Sunday, July 31, 2016

क्या केंद्र सरकार को पुरे भारत में गौ हत्या की बंदिश के लिए क़ानून बनाना चाहिए

🚩तो क्या #हिन्दू बहूल #देश में ऐसी ही #गाय कटती रहेगी ? कब और कौन बनायेगा #गौरक्षा_कानून ?
🚩#हिमाचल_प्रदेश में #गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब #हाई_कोर्ट ने #केंद्र_सरकार को आदेश जारी कर कहा है कि गोहत्या रोकने के लिए 6 महीने के भीतर कानून बनाया जाए। हिमाचल प्रदेश उच्च #न्यायालय ने कहा है कि गोहत्या रोकने, #गो_मांस और इससे बने #उत्पादों के आयात, #निर्यात या बिक्री पर रोक के लिए #राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी #कानून #केन्द्र की ओर से बनाया जाना चाहिए।

🚩अक्टूबर 2014 को पारित आदेशों में भी #न्यायाधीश राजीव शर्मा न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने #केंद्र #सरकार से कहा था कि वह इस बारे में #संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए कानून बनाने पर विचार करे। परंतु केंद्र सरकार ने गौहत्या पर कानून बनाने से पल्ला झाड़ दिया । गौहत्या को रोकने के लिए #देशव्यापी कानून नहीं बनाया । 
🚩‘गाय हत्या रोकने का कानून #राज्यों का है और #राज्य ही इसे अमल में ला सकते हैं’ की आड़ में रहकर अपना दोष राज्यों के ऊपर मढ़ दिया। प्रश्न उठता है कि राज्य देश से परे हैं क्या ? #भारत के #राज्य क्या भारत के #संसद के निर्णय से मुकर सकते हैं ? 
🚩12 वर्ष पूर्व #अटल_बिहारी वाजपेयी जी ने सभी दलों से गौहत्या बंदी पर सहमति बनाने की कोशिश की थी तो सहयोगी #पार्टी के #नेताओं ने बहुसंख्यक हिन्दूओं के वोट से जीतने पर भी हिन्दू की भावना का कद्र करना जरूरी नहीं समझा ।
🚩#पी.ए. संगमा ने कहा था –गौमांस का भक्षण तो हम बचपन से करते आ रहे हैं, यह वैसे बंद किया जा सकता है ? 
🚩#ममता_बनर्जी ने कहा था –गौमांस खाना तो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
🚩चन्द्रबाबू नायडु ने कहा था हमारे प्रदेश में #मुस्लिम #जनसंख्या अधिक है इस कारण गौहत्या बंदी नहीं हो सकता।
🚩अटलजी छह वर्षों तक राज किये, गोवध नहीं रोका? सांसदों को मना नहीं सके तो बहाना बना दिया कि पशुधन पर #कानून केवल #राज्य बना सकते हैं। केंद्र #देश के संघीय ढांचे से छेड़छाड़ नहीं कर सकता  । संविधान में यह विषय केवल राज्य – सूची में है । प्रश्न उठता है कि फिर क्यों नहीं बदला जा रहा है ऐसे संविधान को ?
🚩1947 से जो भी लोग सत्ता में आते रहे हैं सत्ता मिलते ही गाय के प्रति कर्तव्य निभाना भूल जाते हैं । #आजादी के पहले पंडित #जवाहरलाल_नेहरू ने कहा था कि आजादी मिलने के बाद पहला कानून #गौहत्या_बंदी का बनेगा। #प्रधानमंत्री बनने के बाद #संसद में बोले कि किसी भी किसी भी कीमत पर गौहत्या बंदी नहीं हो सकता। यदि मजबूर किया गया तो वे #त्यागपत्र दे देंगे। क्योंकि वे जानते थे कि उनके चमचे जो उन दिनों संसद में थे वे ऐसा कभी नहीं होने देंगे।
🚩इस संदर्भ में वर्ष 1947 के बाद की स्थिति का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि गाय की रक्षा के प्रति अभी तक की कोई भी सरकार ईमानदार नहीं रही है। #मनमोहन_सिंह सरकार के योजना आयोग ने बारहवीं #पंचवर्षीय_योजना में #बूचड़खानों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि का लक्ष्य तय किया गया था। मोंटेक सिंह अहलूवालिया पशु कत्लगाहों के आधुनिकीकरण के लिए अरबों रुपए की राशि आबंटित कर चुके थे। लाइसेंस में भी बढ़ोतरी का आदेश दिया था।
🚩#योजना_आयोग के ताजा आंकड़े के अनुसार भारत में गायों की संख्या 1947 में एक अरब इक्कीस करोड़ थी, जो घट कर आज केवल दस करोड़ रह गई है। विश्व #खाद्य एवं #कृषि संगठन की चेतावनी पर भारत को गौर करना होगा,जिसने कहा है कि अगर गोधन का संवर्धन नहीं हुआ, तो #पांच_वर्ष बाद #भारत में #दूध का संकट विकराल हो जाएगा । वर्तमान की #भाजपा सरकार से लोगों को तो इतनी उम्मीद थी कि #सरकार बनते ही गौहत्या बंद कानून पूरे देश में बना दिया जायेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं । वर्तमान में जो #गौवंश का दोहन हो रहा है वह तो गौप्रेमी को और आहत करनेवाला है ।
🚩पिछले साल भर में भारत से गोमांस का निर्यात पंद्रह प्रतिशत बढ़ा है। राजग सरकार की मंत्री मनेका गांधी के अनुसार अकेले बंगला देश को सोलह हजार टन गोमांस बेचा जा चुका है।
🚩#विश्व_हिंदू_परिषद के #प्रवीण_तोगड़िया के अनुसार देश में सर्वाधिक गोमांस #उत्पादन #गुजरात में हुआ है। एक ओर सरकार कह रही है कि गोमांस निर्यात नहीं हो रहा है तो दूसरी ओर जो देश गोमांस खरीद रहे हैं वे कह रहे हैं कि उनके देश में गोमांस की आपूर्ति भारत कर रहा है। फिर इतना बड़ा झूठ क्यों बोला जा रहा है ?
🚩#विदेशी #शासकों ने #भारतीयों को अपमानित करने के लिए गो-मांस को बढ़ावा दिया। #अंग्रेजों की #कूटनीति ने गो-हत्या और गो-मांस को #मुस्लिमों और #ईसाइयों के महजब से जोड़ दिया जबकि कुरान या #बाइबल में कहीं भी गो-हत्या करने या गो-मांस खाने का आदेश नहीं दिया गया।
🚩अंग्रेजो ने मुस्लिमों को गो-हत्या के काम में नियुक्त कर अपनी सेना के लिए गो-मांस का प्रबंध भी कर लिया और #हिंदुओं व मुस्लिमों के बीच बैर के बीज भी बो दिए। उसी नीति के अंतर्गत आज भी कुछ #छात्रों, #चर्च समर्थक सामाजिक कार्यकर्ताओं और #राजनीतिक आग्रहों से प्रेरित होकर गो-मांस उत्सव का आयोजन कर #धार्मिक आधार पर लोगों को बाँटने का कार्य किया जा रहा है । इसमें #योजनाबद्ध तरीके से दलित छात्रों, मुस्लिमों को उकसाया जा रहा है ।
🚩#वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गाय में जितनी #सकारात्मक #ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं। गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित #सूर्यकेतु_स्नायु हानिकारक विकिरण को रोककर #वातावरण को #स्वच्छ बनाते हैं। यह #पर्यावरण के लिए लाभदायक है। गाय की #रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु #नाड़ी #सर्वरोगनाशक,  #सर्वविषनाशक होती है।
🚩#पश्चिमी_वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि #गौमूत्र में #कार्बोलिक #एसिड होने के कारण #कीटनाशक होता है। #मेलबर्न_विश्वविद्यालय के #वैज्ञानिक #मैरिट_क्राम्स्की द्वारा हुए #शोध से निष्कर्ष निकला कि गाय के दूध को मिलाकर बने क्रीम से #एचआइवी से बचाव होता है। आज #विश्व के सबसे बड़े #मुस्लिम_राष्ट्र #इंडोनेशिया के बाली द्वीप में लंबू नामक #सफेद_गाय की #पूजा-अर्चना की जाती है। उसका दाह-#संस्कार भी किया जाता है। तो क्या हिन्दू बहूल देश में ऐसी ही गाय कटती रहेगी ?#न्यायपालिका भी चाहती है गाय की रक्षा हो तो आप क्या चाहते हो ! 
🚩यदि आप हिन्दू हो तो #महात्मा_गांधीजी के इस विचार को पढ़िये उन्होंने कहा था कि ‘जो गाय बचाने के लिए तैयार नहीं है, उसके लिए अपने प्राणों की आहुति नहीं दे सकता, वह हिंदू नहीं है।’ जरा सोचिये हिन्दू गाय की रक्षा नहीं करेगा तो कौन करेगा, #गौमाता किस पर आशा व #विश्वास रखेगी?
🚩अब केंद्र सरकार को जल्द से जल्द गौ हत्या पर #कानून बनाना चाहिए यही #हिन्दुस्तनियों की #मांग है ।
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Saturday, July 30, 2016

सावधान ! नहीं तो हो सकता है कि कल आप भी इसके चंगुल में आ जायें

🚩सावधान ! नहीं तो हो सकता है कि कल आप भी इसके चंगुल में आ जायें
🚩#बलात्कार शब्द सुनते ही न चाहकर भी बरबस इस ओर ध्यान खिंच जाता है । वैसे तो वर्तमान समाज में बहुत सारी समस्याएँ फैली हुई हैं लेकिन दामिनी कांड के बाद देश में बलात्कार की शिकायतों (#कम्प्लेंट्स) में हुई वृद्धि चौंकानेवाली है । यह सोचने का विषय है कि बलात्कार की शिकायतों में अचानक इतना इजाफा क्यों हो गया है? क्या नये कानून बनने के बाद #नारियों में जागरूकता आयी है या इसका कारण कुछ और है ? इसका गलत फायदा उठाकर कहीं निर्दोषों को फँसाया तो नहीं जा रहा है ?
Jago Hindustani - Fake Rape Cases

🚩#दिल्ली में बीते छह महीनों में 45 फीसदी ऐसे मामले अदालत में आएं जिनमें महिलाएँ हकीकत में पीड़िता नहीं थीं, बल्कि छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होने या फिर पुरुषों द्वारा माँगें पूरी न होने पर बलात्कार का केस दर्ज कराया गया था । द्वारका अदालत ने ऐसे बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है और साथ ही पुलिस से कहा कि वह निष्पक्ष रूप से मामले की जाँच करने के बाद ही मुकदमा दर्ज करे।
🚩#दिल्ली_महिला_कमीशन के आँकड़ों के अनुसार इनमें से 53.2% मामले झूठे हैं ! जी हाँ, अप्रैल 2013 से जुलाई 2014के बीच दिल्ली में #रेप के 2753 मामले दर्ज हुए जिनमें से 1464 मामले झूठे थे । #एनसीआरबी की #रिपोर्ट के अनुसार2011 से 2013 के बीच #आईपीसी की धारा 498A का दुरूपयोग करते हुए,पुरुषों पर 31,292 झूठे मामले दर्ज हुए हैं । इनमें वैवाहिक हिंसा और रेप के आरोप शामिल हैं । छानबीन करने पता चला कि महिला ने प्रतिशोध लेने के लिए झूठा केस किया था ।
🚩छह जिला अदालतों के रिकॉर्ड से ये बात सामने आई है कि बलात्कार के 70 फीसदी मामले अदालतों में साबित ही नहीं हो पाते हैं जबकि 45 फीसदी मामले ऐसे हैं जिनमें मुकदमा दर्ज करानेवाले युवती अथवा महिला घटना के कुछ दिन के भीतर ही गुस्सा शांत होने पर आरोपी को बचाने अदालत पहुँच जाती हैं । इतना ही नहीं वह मानती हैं कि उनका व आरोपी के बीच प्रेम संबंध हैं और उन्हें प्रेमी द्वारा फोन बंद रखने, #शादी की तारीख आगे बढ़ाने या युवक के परिवार द्वारा धमकाए जाने पर गुस्सा आ गया था इसलिए उन्होंने बदला लेने के मकसद से मामला दर्ज कराया था और अब वह अपनी गलती सुधारना चाहती है ।
🚩अब ये सोचिये, जिस #पुरुष पर झूठा केस किया जाता है, उसका जीवन कितना अस्त-व्यस्त हो जाता होगा, समाज में अपमानित होने से ले कर काम-रोज़गार पर कितना असर होता होगा ? यह तो भुक्तभोगी सदस्य व उसका परिवार ही समझ सकता है । एक बार ऐसा आरोप आप पर लग जाए तो चाहे आप दोषमुक्त भी क्यों न हो जाएँ, समाज सिर्फ़ आप पर लगे आरोप को याद रखेगा । रोहतक की दो बहनों का मामला तो आपको याद ही होगा । एक दिन सशक्त महिलाओं के रूप में उभरी बहनें अगले दिन ही #पब्लिसिटी की भूखी चालबाज़ निकलीं ।
🚩#कानून #लड़की से बहुत ज्यादा सत्यता साबित करने के लिए नहीं कहता है । बलात्कार के मामले में #न्यायालय और कानून हमेशा लड़की के पक्ष में होता है, लेकिन लड़की के गलत होने की स्थिति में न्यायालय और कानून भी गलत के पक्ष में चला जाता है । इसके आड़ में गलत और पेशेवर लोग आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी ब्लैकमेल कर झूठे बलात्कार आरोप लगाकर जेल में डलवा रहे है ? #कानून की जो लम्बी प्रक्रिया है, उसमें निर्दोष व्यक्ति की हालत अपराधी से भी ज्यादा बदतर हो जाती है । ऐसे पेशेवर लड़कियों से पुलिस को भी लाभ मिलता है । पुलिस के लिए अवैध कमाई का एक मामला मिल जाता है ।
🚩कठोर कानून तो बना दिया गया लेकिन बलात्कार रूक क्यों नहीं रहा ? क्योंकि समस्या का समाधान करने की कोशिश ही नहीं की गयी । सिनेमा, #अश्लील_साहित्य, समाचार पत्र-पत्रिकाओं,#अश्लील_वेबसाइटों एवं #इलेक्ट्रोनिक #मीडिया की वजह से विदेशों की तरह हमारे #देश में भी बलात्कार, हत्या जैसे दुष्कर्मों को बढ़ावा मिल रहा है । दुष्कर्म को बढ़ावा देनेवाले कारकों को रोकने की जरूरत सबसे पहले है । यदि सख्त कानून से बलात्कार की घटनाओं पर अंकुश सम्भव होता तो नये बलात्कार निरोधक कानून बनने के बाद बलात्कार की शिकायतों (कम्प्लेंट्स) में 35% की वृद्धि नहीं होती ।
🚩केवल कानून और #डंडे के जोर से सच्चा सुधार नहीं हो सकता । सच्चे और स्थायी सुधार के लिए, बलात्कार जैसे नृशंस अपराधों को रोकने के लिए संयम-शिक्षा पर बल देने की आवश्यकता है । इसके लिए संयम-शिक्षा तथा सच्चे, सात्त्विक मूल्यों को पुनस्र्थापित करना होगा । जो संत-#महापुरुष इस कार्य को देश में कर रहे थे उनपर ही #षड्यंत्रकारियों ने झूठा आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया गया इससे पता चलता है कुछ स्वार्थी #राष्ट्र-विरोधी ताकतें कानून की आड़ लेकर #भारतीय #संस्कृति को नष्ट करने की बुरी मंशा रखती हैं । #संत-महापुरुष ही समाज के प्रहरी हैं, हमें उन पर हो रहे इस आघात को रोकना होगा ।
🚩साथ ही #पॉक्सो व बलात्कार निरोधक कानूनों की खामियों को दूर करना होगा तभी समाज के साथ न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे । इसमें पुरुषों के साथ संबंधित बेशुमार महिलाएँ व बच्चे और रिश्ते-नातेदार भी पीड़ित हो रहे हैं । अतः बच्चों-महिलाओं की सुरक्षा तथा #राष्ट्रहित में कार्यरत संस्थाएँ और जागरूक जनता सजग हों और इन कानूनों में आवश्यक संशोधन की माँग हो ।
🚩यह किसी व्यक्ति-विशेष की नहीं बल्कि एक सामाजिक समस्या है । इससे समाज के सभी वर्ग प्रभावित हो रहे हैं । इस समस्या के समाधान के लिए सबको प्रयास करना होगा । नहीं तो हो सकता है कि कल आप भी इसके चंगुल में आ जायें । अतः सावधान !
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