17 सितंबर : विश्वकर्मा पूजा दिवस
बृहस्पते भगिनी भुवना ब्रह्मवादिनी।#प्रभासस्य तस्य भार्या# बसूनामष्टमस्य च।'विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापतिः।। 16।।
महर्षि अंगिरा के# ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की# बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि #प्रभास की पत्नी बनी और उससे संपूर्ण #शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति #विश्वकर्मा का जन्म #हुआ। पुराणों में कहीं योगसिद्धा, वरस्त्री नाम भी बृहस्पति की# बहन का लिखा है।
Jago Hindustani - importance-vishwakarma-puja |
कहा जाता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं, भगवान# विश्वकर्मा द्वारा निर्मित हैं। कहीं पर #भगवान विश्वकर्मा के जन्म को देवताओं और राक्षसों के बीच हुए# समुद्र मंथन से माना जाता है।
पौराणिक युग के #अस्त्र और शस्त्र, भगवान# विश्वकर्मा द्वारा ही निर्मित# हैं। #वज्र का निर्माण भी उन्होने ही किया था।
माना जाता है कि# भगवान विश्वकर्मा ने ही लंका का निर्माण किया था। पंडित #माधव ने बताया कि इसके पीछे कहानी है कि भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए #एक महल का निर्माण करने के लिए भगवान विश्वकर्मा को कहा, तो भगवान विश्वकर्मा ने सोने का महल बना दिया।
इस महल के पूजन के दौरान, भगवान शिव ने राजा रावण को आंमत्रित किया।# रावण, महल को देखकर मंत्रमुग्ध #हो गया और जब भगवान# शिव ने उससे दक्षिणा में कुछ लेने को कहा, तो उसने महल ही मांग लिया। भगवान# शिव ने उसे महल दे दिया और वापस पर्वतों पर चले गए।
इसी प्रकार, #भगवान विश्वकर्मा की एक कहानी और है- महाभारत में पांडव जहां रहते थे, उस स्थान को# इंद्रप्रस्थ# के नाम से जाना जाता था। इसका निर्माण भी विश्वकर्मा ने किया था। कौरव वंश के #हस्तिनापुर और भगवान कृष्ण के द्वारका का# निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था।
#वास्तुशास्त्र के जनक विश्वकर्मा एक #अद्वितीय शिल्पी# थे। अपने ज्ञान और बुद्धि के बल पर इन्होंने इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी, पुष्पक विमान, कर्ण का कुडल, विष्णु जी का चक्र, शंकर जी का त्रिशूल, यमराज का कालदण्ड आदि सभी देवों के भवनों का #निर्माण किया।
हमारी भारतीय संस्कृति के अंतर्गत भी #शिल्प संकायो, कारखानो, उधोगों में भगवान विश्वकर्मा की महता को प्रगट करते हुए प्रत्येक वर्ग# 17 सितम्बर को श्रम दिवस के रुप #मे मनाते हैं। यह उत्पादन-वृद्धि और राष्ट्रीय समृध्दि के लिए# एक संकल्प दिवस है#। यह# जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान नारे को भी श्रम दिवस का संकल्प समाहित किये हुऐ# है।
इस दिन# औद्योगिक क्षेत्रों, फैक्ट्रियों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर, कम्प्यूटर सेन्टर, हार्डवेयर दुकानें आदि में विश्वकर्मा भगवान की विधिवत# पूजा की जाती है।
इस शुभ अवसर पर मशीनों, औजारों की सफाई एवं रंगरोगन किया जाता है। #अधिकतर 17 सितम्बर को कारखाने #बंद रहते हैं और लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान #विश्वकर्मा की पूजा करते है।
विश्वकर्मा #पूजन विधि
विश्वकर्मा पूजा के #लिए व्यक्ति को प्रातः #स्नान आदि करने के बाद अपनी पत्नी के साथ पूजा करना चाहिए। पत्नी सहित यज्ञ के लिए पूजा स्थान पर बैठें। हाथ में फूल, अक्षत लेकर भगवान #विश्वकर्मा का नाम लेते हुए# घर में अक्षत छिड़कना चाहिए। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि का प्रयोग करना चाहिए। पूजा स्थान पर कलश में जल तथा विश्वकर्मा की मूर्ति# स्थापित करनी चाहिए।
औजारों की पूजा !!
विश्वकर्मा प्रतिमा पर फूल चढ़ाने के बाद सभी औजारों को# तिलक लगाकर पूजा करनी चाहिए।
अंत में हवन कर सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करना चाहिए। विश्वकर्मा पूजा के समय इस# मंत्र का जाप# करके अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करनी चाहिए
#''ऊॅ श्री श्रीष्टिनतया सर्वसिधहया विश्वकरमाया नमो नमः'' ।#
#''ऊॅ श्री श्रीष्टिनतया सर्वसिधहया विश्वकरमाया नमो नमः'' ।#
विश्वकर्मा पूजा विधिवत करने से #जातक के घर में# धन-धान्य तथा सुख-समृद्धि की कभी कोई कमी नही रहती है। भगवान #विश्वकर्मा के प्रसन्न होने से व्यक्ति के व्यवसाय में वृद्धि होती है तथा इच्छित #मनोकामना पूरी होती है।
विश्वकर्मा के बारें में# यह भी जानें...
1. #हम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का# अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से ही विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित रहें है।
2. हमारे धर्मशास्त्रों और ग्रथों में विश्वकर्मा के पांच स्वरुपों और अवतारों का वर्णन है । #विराट विश्वकर्मा, धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरावंशी विश्वकर्मा, सुधन्वा विश्वकर्मा और #भृंगुवंशी विश्वकर्मा।
सबसे बडे #पुत्र मनु ऋषि
भगवान #विश्वकर्मा के सबसे बड़े पुत्र मनु ऋषि थे । इनका #विवाह अंगिरा ऋषि की कन्या कंचना के साथ हुआ था। इन्होने मानव सृष्टि का निर्माण # किया है। आपके कुल में अग्निगर्भ, सर्वतोमुख, ब्रम्ह आदि ऋषि #उत्पन्न हुये है।
विश्वकर्मा #वैदिक देवता के रूप में मान्य व पूजनीय हैं। प्रारम्भिक काल से ही विश्वकर्मा के प्रति# सम्मान का भाव रहा है। विश्वकर्मा को गृहस्थी के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माता और प्रवर्तक माना गया है।
#विष्णुपुराण में विश्वकर्मा को देवताओं का देव बढ़ई कहा गया है तथा #शिल्पावतार के रूप में सम्मान योग्य बताया गया है। #स्कंदपुराण में उन्हें देवताओं का सृष्टा कहा गया है। विश्वकर्मा #शिल्प के इतने ज्ञाता थे कि जल पर चल सकने योग्य #खड़ाऊ तैयार करने में सक्षम थे।
#विश्वकर्माप्रकाश'' विश्वकर्मा के विचारों का# जीवंत ग्रंथ है। विश्वकर्माप्रकाश ग्रन्थ को #वास्तुतंत्र भी कहा जाता है। इसमें मानव और देववास्तु विद्या को #गणित के कई सूत्रों का वर्णन मिलता है।
विवाहदिषु यज्ञषु गृहारामविधायके।सर्वकर्मसु संपूज्यो विशवकर्मा इति श्रुतम।।#
स्पष्ट है कि विश्वकर्मा पूजा जन कल्याणकारी है।
अतएव प्रत्येक प्राणी सृष्टिकर्ता,# #शिल्प कलाधिपति, तकनीकी और विज्ञान के जनक भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा-अर्चना अपनी व राष्ट्रीय उन्नति के लिए# अवश्य करें !
अतएव प्रत्येक प्राणी सृष्टिकर्ता,# #शिल्प कलाधिपति, तकनीकी और विज्ञान के जनक भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा-अर्चना अपनी व राष्ट्रीय उन्नति के लिए# अवश्य करें !
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