कहाँ से आया वेलेंटाइन-डे और इसे क्यों मनाया जा रहा है! जानिए इतिहास..!!
वेलेंटाइन डे कहाँ से और कैसे शुरू हुआ इसका एक ऐसा आश्चर्यचकित इतिहास स्वर्गीय श्री #राजीव_दीक्षित जी ने विस्तृत रूप से बताया है जो आपको चकित कर देगा...!!!
आइये जानते हैं क्या बता रहे हैं श्री राजीव दीक्षित जी.!!
कहाँ से आया वेलेंटाइन-डे और इसे क्यों मनाया जा रहा है! जानिए इतिहास..!! |
श्री राजीव दीक्षित ने बताया है कि #यूरोप और #अमेरिका का #समाज जो है वो रखैलों (Kept) में विश्वास करता है पत्नियों में नहीं। यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई #पुरुष या #महिला मिले जिसकी एक ही #शादी हुई हो, ये एक दो नहीं हजारों साल की उनकी परम्परा है ।
आपने एक शब्द सुना होगा "#Live in Relationship इसका मतलब होता है कि कुछ समय तक "बिना शादी के पति-पत्नी की तरह रहना" ।
यूरोप और अमेरिका में ये परंपरा आज भी चलती है। खुद प्लेटो (एक यूरोपीय दार्शनिक) का एक #स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा, #प्लेटो ने लिखा है कि "मेरा 20-22 स्त्रियोँ से सम्बन्ध रहा है" अरस्तु भी यही कहते है, और #रूसों ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि "एक
स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता, It's Highly Impossible" ।
इन सभी महान दार्शनिकों का तो कहना है कि "स्त्री में तो #आत्मा ही नहीं होती। स्त्री तो मेज और कुर्सी के समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के नया ले आये "।
बीच-बीच में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन बातों का विरोध किया और इन रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की । उन कुछ लोगों में से एक ऐसे ही #यूरोपियन #व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल पहले पैदा हुए, उनका नाम था - #वेलेंटाइन । ये कहानी है 478 AD (after death) की, यानि ईसा की मृत्यु के बाद ।
उस वेलेंटाइन नाम के महापुरुष का कहना था कि "हम लोग (यूरोप के लोग) जो शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं जानवरों की तरह, ये अच्छा नहीं है, इससे यौन संबंधी रोग (Venereal Disease) होते हैं, इनको सुधारो, एक पति-पत्नी के साथ रहो, #विवाह कर के रहो।" वो वेलेंटाइन महाशय रोम में घूम-घूम कर यही भाषण दिया करते थे।
संयोग से वो एक चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को वो यही शिक्षा देते थे।कुछ लोगों ने उनसे पूछा कि ये वायरस आप में कहाँ से घुस गया? ये तो हमारे यूरोप में कहीं नहीं है।
तो वो कहते थे कि "आजकल मैं भारतीय संस्कृति और दर्शन का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो उत्तम है, और इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो।
तो जो लोग उनकी बात मानते थे, उनकी #शादियाँ वो #चर्च में कराते थे। ऐसी एक-दो नहीं उन्होंने #सैकड़ों शादियाँ करवाई थी ।
जिस समय वेलेंटाइन हुए, उस समय #रोम का #राजा था #क्लौड़ीयस। जो बड़ा क्रूर था ।
क्लौड़ीयस ने कहा कि "ये जो आदमी है-वेलेंटाइन, ये हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है, हम बिना शादी के रहने वाले लोग हैं, #मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये शादियाँ करवाता फिर रहा है, ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है, हमारी #संस्कृति को नष्ट कर रहा है"।
इसलिए क्लौड़ीयस के आदेश पर वेलेंटाइन को #14 फरवरी #498 ई.वी. को #फाँसी दे दी गई। उसका आरोप क्या था कि वो बच्चों की शादियाँ कराता था। मतलब यूरोप में शादी करना जुर्म था ।
तो जिन बच्चों ने वेलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत #दुखी हुए और उन सब ने उस वेलेंटाइन की दुःखद याद में 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मनाना शुरू किया तो उस दिन से यूरोप में वेलेंटाइन डे मनाया जाता है ।
तो ये था वेलेंटाइन-डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार ।
अब यही वेलेंटाइन-डे भारत में जब अंग्रेज आये तब वो लोग मनाते थे तो भारत के कुछ अंग्रेज के चाटुकार, मूर्ख और लालची लोग भी मनाने लगे ।
भारत में अंग्रेज वेलेंटाइन डे इसलिए मना रहे थे कि भारत के लोगों का नैतिक पतन हो जिससे वो अंग्रेजो के सामने लड़ ही न सके और लंबे समय तक भारत गुलाम बना रहे ।
फिर अंग्रेज तो गये लेकिन विदेशी कम्पनियां ने सोचा कि हम अगर भारत में वेलेंटाइन डे को बढ़ावा देते हैं तो हमें अरबों खबरों का फायदा होगा तो उन्होंने टीवी, अखबार आदि में खूब-प्रचार प्रसार किया जिससे उन्होंने महंगे ग्रीटिंग कार्ड, गिफ्ट, फूल चॉकलेट आदि से कई करोड़ो रुपए कमाएं। इसके इलावा ब्ल्यू फिल्म, गर्भ निरोधक साधन, पोनोग्राफी, उतेजक पोप म्यूजिक जैसी काम उतेजक दवाइयां बनाने वाली विदेशी कम्पनियां अपने आर्थिक लाभ हेतु समाज को चरित्रभ्रष्ट करने के लिए करोड़ों अरबों रूपये खर्च कर रही है।
वाणिज्य एवम उद्योग मंडल (एसोचैमके ) के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2016 में वेलेन्टाइन डे से जुड़े सप्ताह के दौरान फूल, चॉकलेट, आदि विभिन्न उपहारों की बिक्री का कारोबार 22,000 करोड़ रूपये था । इस बार 30,000 करोड़ रूपये का कारोबार होने का अनुमान है । वस्तुत: वेलेन्टाइन डे के विदेशी बाजारीकरण वासनापूर्ति को बढ़ावा देने वाला दिन है ।
अब ये #वेलेंटाइन डे हमारे स्कूलों में कॉलजों में बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के #लड़के-लड़कियाँ बिना सोचे-समझे एक दूसरे को वेलेंटाइन डे का कार्ड, गिफ्ट फूल दे रहे हैं।
इन सब विदेशी गन्दगी को देखते हुए हिन्दू संत बापू आसारामजी ने 2006 में 14 फरवरी को #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस के रूप में मनाना शुरू किया जिसका अभी व्यापक प्रचार हो रहा है। भारत में उनके करोड़ो अनुयायी, हिन्दू संगठन और छत्तीसगढ़ सरकार आदि गांव-गांव, नगर-नगर में इस दिन को #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस के रूप में मना रहे है । विदेशों में भी उनके अनुयायी इस दिन को #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस के रूप में मना रहे हैं ।
हिन्दू संत बापू आसारामजी का कहना है कि 14 फरवरी को पश्चिमी देशों की नकल कर भारत के युवक युवतियाँ एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्डस, फूल आदि देकर वेलेन्टाइन डे मनाते हैं। इस विनाशकारी डे के नाम पर कामविकार का विकास हो रहा है, जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, खोखलापन,जल्दी बुढ़ापा और जल्दी मौत लाने वाला साबित होगा ।
हजारों हजारों युवक-युवतियां तबाही के रास्ते जा रहे हैं । वेलेन्टाइन डे के बहाने आई लव यू करते करते लड़का-लड़की एक दूसरे को छुएंगे तो रज-वीर्य का नाश होगा । आने वाली संतति पर भी इसका बुरा असर पड़ता है और वर्तमान में वे बच्चे-बच्चियां भी तबाही के रास्ते हैं । लाखों लाखों माता-पिताओं के हृदय की पीड़ा को देखते हुए तथा बच्चे बच्चियों को इस विदेशी गंदगी से बचाकर भारतीय संस्कृति की सुगंध से बच्चे-बच्चियों को सुसज्जित करना है । प्रेम दिवस जरूर मनायें लेकिन प्रेमदिवस में संयम और सच्चा विकास लाना चाहिए। युवक युवती मिलेंगे तो विनाश-दिवस बनेगा।
इस दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का पूजन करें और उनके सिर पर पुष्ष रखें,प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें। संतान अपने माता-पिता के गले लगे। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा।
तुम भारत के लाल और भारत की लालियाँ (बेटियाँ) हो। प्रेमदिवस मनाओ, अपने माता-पिता का सम्मान करो और माता-पिता बच्चों को स्नेह करें। ! पाश्चात्य लोग विनाश की ओर जा रहे हैं। वे लोग ऐसे दिवस मनाकर यौन रोगों का घर बन रहे हैं, अशांति की आग में तप रहे हैं। उनकी नकल भारत के बच्चे-बच्चियां न करें ।
आपको बता दें कि बापू आसारामजी ने इस तरीके से करोड़ो लोगो को वेलेंटाइन डे आदि विदेशी प्रथाओं से, व्यसन आदि से बचाया है जिसके कारण विदेशी कंपनियों का अरबों रुपये का घाटा हुआ है।
हमारे शास्त्रों में माता-पिता को देवतुल्य माना गया है और इस संसार में अगर कोई हमें निस्वार्थ और सच्चा प्रेम कर सकता है तो वो हमारे माता-पिता ही हो सकते है।
तो क्यों न हम संत #आसाराम जी बापू प्रेरित #14 फरवरी_मातृ_पितृ_पूजन जैसे सच्चे प्रेम का सम्मान करें ।
आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।
आओ एक सच्ची दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।
14 फरवरी को वेलेंटाइन डे नही माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाएं।
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