Thursday, July 28, 2016

Beware Of China And Chinese Items

🚩सावधान #भारवासियों - #चीन धोखेबाज था, है और आगे भी रहेगा !
🚩#चीन और #भारत के बीच एक लंबी सीमा है जो #नेपाल, भगूटान, बर्मा एवं #पश्चिमी_पाकिस्तान तक फैली है। इस सीमा पर कई विवादित क्षेत्र अवस्थित हैं। भारत और चीन दोनों ने ही अपने सीमा विवाद वार्ता के माध्यम से सुलझाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और इन वार्ताओं के छ: दौर सम्पन्न हो चुके हैं। लेकिन आजतक कोई सामाधान नहीं निकल पाया है । चीन अक्साई चिन और काराकोरम क्षेत्र में भारत की ज़मीन हड़पी हुई है तथा अरूणाचल पर वह अलग से दावा जताता है। भारत के पूर्व विदेश मंत्री #प्रणब_मुखर्जी के एक बयान के अनुसार चीन भारत की 90,000 वर्ग किमी भूमि पर कब्जा जताता है। 
🚩अक्साई चिन में चीन पहले से ही भारत की 38 हज़ार वर्ग कि.मी. भूमि पर कब्जा किये हुए है और #पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से हड़पे गए कश्मीर से भी 5180 वर्ग कि.मी. भूमि वह 'उपहार में' ले चुका है। 
Jago Hindustani - Boycott China

🚩उत्तसर में काकोरम के पास से शुरू होने वाली 826 किलोमीटर लम्बीम लाइन ऑफ एक्चु'अल कंट्रोल (#LAC) भारत-#चीन के बीच की सीमा है। हाल ही में संकेत मिले थे कि चीन युद्ध की स्थिति में इस क्षेत्र में #80,000 #जवान भेज सकता है।  
🚩#दक्षिण_चीन सागर में भारत को बैकफुट पर लाने के पीओके पर पाकिस्तान के साथी चीन की संयुक्त पेट्रोलिंग का मंशा यही है कि चीन अपने नियंत्रण पीओके मे बढ़ाकर भारत को चारो तरफ से घेरा जाय । कभी जम्मू-कश्मीर, कभी अरुणाचल प्रदेश तो कभी #उत्तराखंड की सीमा में चीनी सैनिक को प्रवेश करा विश्वासघाती पड़ोसी होने का परिचय चीन लगातार देता रहा है ।
🚩आए दिन #चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच गोलीबारी, भारतीय सीमा में घुसपैठ की ख़बरें सुनने में आती है । ऐसे में यदि आने वाले दिनों में चीन अचानक भारत पर हमला कर देता है तो यह सबके लिए बेहद चौंकाने वाली घटना होगी.
🚩ऐसा ही कुछ 1962 में भी हुआ । उस वक्त भी हालात कमोबेश आज जैसे ही थे । सीमा पर जो क्षेत्र तब विवादास्पद थे वे आज भी वैसे ही हैं । तब भी कुछ सैन्य विशेषज्ञ चीन से संभावित खतरों के लिए चेतावनी दे रहे थे, जिन्हें तब भी नजरअंदाज किया जा रहा था । #राजनीतिक यात्राएं और वार्ताएं तब भी जारी थीं । बल्कि उस दौर में तो 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' जैसे नारे भी खूब गूंजा करते थे. लेकिन तभी चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया । इस युद्ध का अंत भी इसकी शुरुआत की ही तरह एक रहस्य था । लेकिन इस #युद्ध के बारे में यह जरूर कहा जा सकता है कि इतने सुनियोजित आक्रमण के पीछे कई साल का अभ्यास रहा होगा । 
🚩इसके लिए भारत को अपनी सैन्य और आर्थिक शक्ति को इतना मजबूत करना होगा कि भविष्य में चीन से किसी भी प्रकार के खतरे से सफलतापूर्वक निपटा जाय और अविजेय बना जाय । इस स्थिति को प्राप्त करने तक भारत को अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा अकाटय बनाने के साथ कूटनीतिक, व्यवसायिक तरीके से चीन को घेरना होगा । 
🚩#एनएसजी पर भारत का खुला विरोध करके चीन ने साबित कर दिया कि भारतबीचाहे जितनी कोशिश या मान-मनुहार कर ले, जितनी खातिरदारी करनी हो कर ले, या चीन की #कंपनियों को चाहे निवेश के लिए चाहे जितना प्रोत्साहन देना हो दे दे, मगर चीन अपने ‘भारत विरोधी’ परंपरागत नीति पर कायम ही रहेगा। 
🚩जनाब हम तो सदा चोर यानी धोखेबाज़ ही थे, आपने हमें वफ़ादार समझ लिया तो यह आपकी नादानी। हम चीन के नेता हैं, जो दिमाग़ से काम लेते हैं, भारत के नेता नहीं, जो दिल की सुनते हैं।
🚩क़ानून मंत्री डॉ. #भीमराव_अंबेडकर ने संसद में अपने भाषण के दौरान नेहरू को बार-बार आगाह किया था कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता । अंबेडकर ने चीन के भविष्य के रवैए पर भी कई प्रश्न उठाए थे और पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को ख़तरनाक पड़ोसी क़रार दिया था। 
🚩पूर्व रक्षामंत्री #जार्ज_फर्नांडिस ने भी कहा था कि भारत को पाकिस्तान के मुक़ाबले चीन से ज़्यादा ख़तरा है। चीन पर बिलकुल भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि 1949 में तिब्बत को अपने क़ब्ज़े में लेने और 13 साल बाद भारत के बड़े भू-भाग पर क़ब्ज़ा करने वाला यह देश भारत की तरक़्क़ी कभी देख ही नहीं सकता। भारत का _अमेरिका, _रूस, _फ्रांस, _ईरान आदि देशों से बढ़ती दोस्ती चीन को रास नहीं आ रहा है। इसलिए वह पडोसी पाकिस्तान को शह देने लगा है । 
🚩चीन पिछले दो साल में 956 अमेरिकी मिलियन डॉलर यानी क़रीब 65 अरब रुपये का निवेश करके भारत में निवेश के मामले में दसवें नंबर पर पहुंच गया है। इसमें दो राय नहीं कि भारत अमेरिका के साथ-साथ चीन के लिए भी बहुत बड़ा बाज़ार है। चीन में बने माल से पूरा बाज़ार भरा पड़ा है, क्योंकि चीनी कंपनियों के माल भारत में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। अगर हर भारतवासी तय कर ले कि चीन में बना कोई माल नहीं ख़रीदेगा तब इससे चीन के निर्यात पर व्यापक जरूर असर पड़ सकता है । तो हमलोग आज से देश की रक्षा के लिए प्रण लें कि चीन के समान का बहिष्कार करेंगे और देश को तकनीक या अन्य कोई भी क्षेत्र में इतने विकसित करें कि गद्दार देशों की किसी भी क्षेत्र में मदद लेने की आवश्यकता ही न पड़े ? 
🚩चीन की इस नीति को देशवासियों को ही समझनी पड़ेगी । उन्होंने यह तय करना होगा कि विश्वासघाती चीन का उत्पाद खरीदकर उसको और मजबूत करें या देश को आत्मनिर्भर बनाने में विभिन्न तकनीक को और विकसित करे और जरूरत से ज्यादा विदेशी कम्पनियों की वस्तुओं का इस्तेमाल भी न करें । कुछ सावधानी रखें तो जैसे सैनिक सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए जान देने को तैयार रहते है वैसे ही हमलोग भी देश के नागरिक होने के नाते अपना कर्तव्य निभाये तो देश सुरक्षित रहेगा वरना हमारे यहाँ अरबों-खरबों का मुनाफा कमाकर हमारे पैसे से हम पर ही चीन गोले-बम भी बरसा सकता है । अब आप ही विचार किजिए आपको क्या पसंद है ?
🚩जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय हिन्दुस्तान
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