
आखिर पत्रकारिता का चेहरा क्यों बदलता रहता है..???

भारत में 18 वी सदी के आखिर में 1780 में प्रिंट मीडिया की शुरुवात हुई।
आगे 1990 के दशक में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक नया रूप दिखाई दिया ।

अभी के वक्त में भारत में 70,000 से भी ज्यादा न्यूज पेपर्स, 690 से भी ज्यादा सैटेलाइट चैनल्स है ।

भारत की मीडिया इतनी तकनीकियों को अपनाने के बावजूद भी दुनिया में 131 वे नंबर पर क्यों है ???

भारतीय प्रिंट मीडिया की तरह भारत की इलेक्ट्रानिक मीडिया भी बहुत सारे राजनैतिक पार्टियों द्वारा चलाई जाती है जिसका उपयोग इलेक्शन के वक्त अपनी बात जनता के सामने रखने के लिए किया जाता है।
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Jago Hindustani - Print and electronic media exploits black |

भारतीय मीडिया में जैसे कि....
1) दैनिक भास्कर के शेयर्स पब्लिक - 25.03%, वैयक्तिक - 52.29% और कॉर्पोरेट बॉडीज - 22.68%

2) India News के 60.72% शेयर्स कार्तिकेय शर्मा के नाम हैं जो पूर्व कांग्रेस लीडर विनोद शर्मा का लड़का है ।

3) सकाल नाम के प्रिंट मीडिया के मालिक शरद पवार है ।

4) आज तक न्यूज चैनल इसे India Today Group चलाता है जिसे फंडिंग कांग्रेस पार्टी करती है।
ऐसे सभी चैनल के लगभग विदेशी मालिक हैं और राजनैतिक पार्टियों द्वारा चलाये जाते हैं ।

भारतीय मीडिया हमेशा से हिंदू विरोधी न्यूज दिखाकर समाज को गुमराह करती जा रही है शायद से इस एजेंडा के पीछे का मकसद भारत में रहकर भारत की संस्कृति को बर्बाद कर देना ही है ।

हिन्दू पानी से होली क्यों खेलते हो, फटाके क्यों जलाये जाते हैं ,भगवान् शिव जी को दूध अर्पण क्यों किया जाता है आदि आदि...

हिन्दू त्यौहारों पर ही मीडिया क्यों बोलती है ईसाई और मस्लिम धर्म त्यौहारों के लिए क्यों नही बोलती..???

मीडिया के झूठे ट्रायल पर निशाना हिन्दू साधु-संत

2004कांची के शंकराचार्य सरस्वती पर आरोप लगते ही मीडिया ने खूब बदनाम किया पर जब निर्दोष मुक्त हो गए तब कोई न्यूज नही दिखाई।

2006 में साध्वी प्रज्ञा जी को भगवा आतंकवाद कहकर बदनाम किया गया पर आज तक साध्वी जी के खिलाफ एक भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ।

2009 में स्वामी नित्यानंद जी के लिए रात-दिन मीडिया ने खूब बदनामी की पर आखिर में निर्दोष बरी किया तो एक मिनट की भी न्यूज नही दिखाई ।

और इस #दशक का सब से बड़ा मीडिया ट्रायल हुआ हिन्दू धर्म रक्षा मंच के अध्यक्ष संत आशारामजी बापू के लिए।

एक बालिग लड़की ने आरोप लगाकर #POCSO कानून का दुरूपयोग किया जहाँ FIR में 376 की धारा नहीं है, मेडिकल रिपोर्ट में उस बालिग लड़की के साथ बलात्कार की कोई घटना नहीं घटी और उस के शरीर पे एक खरोंच तक नहीं है फिर भी मीडिया ने समाज को ये कहा कि उस लड़की के साथ बलात्कार हुआ।

डॉक्टर सुब्रह्ममयम स्वामी जी ने संत आसारामजी बापू के केस की FIR पढ़ी और कहा कि सारा केस फर्जी है ।

जब-जब संत आसारामजी बापू की जमानत होने वाली होती तब तब मीडिया ट्रायल चलता है ।

दो दिन पहले संत आसारामजी बापू एम्स में अपनी जाँच कराने गये थे ।

तब आसारामजी बापू के पास कोई नर्स आई थी तो उस न्यूज को आज #दैनिक_भास्कर, #इण्डिया न्यूज, तेज न्यूज ने ऐसे गंदे तरीके से पेश किया कि आम इंसान भी हैरान है कि एक संत के लिए इतनी हल्की भाषा का उपयोग कैसे किया जा सकता है ?
बताया कि #बटर ( #मक्खन ) लेकर आई और बापूजी उसको बोले की तू भी बटर जैसी है ।

बादमे एक टीम की तहकीकात द्वारा सच सामने आया है कि संत आसारामजी बापू ने ऐसा कुछ बोला ही नहीं है ।

आज दैनिक भास्कर ने संत #आसारामजी बापू के बारे में अनलर्ग खबर छापने पर #लुधियाना में #युवा सेवा संघ द्वारा तीव्र विरोध किया गया।

अब आप खुद सोचिये कि #विदेशी #फण्ड से चलने वाली #भारतीय #मीडिया उर्फ़ माफिया किस हद तक गिर चुकी है !!

आज-कल की न्यूज को देखकर तो ऐसा लगता है कि मीडिया की कोई जाति दुश्मनी है बापू के साथ में ।

ड़ॉ. #सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि संत #आसाराम जी #बापू ने जो आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों का धर्मांतरण धंधा बंद किया और उन गरीब आदिवासियों को अपने हिंदू संस्कृति का महत्व बताया उनके लिए भजन-भोजन-दक्षिणा की व्यवस्था की, उनका जीवन उपयोगी वस्तुओं द्वारा भरण पोषण किया इसलिये उनको षड़यंत्र करके जेल भेजा गया ।

जिन संत ने 50 साल अपने जीवन के हिन्दू संस्कृति की रक्षा में लगा दिए, जिनकी हजारों नहीं,लाखों नहीं करोड़ों पढ़ी-लिखी महिलाये अनुयायी हैं , जिन पर 3 साल से छेड़छाड़ का आरोप तक सिद्ध नहीं हो पाया है क्या वो संत एक नर्स के साथ हल्की भाषा में बात कर सकते हैं ?

एक झूठ अगर चिल्ला चिल्लाकर सौ बार बताया जाए तो वो सच लगने लगता है ,
ठीक इसी प्रकार मीडिया ने एक मानसिक तकनीक से समाज को गुमराह किया है ।

लगातार तीन साल से झूठे ट्रायल चलाकर और झूठी कहानियां बनाकर मीडिया ने समाज को सिर्फ गुमराह किया पर कभी किसी भी आरोप को साबित करके नही बताया ?

क्योंकि जब कोई सबूत कोर्ट के पास ही नहीं है तो #मीडिया के पास कहाँ से होंगा ?
पर 80 वर्षीय हिंदू संत आसारामजी बापू को पिछले 3 साल से सिर्फ बदनाम किये जा रही है ।

आज 80 साल के हमारे घर में दादा,परदादा के लिए हम ऐसा सोच भी सकते हैं पर जिनके सत्संग मात्र से आज हजारों युवा #युवतियों ने संसार छोड़कर संन्यास का जीवन अपना लिया उन संत के लिए कुछ भी सोच सकते हैं,बोल सकते हैं !
क्यों ???
क्योंकि वो जेल में हैं इसलिए !!!

भारतीय कानून व्यवस्था के लिए ये शर्मनाक बात है कि वो न निर्दोष संतो को रिहा कर रही है और न ही मीडिया पर लगाम लगा रही है ।

आज ट्वीटर पर भी लाखों लोगों ने मीडिया की ऐसी तोछड़ी हरकत के खिलाफ ट्रेंड चलाया #MediaIsAntiHindu जो टॉप पर बना रहा ।

आज हिंदुओं को समझने की जरुरत है कि जो मीडिया जनता में आतंक फैलाने वाले शहाबुद्दीन के खिलाफ एक शब्द नही बोलती वो हिन्दू संतो पर टिपण्णी करने से पीछे नही हटती !!

इसका कारण हिंदुओं की निष्क्रियता है । किसी मुसलमान के मौलवी के लिए क्यों एक शब्द नही बोल सकती मीडिया ???

अब भी समझ जाओ और हिन्दू संतो को इंसाफ दिलाने के लिए एकजुट हो जाओ ।
जागो हिन्दू!!!
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