ये क्या हो रहा है #न्यायालय में?
#जोधपुर में चिंकारा शिकार मामले में #बॉलीवुड अभिनेता #सलमान_खान को #सेशन_कोर्ट से 2006 में पांच साल की और एक साल की कैद की सजा मिली थी परंतु #हाई_कोर्ट #न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने सलमान खान को सभी आरोपों से बरी कर दिया । विपक्ष के वकील महिपाल बिश्नोई ने कहा कि 'हम यह जानना चाहते हैं कि चिंकारा मरा कैसे ? हम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं । हम सर्वोच्च अदालत में इसे चुनौती देंगे ।'
#चिंकारा_शिकार मामले में सबसे महत्वपूर्ण गवाह हरीश दुलानी हैं, जो शिकार के समय सलमान की जिप्सी चला रहे थे । वो 17 साल से गायब हैं ।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के नये आंकड़ों के मुताबिक, #देश में विभिन्न किस्म की कुल 1,387 जेलें हैं. जेलों की #क्षमता के हिसाब से इनमें एक समय में तकरीबन साढ़े तीन लाख (3,56,569) कैदियों को रखा जा सकता है, लेकिन फिलहाल इन जेलों में कैदियों की संख्या 4,11,992 है जिनमें से 67.6% यानी 2,78,508 कैदी विचाराधीन हैं। विचाराधीन कैदी #पुलिस-वकील #षडयंत्र में उलझकर पूरी जिंदगी जेलों में बिता देते हैं। हमलोग पिंजरों में बंद जानवरों को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन जो इंसान बेवजह जेल में बंद है उसे भुला देते है।
विचाराधीन कैदी का मूकदर्द समझते हुए एक कवि ने लिखा है -
हमने न हाय जाना, सुख-चैन क्या ख़ुशी क्या ।
है रात उम्रभर की, मेरी ज़िंदगी क्या ।
दिल पूछता है मेरा, है कौन ये लुटेरा ।
ये कैसा न्याय तेरा, दीपक तले अँधेरा ।
#सरकार के खुद के अनुमान के मुताबिक #देश में विचाराधीन कैदी जिस अपराध में #जेल में बंद किए गए हैं, यदि उनको सजा सुनाई जाती, तो उस सजा से अधिक समय वे जेल में काट चुके हैं। यह देश के #कानून के खिलाफ है। विचाराधीन #कैदियों के मामले में भारत दुनिया के दस बदतर देशों में शामिल है। #एमनेस्टी इंटरनेशनल आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय जेलों में 2.54 लाख से ज्यादा विचाराधीन कैदी बंद हैं, जो कुल कैदियों का 66.2 फीसद है। इनमें 46 फीसद कैदी 18 से 30 वर्ष के आयु वर्ग के हैं। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन का कहना था कि जेलें सज़ायाफ़्ता कैदियों के लिए हैं ना कि विचाराधीन बंदियों के लिए ।
हमने न हाय जाना, सुख-चैन क्या ख़ुशी क्या ।
है रात उम्रभर की, मेरी ज़िंदगी क्या ।
दिल पूछता है मेरा, है कौन ये लुटेरा ।
ये कैसा न्याय तेरा, दीपक तले अँधेरा ।
#सरकार के खुद के अनुमान के मुताबिक #देश में विचाराधीन कैदी जिस अपराध में #जेल में बंद किए गए हैं, यदि उनको सजा सुनाई जाती, तो उस सजा से अधिक समय वे जेल में काट चुके हैं। यह देश के #कानून के खिलाफ है। विचाराधीन #कैदियों के मामले में भारत दुनिया के दस बदतर देशों में शामिल है। #एमनेस्टी इंटरनेशनल आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय जेलों में 2.54 लाख से ज्यादा विचाराधीन कैदी बंद हैं, जो कुल कैदियों का 66.2 फीसद है। इनमें 46 फीसद कैदी 18 से 30 वर्ष के आयु वर्ग के हैं। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन का कहना था कि जेलें सज़ायाफ़्ता कैदियों के लिए हैं ना कि विचाराधीन बंदियों के लिए ।
सुप्रीम कोर्ट में लगभग 84 हजार केस लंबित हैं,अकेले हाईकोर्ट में 38 लाख केस पेंडिग में हैं, तो वहीं निचली अदालतों में लगभग 3,07,05,153 केस आज भी लंबित पड़े हैं। न्यायपालिका की सुस्त कार्यशैली एवं इसमें बढ़ते भ्रष्टाचार आदालतों की छवि को धूमिल कर रहे।
#अदालत द्वारा आय से अधिक संपति के मामले में #जयललिता व हिट एंड रन मामले में सलमान को जमानत व बरी किये जाने के बारे मे पूर्व #न्यायाधीश संतोष हेगड़े ने कहा था ''#तमिलनाडु की #मुख्यमंत्री जयललिता और #बॉलीवुड स्टार सलमान खान से जुड़े घटनाक्रमों से #न्यायपालिका की छवि खराब हुई है ।''
जोधपुर में चिंकारा शिकार मामले में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को बरी करनेवाली जज निर्मलजीत कौर वही जज साहिबा है जो 3 वर्ष से जेल में बंद 79 वर्षीय संत #आसारामजी_बापू के लड़खड़ाते स्वास्थ्य के बावजूद व्हील चेयर में आ गए है फिर भी जमानत नहीं दे रही है ।
जोधपुर केस में लड़की का #मेडिकल करनेवाली डॉ शैलजा वर्मा के अनुसार, ''मेडिकल के दौरान लड़की के शरीर पर रत्तीभर खरोंच के निशान नहीं थे और न ही प्रतिरोध के कोई निशान थे ।'' कोई ठोस सबूत नहीं फिर उन्हें जमानत तक नहीं दिया जा रहा है । कई न्यायाविदों ने संत आशारामजी बापू केस का अध्ययन कर कहा है कि केस बोगस है इसे तो तुरंत रद्द होना चाहिए ।
8 साल बाद एनआईए द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बाद भी #कैंसर से पीड़ित #साध्वी_प्रज्ञा को न्यायालय द्वारा जमानत नहीं दिया गया ।
सलमान खान दोषी होने पर भी 3 घंटे में जमानत मिल जाती है, कुछ दिन बाद केस से बरी हो जाते है तो #हिन्दू_संत बिना सबूत के भयंकर बीमारी के बावजूद भी जेल में रहने के लिए मजबूर है । इस तरह के फैसले होने पर जनता में न्यायापालिका पर अविश्वास होने लगता है ।
ये क्या हो रहा है न्यायालय में ?
एक #कोर्ट दोषी मानता है और एक कोर्ट बरी करता है और एक निर्दोष को सालों भर जेल में रहने के लिए मजबूर करता है ? जनमानस को समझ में नहीं आ रहा है ? कहीं-कहीं गड़बड़ तो जरूर है ? क्या लगता है देश में सब ठीक हो रहा है ? क्या लोकतंत्र के चारों स्तम्भ (कार्यपालिका, विधायिका, न्याया पालिका व मीडिया) बिलकुल ठीक है ? सभी गलत भी नहीं हो सकते है लेकिन कुछ गलत तो है । इसे कौन ठीक करेगा ? हमलोगों को ही इसके लिए प्रयास करना होगा । नहीं तो इसका शिकार हम,आप या आपके परिवार व संबंधी में कोई भी हो सकता है फिर आप भी कोर्ट या जेल का चक्कर काटते नजर आते रहेंगे ? इसलिए सावधान रहिये, और देश को तोड़ने की गहरी साजिश का फर्दाफाश किजिए ।
सरकार और न्यायपालिका को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए की हमारे विचारधीन निर्दोष कैदी और निर्दोष संतों को शीघ्र जमानत मिले ।
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