
लेकिन दुर्भाग्य है कि जिन संतो को #"भारत रत्न" #की उपाधि से #अलंकृत #करना चाहिए उन्हें ईसाई मिशनरियों के इशारे पर झूठे आरोपों द्वारा #जेल #में भेजा जाता है और विदेशी# फण्ड #से चलने वाली भारतीय मीडिया द्वारा उन्हें बदनाम कराया जाता है ।

#कब जगेगा हिन्दू...???

शिकागो की #धर्म सभा के दाैरान पादरियों द्वारा यह कहा गया कि भारत भिखारियों का देश है वहाँ पर #धर्म प्रचार #करने की आवश्यकता है।

जब स्वामी #विवेकानंद जी #तक यह बात पहुंची तो वे तिलमिला उठे और गर्जना भरे शब्दों में पादरियों की सभा में बोले कि तुम कहते हो भारत भिखारियों का देश है तो इस भ्रम को निकाल दो, #भारत भिखारियों का नहीं बल्कि भिक्षुकों का #देश है।

भिखारी वो होते हैं जो #धन के अभाव #में किसी से याचना करते हैं ,
पर तुम नहीं जानते हो तो सुनो !
भारत में ऐसे राजा हुए जो सोने के महल में रहते व चांदी के थाल में भोजन करते थे।

लेकिन जब उन्हें सनातन ज्ञान का मार्गदर्शन मिला तो वे वैराग्य को धारण करके सत्य की खोज के लिए सब कुछ त्याग कर #भिक्षुक बन गए , जंगलों में गुरु की सेवा करते और रोटी का टुकड़ा भिक्षा में माँग कर खाते।

राजा भर्तृहरि, परीक्षित, सिद्धार्थ, महावीर, भरत जैसे महात्मा राजा इसका #प्रयत्क्ष# उदाहरण हैं ।
और उन्होंने उस परमानन्द की प्राप्ति की जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हो ।

देखो तुम आनंद से इतने नीरस हो गए हो कि धन और डंडे के भय से #धर्म प्रचार कर रहे हो।

लेकिन #उन महापुरुषों के रहने मात्र से पशु पक्षी भी शांति का अनुभव करते हैं इसलिए भारत भिक्षुकों का #देश #है।
तुम थोड़ा सा भी भारत का प्रसाद पाओगे तो कृतार्थ हो जाओगे।

स्वामी जी के इस उपदेश से कितने #ईसाई सुधरे, कितने जल भून गए पर स्वामी जी बिना किसी की परवाह किये सनातन #धर्म का डंका बजाते रहे।

स्वामी जी के हयाती #काल में उन्हें इतना परेशान# किया गया ,उनका इतना #कुप्रचार किया गया कि उनके गुरूजी की समाधि के लिये #एक गज जमीन तक# उन्हें नहीं मिली थी ।

पर अब पूरी दुनिया स्वामी #विवेकानंद जी व उनके गुरूजी का जयकार करती है ।

जब वे धरती से चले गए, अर्थात् #इतिहास के पन्नों पर जब उनकी महिमा आयी तब लोग उनको इतना आदर - सम्मान देते हैं ।
पर उनकी# हयातीकाल में उनके साथ दुष्टों ने कैसा #व्यवहार किया...!!!

क्या हम भी ऐसा #व्यवहार हयात संतों के साथ तो नहीं कर रहें ?

वर्त्तमान समय में भी ऐसे #महान संत इस धरती पर# विराजमान हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दू संस्कृति के# उत्थान में लगा दिया ।

संत तो #संत होते है निंदा स्तुति से परे...

अभी भी #जिन साधु -संतो को# ईसाई मिशनरियों के इशारे पर #मीडिया द्वारा बदनाम किया जा रहा है उनका भी आगे जयकारा दुनिया बोलेगी ।

#ईसाई मिशनरियां स्वामी विवेकानंदजी के समय से संतो के #विरुद्ध षड़यंत्र कर #रही हैं क्योंकि हिन्दू संत इनके आँखों की किकरी बन गए हैं ये हमारे संतों के होे #धर्मान्तरण में विफल #हो रही हैं ।

इसका #प्रयत्क्ष उदाहरण संत आसारामजी बापू हैं जिनका #जीवन चरित्र पढ़ने से पता चलता है कि

उन्होंने संस्कृति उत्थान के लिए अतुलनीय कार्य किये हैं।
आज मल्टी #नेशनल कंपनियों को भारी घाटा होने के कारण ही वे #षड़यंत्र के तहत फंसाये गए हैं ।

अभी भी हिन्दू नही जगेगा तो #ईसाई मिशनरियां और देश विरोधी ताकतें एक के बाद एक संत को #षड़यंत्र द्वारा फंसा कर समाज से दूर करते रहेंगे ।

आज हिंदुओं में जागृति की आवश्यकता है।
और हिन्दू संतो के साथ हो रहे #अन्याय पर आवाज उठाने की आवश्यकता है।

जागो हिन्दू !!!
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