमस्कार है ।
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