क्यों अभी भी बापू आसाराम सलाखों के पीछे हैं ?
देश के अधिकारी तंत्र, न्यायतंत्र और कानून बनाने वाले उस देश के किसी नागरिक को सताने की अगर ठान लें, तो राई का पहाड़ बनाकर वह हमेशा सफल होते हैं ।
धर्म गुरु बापू आसारामजी की कहानी भी लगभग समान है । उनको सताना पूर्व निर्धारित था और उसके बाद एक मनगढ़ंत केस बनाया गया । एक मासूम बच्चे के समान बापू इस जाल में फसाए गए ।
धर्म गुरु बापू आसारामजी की कहानी भी लगभग समान है । उनको सताना पूर्व निर्धारित था और उसके बाद एक मनगढ़ंत केस बनाया गया । एक मासूम बच्चे के समान बापू इस जाल में फसाए गए ।
इस केस के बारे में काफी कुछ लिखा गया है । घटना का विवरण, आरोपों को सिद्ध करने के लिए पुलिस द्वारा किये गए प्रयास, बापू के बचाव के लिए राष्ट्रीय स्तर के वकीलों का आना, उनका याचिकाएं दायर करना, भक्तों के उग्र प्रदर्शन यह सब बहुत समय तक अखबारों की सुर्खियां रहीं । लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। जब भी बापूजी को न्यायलय लाया गया हर बार न्यायालय और जेल के आसपास विशाल जनसमूह इकट्ठा हुआ, अखबारों ने बापू के चित्र खूब छापे, कभी उदास और दया की सिफारिश करते हुए, कभी प्रसन्नचित्त और आत्मविश्वास से भरे कि कुछ गलत नहीं हो सकता उनके साथ ।
बापू के ऊपर एक नाबालिग लड़की के यौन शौषण का आरोप है ।
समय-समय पर विश्व में हर जगह धार्मिक संस्थाओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं ।
सरकार और राजा सारे धार्मिक संस्थानों से भ्रष्टाचार हटाने के लिए अभियान चलाये तो वह आम आदमी द्वारा सराहनीय होगा, लेकिन जब कोई पृथक व्यक्ति को निशाना बनाया जाता है और उनको सताया जाता है तो समाज इसको मंजूरी नहीं देता है । सत्तारूढ़ पार्टी और राजनैतिक ताकत बढ़ाने के लिए हमेशा एक विशेष धर्म और समुदाय का समर्थन किया है । राजनीति एक वैश्या के समान है, उसका कोई चरित्र नहीं है। राजनीतिक विचारधारा गौण हो जाती है जब सत्तारूढ़ पार्टी का नेता अपने ही पार्टी के उग्र शक्तियों को कमजोर करना चाहता हो । कीमत है बली के बकरे की ज़िन्दगी और वो बली का बकरा बापूजी हैं ।
पोक्सो एक्ट 2012 एक विस्तृत एक्ट है जो सारे पहलुओं को समविष्ट करता है। यह एक्ट 18 वर्ष से कम उम्र वालों को बच्चे की तरह परिभाषित करता है और यौन शोषण के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख करता है जैसे भेदनशील उत्पीड़न, अभेदनशील उत्पीड़न, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य । यह एक्ट उत्पीड़न को कुछ परिस्थितियों में "तीव्र" की श्रेणी में मानता है जैसे की बच्चा अगर मानसिक अस्वस्थ हो या फिर उत्पीड़न किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया हो जो बच्चे के सम्बन्ध में विश्वास के सम्बन्ध में हो जैसे परिवार का सदस्य, डॉक्टर, पुलिस या शिक्षक। " द ओल्ड मैन" में एक्ट के उल्लंघन देखिये ।
जन्म प्रमाण पत्र स्थानीय bodies के द्वारा प्रदान किया जाता है जैसे कि शहरी क्षेत्र में नगर निगम द्वारा और ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत द्वारा। क्योंकि 5 में से 2 जन्म घर पे ही होते हैं इसलिए मेडिकल सर्टिफिकेट आवश्यक नहीं होता जन्म प्रमाण पत्र पाने के लिए। पीड़ित की उम्र का पता लगाने के लिए कुछ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करना चाहिए। जन्म प्रमाण पत्र इस देश में आयु का विश्वसनीय सबूत नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार देवदासी प्रथा भारत की आंध्र प्रदेश और तेलंगाना प्रान्त में अभी भी प्रचलित है। ये और भी राज्यों मे प्रचालित हो सकता है। ये धर्म के नाम पर Priests द्वारा नाबालिक लड़कियों के शोषण की समाज द्वारा स्वीकृत प्रथा है। क्या हम उसे ख़त्म करने में सफल हो पाए हैं? क्या देश का कानून उनपर लागू होता है या उनके लिए कोई अलग नियम कायदे हैं!!
बापू ने लड़की का बलात्कार नहीं किया, चिकित्सा परीक्षण ने ये सिद्ध किया है ।
Translation in Hindi of the Article BY © Vipin Behari Goyal
Advocate, Rajasthan High Court, Jodhpur, India
Advocate, Rajasthan High Court, Jodhpur, India
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— Vipin Behari Goyal (@VipinBGoyal) September 2, 2015
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