जागो हिन्दुस्तानी
बकरी ईद : गौ पूजा का महान पर्व
जहाँ एक तरफ ईद के नाम पर गाये कत्ल की जा रही है वही दूसरी ओर आगरा में मुस्लिमों ने गाय को खिलाया चारा, कहा- कुरान में मना है गौ हत्या ।
बकर ईद ( ईद-उल-जुहा ) त्याग और गौ पूजा का महान पर्व है, जो त्याग के महिमावर्धन और गौ वंश के संरक्षण के लिए मनाया जाता है. त्याग की प्रेरणा के लिए मोहम्द पैगम्बर के महान त्याग को याद किया जाता है और गौ पूजा के लिए प्राचीन अरबी समाज की समृद्ध वैदिक संस्कृति को, बकरीद अर्थात बकर + ईद, अरबी में गाय को बकर कहा जाता है, ईद का अर्थ पूजा होता है.
जिस पवित्र दिन गाय की सेवा करके पुण्य प्राप्त किया जाना चाहिए, उस दिन ईद की कुर्बानी देने के नाम पर विश्वभर में लाखों निर्दोष बकरों, बैलों, भैसों, ऊँटों आदि पशुओं की गर्दनों पर अल्लाह के नाम पर तलवार चला दी जाएगी, वे सब बेकसूर पशु धर्म के नाम पर कत्ल कर दिए गए ।
कुर्बानी की यह प्रथा मोहम्द पैगम्बर से सम्बंधित है। मोहम्द पैगम्बर की परीक्षा लेने के लिए स्वयं अल्लाह ने उनसे त्याग - कुर्बानी चाही थी। मोहम्द पैगम्बर ज्ञानी और विवेकवान महापुरूष थे। उनमें जरा भी विषय - वासना आदि दुर्गुण नहीं थे, जब दुर्गुण ही नहीं थे तो त्यागते क्या ? अतः उन्होंने उसी का त्याग करने का निश्चय किया। मक्का के नजदीक मीना के पहाड़ पर अपने प्रिय पुत्र इस्माईल को बलि - वेदी पर चढाया था ।
त्याग के इस महान पर्व को धर्म के मर्म से अनजान स्वार्थी मनुष्यों ने आज पशु - हत्या का पर्व बना दिया है ।
लगता है कि आज के मुस्लिम समाज को भी अल्लाह पर विश्वास नहीं है तभी तो वे अपने पुत्रों की कुर्बानी नहीं देते बल्कि एक निर्दोष पशु की हत्या के दोषी बनते है। यदि बलि देनी है तो बलि विषय वासनाओं, इच्छाओं, मोह आदि दुर्गुणों की दी जानी चाहिए, निर्दोष पशुओं की नहीं। पशु हत्या के बिना भी एक पक्का मुसलमान बना जा सकता है। ईद के अवसर पर निर्दोष पशुओं की हत्या का चीत्कार क्यों ?
त्याग के इस महान पर्व को धर्म के मर्म से अनजान स्वार्थी मनुष्यों ने आज पशु - हत्या का पर्व बना दिया है ।
लगता है कि आज के मुस्लिम समाज को भी अल्लाह पर विश्वास नहीं है तभी तो वे अपने पुत्रों की कुर्बानी नहीं देते बल्कि एक निर्दोष पशु की हत्या के दोषी बनते है। यदि बलि देनी है तो बलि विषय वासनाओं, इच्छाओं, मोह आदि दुर्गुणों की दी जानी चाहिए, निर्दोष पशुओं की नहीं। पशु हत्या के बिना भी एक पक्का मुसलमान बना जा सकता है। ईद के अवसर पर निर्दोष पशुओं की हत्या का चीत्कार क्यों ?
आधुनिक बुध्दिजीवी धर्म के नाम पर पशु बलि व मांसाहार की दरिंदगी को छोड़कर स्वस्थ और सुखद शाकाहारी जीवन अपनायें ।
शाकाहार विश्व को भूखमरी से बचा सकता है। आज विश्व की तेजी से बढ़ रही जनसंख्या के सामने खाद्यान्न की बड़ी समस्या है। एक कैलोरी मांस को तैयार करने में दस कैलोरी के बराबर माँस की खपत हो जाती है। यदि सारा विश्व मांसाहार को छोड़ दे तो पृथ्वी के सीमित संसाधनों का उपयोग अच्छी प्रकार से हो सकता है और कोई भी मनुष्य भूखा नहीं रहेगा क्योंकि दस गुणा मनुष्यों को भोजन प्राप्त हो सकेंगा।
बकर ईद के अवसर पर गौ आदि पशुओं के संरक्षण का संकल्प लिया जाना चाहिए।
कुरान में लिखा है कि "गाय के दूध-घी का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह सेहत के लिए फायदेमंद है और गाय का मांस सेहत के लिए नुकसानदायक है."
कुरान में लिखा है कि "गाय के दूध-घी का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह सेहत के लिए फायदेमंद है और गाय का मांस सेहत के लिए नुकसानदायक है."
भगवान पशु - हत्यारों को सदबुध्दि प्रदान करे और वे त्याग एवं गौ पूजा के इस पवित्र पर्व बकर ईद के तत्व को समझकर शाकाहारी और सह-अस्तित्व का जीवन जीने का संकल्प लें।
बहुत चिंता होती है बिकाऊ मीडिया को देश की होली पर पानी से धुलेंडी खेलने पर लेकिन बकरीद पर अनगिनत , बेजुबानों को क़त्ल कर दिया जायेगा फिर उसके खून को साफ़ करने को करोड़ो लीटर पानी बहाया जायेगा, इन बेजुबानों की हड्डियों को इधर-उधर फेंक कर बदबू फैलाई जायेगी तो इन बेजुबानों को बचाने के लिए मीडिया चुप क्यों
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