विश्वभर में बड़े चाव से मनाया गया #14Feb_मातृ_पितृ_पूजन_दिवस
आज जहाँ एक ओर वैलेंटाइन डे का प्रभाव पूर्व के समय से अब तक अंधाधुन बढ़ता आ रहा है। इसके कुप्रभाव व दुष्परिणाम समाज के सामने प्रत्यक्ष हो रहें हैं ।
आज जहाँ एक ओर वैलेंटाइन डे का प्रभाव पूर्व के समय से अब तक अंधाधुन बढ़ता आ रहा है। इसके कुप्रभाव व दुष्परिणाम समाज के सामने प्रत्यक्ष हो रहें हैं ।
Jago HIndustani - ParentsWorshipDay14Feb2016 |
एड्स, छोटी उम्र में ही गर्भाधान (Teen Pregnency), ऑपरेशन आदि गुप्त बिमारियों का सामना समाज को करना पड़ रहा है ।
वहीँ दूसरी ओर समाज में युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देख तथा देश भर में वृद्धाश्रमों की माँग बढ़ते देख संत श्री आसाराम बापूजी ने एक अनूठी मुहिम की तरफ युवावर्ग को आकर्षित किया।
#14Feb_मातृ_पितृ_पूजन_दिवस ।
#14Feb_मातृ_पितृ_पूजन_दिवस ।
जिसका सभी सम्मानीय एवं प्रतिष्ठित हस्तियों ने स्वागत किया। और देशभर में
पिछले कई वर्षों से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाना शुरू किया गया।
पिछले कई वर्षों से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाना शुरू किया गया।
लगातार 15 दिन से भारतभर में ट्विटर पर भी आसाराम बापूजी के भक्तगण सक्रिय हैं और #सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड लेवल तक बड़े जोरों से #ParentsWorshipDay मनाया जा रहा है ।
15 दिन पूर्व से ही मातृ-पितृ पूजन की तैयारियाँ विश्व भर में शुरू हो गई थी और 14 फरवरी को विश्वभर में जगह-जगह #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस मनाया जा रहा है ।
माता-पिता अपने बच्चों सहित अपने-अपने क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ ये प्रोग्राम किये गए वहाँ पधारे ।
और एक नये उत्साह, एक नए जीवन, नये संस्कारों, एक नयी दिव्य अनुभूति, और एक अनोखे हर्ष के साथ सबके मुखमंडल प्रफुलित हो उठे।
और एक नये उत्साह, एक नए जीवन, नये संस्कारों, एक नयी दिव्य अनुभूति, और एक अनोखे हर्ष के साथ सबके मुखमंडल प्रफुलित हो उठे।
सच में जिन्होंने भी इसे मनाया, अपने माता-पिता की पूजा की, अपनी दिव्य संस्कृति को अपनाया उनके जीवन में कुछ नया देखने को मिला ।
कुछ पाश्चात्य संस्कृति (VALENTINE DAY) मनाने वाले मनचले लोग तर्क-कुतर्क करने लगे कि माता-पिता की पूजा एक ही दिन क्यों ?
उन्हें हमारा जवाब इस तरह का है कि क्या आपने अपने जीवन में दिल से कभी अपने माता-पिता की पूजा की भी या नहीं ? जरा ईमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर तो कहना ।
और अगर की होती तो क्या आप #वैलेंटाइन-डे के इस कचरे को अपनाते ??
उन्हें हमारा जवाब इस तरह का है कि क्या आपने अपने जीवन में दिल से कभी अपने माता-पिता की पूजा की भी या नहीं ? जरा ईमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर तो कहना ।
और अगर की होती तो क्या आप #वैलेंटाइन-डे के इस कचरे को अपनाते ??
आज के कल्चर में वैलेंटाइन डे मनाने वाले आगे जाकर लड़कियों के चक्कर में क्या-क्या कर बैठते हैं ये दुनिया जानती है । फिर समाज में और घर-परिवार में मुँह दिखाने लायक नहीं रहते । फिर या तो घर से भाग जाते हैं या तो आत्म हत्या के विचार कर बैठते हैं और इसको अंजाम देते हैं ।
कुछ सप्ताह पूर्व ही अख़बारों में पड़ने को मिला क़ि नदी में कूदकर मरने वालों की संख्या बड़ी और जवान लड़के-लड़कियाँ ही कूदकर या तो ट्रेन के आगे आकर जान दे बैठते हैं ।
क्या ये है आज का
#VELANTINE_DAY....???
कुछ सप्ताह पूर्व ही अख़बारों में पड़ने को मिला क़ि नदी में कूदकर मरने वालों की संख्या बड़ी और जवान लड़के-लड़कियाँ ही कूदकर या तो ट्रेन के आगे आकर जान दे बैठते हैं ।
क्या ये है आज का
#VELANTINE_DAY....???
अनादिकाल से भारत के महान संत ही समाज की रक्षा करते आये हैं । समाज को संवारने का दैवीकार्य महान ब्रह्मवेत्ता तत्वज्ञ संतों द्वारा ही होता आया है ।
और जब-जब समाज कुकर्म और पाप की गहरी खाई में गर्क हो रहा होता है, अधर्म बढ़ रहा होता है तो किसी न किसी महापुरुष को परमात्मा (ईश्वर) धरती पर प्रकटाते हैं या स्वयं भगवान् या धरती पर अवतार लेते हैं और इस दिशाहीन समाज को एक नयी दिशा देकर, समाज को सुसंस्कारित कर, समाज में धर्म की स्थापना कर फिर अलविदा होते हैं और ऐसे महापुरुषों की सुज्ञ समाज अनंत काल तक गाथा गाता रहता है । ऐसे ही कई #महापुरुष जैसे संत कबीर, गुरु नानक जी, संत तुलसीदास जी, संत लीलाशाह जी महाराज, संत तुकाराम जी, संत ज्ञानेश्वर जी, स्वामी विवेकानंद जी, स्वामी अखंडानन्द जी आदि महान सन्तों का यश आज भी जीवित है ।
करोड़ो-अरबों लोग धरती पर आते हैं यूँ ही चले जाते हैं लेकिन किसी का नाम आदि सुना नहीं लेकिन संतों का नाम-आदर-पूजन-यश सभी के हृदयों में अंकित है ।
और जब-जब समाज कुकर्म और पाप की गहरी खाई में गर्क हो रहा होता है, अधर्म बढ़ रहा होता है तो किसी न किसी महापुरुष को परमात्मा (ईश्वर) धरती पर प्रकटाते हैं या स्वयं भगवान् या धरती पर अवतार लेते हैं और इस दिशाहीन समाज को एक नयी दिशा देकर, समाज को सुसंस्कारित कर, समाज में धर्म की स्थापना कर फिर अलविदा होते हैं और ऐसे महापुरुषों की सुज्ञ समाज अनंत काल तक गाथा गाता रहता है । ऐसे ही कई #महापुरुष जैसे संत कबीर, गुरु नानक जी, संत तुलसीदास जी, संत लीलाशाह जी महाराज, संत तुकाराम जी, संत ज्ञानेश्वर जी, स्वामी विवेकानंद जी, स्वामी अखंडानन्द जी आदि महान सन्तों का यश आज भी जीवित है ।
करोड़ो-अरबों लोग धरती पर आते हैं यूँ ही चले जाते हैं लेकिन किसी का नाम आदि सुना नहीं लेकिन संतों का नाम-आदर-पूजन-यश सभी के हृदयों में अंकित है ।
ऐसे ही संत आज इस धरा पर हैं लेकिन बहिर्मुख व कृतघ्न समाज को दिखता कहाँ है । कहाँ पहचान पाते हैं हम उन संतों को ।
उनको तो गुरुनानक जैसे जेल डलवा दिया जाता है । दो बार तो गुरुनानक जी को भी जेल जाना पड़ा । संत कबीर जी जैसे वेश्याओं द्वारा बदनाम करवाया जाता है । स्वामी नित्यानंद के ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाया था । लेकिन उनकी पूजा आज भी होती है क्योंकि
"धर्म की जय और अधर्म का नाश" ये प्राकृतिक सिद्धांत है ।
"धर्म की जय और अधर्म का नाश" ये प्राकृतिक सिद्धांत है ।
आज समाज को एक अद्भुत प्यारा सा पर्व देकर संत श्री आसाराम बापूजी ने सभी के दिलों में राज किया है । सबको प्रेम दिया है । सभीको सन्मार्ग पर ले चलने का बड़ा महान कार्य किया है ।
समाज को तो संत आसाराम बापूजी के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए । लेकिन भारत में ही विदेशी षड़यंत्र द्वारा ( क्रिश्चयन मिशनरीज, नशीली कंपनियों के मुआवजे से ) उन्हें जेल डलवा दिया जाता है और समाज सिर्फ मुँह ताकता रहता है ।
जिन्होंने भी संत आसाराम बापूजी से दीक्षा ली, उन्हें अपनाया वो अभी तक उनसे जुड़े हुए हैं । अभी भी पूर्ण रूप से उनके प्रति समर्पित हैं ।
धन्य है ऐसे महान गुरुओं के महान शिष्य ।
#HappyParentsWorshipDay
धन्य है ऐसे महान गुरुओं के महान शिष्य ।
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